हियरे में मेरे पीर कसक, किससे मैं कहूँ ।
सतगुरु दयाल जो मिलें तो, जान दे दऊँ ।।टेर।।
मिलने की लगन है लगी, कस दूर मैं रहूँ ।
नैना तरस रहे हैं, दर्श स्वामी के चहूँ (१)
बिन दर्श के ना रह सकूँ, पल एक ना सोऊँ ।
पिता प्यारे पिया प्यारे रटूँ , मैं रैन दिन रोऊँ (२)
धुर की मेहर सतगुरु की दया, संग में चहूँ ।
बन जाय मेरा काम,, नाम संग में रहूँ (३)
नहीं काल और माया की चोटें, अब मैं सहूँ ।
राधास्वामी राधास्वामी, हर वक़्त रटत रहूँ (४)
*राधास्वामी*
राधास्वामी प्रीति बानी-४-१६७
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