*
*राधास्वामी!! 24-04-2020-
आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-
(1) मनुआँ क्यों सोचे नाहि, जग में दुख भारी ।।टेक।।(प्रेमबानी-3,शब्द-11,पृ.सं.233)
(2) स्वामी तुम काज बनाए सबन के।।टेक।। (प्रेमबिलास-शब्द-104,पृ.सं.150)
(3) सतसंग के उपदेश-भाग तीसरा-कल से आगे।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**राधास्वामी!! 24-04 -2020
- आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन-
कल से आगे-( 117 )
क्योंकि छोटा बच्चा तजुर्बे से जानता है कि उसके रोने में बड़ा असर है इसलिए वह अपनी हर एक मांग रो कर पूरी करता है , और जब वालदैन किसी कदर सर्दमेहरी से पेश आते हैं तो वह और भी जोर से चीखता है । यहां तक कि वालदैन उसकी ख्वाहिश पूरी करने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
इसी तरह चूँकि हाकिम जानते हैं कि लोग सजा के कानून से डरते हैं इसलिए अपने अहकाम सजा के कानून का डर दिखला कर मनवाते हैं। ठीक इसी तरह प्रेमी जन जानते हैं कि प्रेम व दीनता का अंग लेकर और तबीयत यकसू करके अगर सच्चे मालिक के हुजूर में कोई अर्ज पेश की जाए तो वह जरूर मंजूर हो जाती है।
इसलिए हर शख्स के वास्ते ,जो मालिक की हस्ती में अकीदा रखता है और मालिक से स्वार्थ परमार्थ में मदद का उम्मीदवार है, लाजमी है कि अपने अंदर प्रेम व दीनता का अंग जगावे और यकसूई तवज्जुह का महावरा करे। सत्संग में जो सेवा वगैरह का सिलसिला जारी है वह इसी गरज हैं कि हर सत्संगी के अंदर प्रेम व दीनता का अंग पैदा हो । और सुमिरन व ध्यान के उपदेश की पहली गरज यही है कि सतसंगी तवज्जुह की यकसूई हासिल करने में कामयाब हो।
🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻
सत्संग के उपदेश- भाग तीसरा।**
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
दयाल की दया राधास्वामी सहाय
आज
।।।।।।।।।।।
No comments:
Post a Comment