**राधास्वामी!!
26-04-2020-
आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-
(1) मन रे क्यों माने नाहि, जग सँग क्या लेना।।टेक।। (प्रेमबानी-3-शब्द-13,पृ.सं.235)
(2) बाहर के साज काज नहिं सरिहै।।टेक।। जिन जन भाग से सतसँग पाया। तिस ही पडी कुछ इसकी खबर है।। (प्रेमबिलास- शब्द-105,पृ.सं.152)
(3) सतसंग के उपदेश-भाग तीसरा-कल से आगे।। नोट:- सतसंग के बाद:- देव री सखी मोहि उमँग बधाई।। (सारबचन-शब्द-पहला,पृसं.74 ) पढा गया।।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**राधास्वामी!! 26-04 -2020-
आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन-
कल से आगे-
( 119)
अ गर इंसान अपने तई संभाल ले तो उसे यह गति हासिल हो सकती है कि हर मुश्किल मौके पर मालिक की जानिब से मदद व रोशनी मिले जिसकी मदद से वह भव सागर में ऐसे तैर सकता है जैसे लकड़ी के संग जुड़ा हुआ लोहा। लेकिन मुश्किल यह है कि अव्वल तो इंसान अपने तई बड़ा चतुर समझता है और सख्त मुश्किल सिर पर आए बगैर मालिक की मदद की परवाह ही नहीं करता और दोयम अगर कोई शख्स परवाह भी करता है तो सहूलियत मिलने पर लोभ या काम के बस होकर ऐसा गिर जाता है कि उसका अंतरी तार टूट जाता है। मालिक से अंतरी संबंध कायम रखने के लिए हमेशा चौकन्ना रहने की सख्त जरूरत है । यह दुरुस्त है कि साधारण लोगों में न इस कदर एतिहात का माद्दा है और न ही मालिक के साथ अंतरी सम्बंध कायम करने की काबिलियत है। लेकिन उनके हासिल करने और एतिहात से बरतने की आदत डालने के लिए कोशिश तो हर कोई कर सकता है। करते-करते सभी काम सफल हो जाते हैं। इसके अलावा याद रखना चाहिए कि जो साधन सत्संगियों को बतलाए गए हैं उनकी कमाई से मुनासिब काबिलियत भी पैदा हो जाती है और एहतियात से बरसने का शऊर भी आ जाता है ।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
सतसंग के उपदेश-
भाग तीसरा।**
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
।।।।
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