Wednesday, April 29, 2020

आज 29/04 को शाम के सत्संग में पढ़ा था




**राधास्वामी!!

29-04-2020-


 आज शाम के सत्संग में पढ़े गए पाठ -                                                                                           
 (1) प्यारी क्यों सोच करें ,प्यारे राधास्वामी तेरे सहाई ।। टेक।। (प्रेमबानी- भगग 3- शब्द 16, पृष्ठ संख्या 239) 
                       
(2) स्वामी तुम अचरज खेल दिखाया।। टेक।।( प्रेमबिलास- शब्द -107 ,पृष्ठ संख्या 154 )                                                                                                                       
(3)  सत्संग के उपदेश- भाग तीसरा -कल से आगे।।         

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**


**राधास्वामी!! 
                                           
29-04- 2020- 
                             
  आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे -(122 ) सवाल- एक शख्स सत्संगी है लेकिन बुरे अंगों में बर्तता है और दूसरा शख्स गैरसत्संगी है लेकिन अच्छा चाल चलन रखता है, दोनों में कौन बेहतर है?                                                                 जवाब - मौजूदा हालत के लिहाज से गैरसतसंगी बेहतर है लेकिन हो सकता है कि सतसंगी के अंदर से पिछले जन्मों का मसाला खारिज हो रहा हो इसलिए अगर कोई सत्संगी जाहिर में बुरे अंगों में बर्तता है लेकिन अंतर में अपनी कमजोरी देख कर झुरता व पछताता है और सँभल कर चलने के लिये मुनासिब यत्न करता है तो उसकी जाहिरा हालत देख कर उसके खिलाफ नतीजा निकालना नादुरुस्त होगा।

 पूरे सतगुरु की शरण का मिल जाना कोई छोटी बात नहीं है। यह गति भी उत्तम संस्कारों की वजह से मिलती है इसलिए अगर किसी सत्संगी में हजार औगुन है और यह गुन है तो इस गुन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इस गुन के लिहाज से सत्संगी गैरसतसंगी पर सबकत ले जाता है। चुनाँचे कबीर  साहब का बचन है:-                                                   
कबीर मेरे साध की निन्द्या करों न कोय। जो पै चंद कलंक है तउ उजियारा होय।।                कबीर साहब फरमाते है कि मेरे साध जन की कसरें देखकर उनकी निंदा मत करो क्योंकि वह बेचारा अपनी कसरे दूर करने के लिए मुनासिब यत्न कर रहा है और अपने पिछले कर्मों व आदतों की वजह से मजबूर है लेकिन वह साधन करके दिन-ब-दिन अपना बोझ हल्का कर रहा है ।

एक दिन उसकी सब कसरे दूर हो जाएंगी । देखो हरचंद हिंदू शास्त्रों में चंद्रमा के सिर दोष लगाया  गया है लेकिन बावजूद दोषी होने के चंद्रमा संसार को रोशनी पहुंचाता है ऐसे ही साध जन भी बावजूद अपनी कसरों के इस काबिल होता है कि दूसरों को रोशनी पहुँचावे।

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**

राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी दयाल की दया राधास्वामी सहाय राधास्वामी
।।।।।।।।।।




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