**राधास्वामी!!
19-04-2020 -आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे( 112) दुनिया में आमतौर पर रिवाज यह है कि इंसान मालिक की जानिब मुखातिब ही नहीं होता। अलबत्ता जब किसी के सिर पर सख्त मुश्किल या मुसीबत आती है तो वह मालिक की तरफ मुखातिब होता है और बतौर भिखारी के मालिक के रूबरू हाथ फैलाता है। खैर किसी भी बहाने से मालिक की याद की जावे गनीमत है ।लेकिन मालूम होवे कि इस तरीके से मालिक की याद करने पर हमेशा दया मदद हासिल नहीं होती। एक ऐसा भी तरीका है जिस पर चलने से बिलानागा दया व मेहर हासिल हो सकती है और वह यह है कि भिखारी के बजाय बच्चे का अंग लेकर प्रार्थना की जावे और जैसे बच्चा अपनी माँ से मोहब्बत के जोर पर चीजे माँगता है ऐसे ही तुम भी अपनी प्रार्थना पेश करो। लेकिन यह अँग तभी आएगा जब अपने मन को बच्चे की तरह मालिक से दिन रात मोहब्बत करने की आदत डालोगे । जब ऐसी आदत हो जाएगी तो अव्वल तो तुम्हें किसी चीज के माँगने की जरूरत ही न रहेगी क्योंकि वह दयाल मालिक खुद ही तुम्हारी हर तरह निगरानी व संभाल करेगा और दोयम् अगर कभी जरूरत भी पड़ेगी तो तुम्हारे माँगते मांगते उसकी मंजूरी के अहकाम जारी हो जाएंगे। अगर राधास्वामीमत और राधास्वामी दयाल में सच्चा विश्वास है तो इस युक्ति का इस्तेमाल करके पूरा फायदा उठाओ । 🙏🏻राधास्वामी 🙏🏻 सत्संग के उपदेश भाग तीसरा।**
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