।।महत्वपूर्ण भविष्यवाणी।।
(दयालबाग में परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज द्वारा फरमाया गया बचन- 8 जनवरी -1931):-
शीघ्र ही दयालबाग उत्तर में अंबाले से लेकर बनारस तक जोकि लगभग 700 मील का फासला है , फैल जाएगा। मैं अपनी अंतरी आँख के सामने दयालबाग के उस जमीनी प्लान को देख रहा हूँ जो कि भविष्य में होगा और जो तमाम दुनिया में लिए केंद्रीय संस्था बन जाएगा जिससे प्रेम और शांति की शुद्ध किरणे निकलकर संसार के विभिन्न कोणों में फैल जाएंगी ।अमेरिका अपनी धन दौलत पर गर्व कर सकता है, इंग्लैंड महान हो सकता है, जर्मनी गर्वपूर्ण हो सकता है और इटली कुछ और हो सकता है। लेकिन दयालबाग बहुत अधिक महान होगा ,संसार के सब राष्ट्रों से महान होगा और विश्व शांति दयालबाग द्वारा ही स्थापित होगी ।राधास्वामी दयाल ने इस केंद्र पर बड़ी तोप लगा दी है जिसमें राधास्वामी नाम के गोले चारों ओर चलाए जाएंगे ताकि काल और माया के तमाम कार्यवाहियों का अंत हो और तमाम सूरतें नाशमान बंधनो से मुक्त होकर राधास्वामी धाम की ओर ले जाई जायेगीं। हमारे मिशन के फलस्वरुप एक नई रचना का निर्माण हो रहा है। पुराने जमाने में जब कृष्ण महाराज अपने अनुयायियों के बीच मथुरा के जंगलों में अपनी बांसुरी बजाते थे तो वह आपस में हाथ पकड़ कर अपार आनंद में नाचते थे ।उसी तरह वह दिन आएगा जब कि जो (सत्संगी) भाई बहने यहां जमा है, मन और जड़ पदार्थों से पूर्ण रूप से अलग होकर राधास्वामी दयाल के चारों ओर नाचेंगे । अतः आप सब जवान और बूढ़े उस मौके के लिए तैयार हो जाओ। चाहे कहीं से भी कितनी भी ठोस रुकावट की जाए , उन दयाल का मिशन , जैसा कि ऊपर बयान किया गया है पूरा होना चाहिए और वह लोग जो इस रौ ( तेज धार) के रास्ते में खड़े होकर रुकावट डालेंगे उन्हें अवश्य ठुकरा दिया जावेगा।। हुजूर ने फरमाया कि वह अपने सामने दयालबाग का पूरा प्लान देख रहे हैं और यह कि हम सब केवल राज या मजदूर केवल समान ढोने वाले हैं - परंतु असली निर्माता स्वयं हुजूर राधास्वामी दयाल है और हम उनका भावी प्लान नहीं जानते ।हममें से केवल वही मनुष्य , जिनको अंतरी दृष्टि प्राप्त है उसका कुछ अंदाजा लगा सकते हैं । यह फरमाकर हुजूर ने अपना हाथ अपने माथे पर रखा इस प्रकार कहना प्रारंभ किया-- यह ध्यान रखिए कि मैं स्वपन नहीं देख रहा हूँ, मैं शर्तिया जागृत हूं और जो कुछ मैंने कहा है वह अवश्य होकर रहेगा । उदाहरण के तौर पर विद्यालय आर. ई.आई. की इमारत के बारे में कहा कि वह ठीक उसी रूप में बनकर तैयार हुई है जैसा उन्होंने पहले उसके बारे में बचन फरमाए थे । उन दयाल ने परम गुरु हुजूर महाराज के लेखों का भी इस सिलसिले में हवाला दिया और फरमाया कि पुराने जमाने में संत महात्माओं ने दुनिया में आगे होने वाले प्रसार के बारे में केवल कुछ इशारे ही दिए थे। वह दयाल आज स्पष्ट शब्दों में यह ऐलान फरमा रहे हैं कि भविष्य में दयालबाग सारे संसार में एक आदर्श संस्था होगी । तब मौज से एक शब्द निकाला गया जिसकी पहली कड़ी थी------
-" बढ़त सत्संग अब दिन अहा हा हा ओहो हो हो।
(पुनः प्रकाशित- प्रेम प्रचारक 27 सितंबर, 1976)
🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻
8- January - 1931, A Discourse by Param Guru Huzur SAHABJI MAHARAJ
Soon, Dayalbagh will spread north from Ambala to Benaras, a distance of about 700 miles. In front of my inner eye, I am looking at the grassroot plan of Dayalbagh which will be in the future and which will become the central institution for all the world so that pure rays of love and peace will spread out to the world. America may be proud of its wealth, England may be great, Germany and Italy may be proud of something else. But Dayalbagh will be much greater, greater than all the nations of the world, and world peace will be established by Dayalbagh. And also said that "
राधास्वामी दयाल ने इस केंद्र पर ब्द तोप लगा दी है जिसमे राधास्वामी नाम के गोले चारों ओर चलाए जाएंगे ताकि माया और काल के तमाम कार्यवाहियों का अंत हो और तमाम सुरतें नाशमान बंधनों से मुक्त हो कर राधास्वामी धाम की ओर ले जाई जाएंगी"
A new creation is being created as a result of our mission. In the old days, when Krishna Maharaj ( Lord Krishna) used to play his flute in the jungles of Mathura among his followers, he used to hold hands with each other and dance in immense bliss. Likewise the day will come when all Satsangis will be free from TANN and MANN and will be dancing around huzur RADHASOAMI DAYAL So all of you young and old get ready for that opportunity. No matter how concrete the blockage is, the mission of those people will not be successful.
Huzur said that he is looking at the full plan of Dayalbagh in front of him and the real creator himself Huzur RADHASOAMI DAYAL incarnated on this earth to carry out the whole plan but not others and we do not know his future plan. Only Who have got the inner vision, can guess something. After this, Huzur put his hand on his forehead and started saying like this - "keep in mind that I am not seeing the dream, I am completely conscious , and whatever I have said will definitely happen. For example, the school R.E.I." Told about the building that she has been prepared in the same manner . RADHASOAMI Dayal also referred to the writings of Param Guru Hazur Maharaj in this regard and said that in the past, the saint Mahatma had given only a few hints about the future spread in the world.
राधास्वामी That Dayal today is clearly declaring that Dayalbag will be an ideal institution in the whole world.
After the Bachan a Shabda Recited from mauj
बढ़त सतसंग अब दिन दिन
अहा हा हा ओहो हो हो
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