Wednesday, April 22, 2020

आज 22/04 को शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन



**राधास्वामी!!

  22-04-2020-

               

   आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-             
                                                              (1) मन इंद्री आज घट में रोक, गुरु मारग चलना।।टेक।। (प्रेमबानी-3-शब्द-9-,पृ.सं.230)                                                                                                                     

 (2) भाई तूने यह क्या जुल्म गुजाला। भक्ती का किया अहंकारा।।टेक।। अस भक्तन के सँग में रह तू, उनका न ढंग सँभारा। पतँग रिति की कदर न जानी भयो खद्योत लबारा।। (प्रेमबिलास-शब्द-102,पृ।सं.149)                                                                           

 (3) सतसंग के उपदेश-भाग तीहरा-कल से आगे।           

 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


**राधास्वामी!! 22-04-2029-       

              
आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन

-कल से आगे-( 115)-

 मोह के असली मानी जहालत है लेकिन चूँकि लोगों को तजरुबे से मालूम हुआ कि मोहब्बत के बस होकर  इंसान तरह-तरह की बेवकूफियां करता है और मोहब्बत व जहालत हमेशा संग दिखलाई देती है इसलिए रफ्ता रफ्ता मोह के मानी मोहब्बत हो गये और अब यह लफ्ज आम तौर इसी मानी में इस्तेमाल होता है।

चुनांचे संसार के मोह के मानी संसार की मोहब्बत है और चूँकि संसार जड़ है इसलिए इसकी मोहब्बत का नतीजा सिवाय जड़ता या जहालत के और क्या हो सकता है ? यह जडता या जहालत सतगुरु व सच्चे मालिक के चरणो में प्रीति आने से  विवेक की आंख खुल कर आप से आप दूर हो जाती है।

विवेक की आँख खुलने पर जीव को संसार की असलियत की समझ बूझ और अपने नफा नुकसान की तमीज भली प्रकार आ जाती है। चुनांचे सच्चे सतगुरू की यही पहचान है कि उनके साथ प्रीति करने से जीव की समझ बूझ गैरमामूली साफ-सुथरी होती जाय।   

                                

      🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
सतसंग के उपदेश-भाग तीसरा**

राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी।।।।।

राधास्वामी दयाल की दया राधास्वामी सहाय राधास्वामी


।।।।।।। 

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