प्रस्तुति -कृष्ण मेहता:
*_मालिक की दया है फिर क्या चिंता है। निर्भय होकर तत्परता के साथ साधन करना चाहिए। परमेश्वर के बल का आश्रय लेकर जो संसार में विचरता है उसके कार्य की सिद्धि शीघ्र होती है। हमें ईश्वर के बल पर प्रयत्नशील होना चाहिए।_*
_(दोष-त्याग करके भजन करने का महत्व)_
_(भगवत्प्राप्ति कठिन नहीं)_
_श्रीजयदयाल जी गोयन्दका_
_हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे_
_हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे_
*“हर एक के अन्दर कोई न कोई* *शक्ति है, जो इस पूरी* *दुनिया में किसी में नहीं है, बस* *तुम्हे उस शक्ति को जानना* *है.” “आपकी will* *power के आगे दुनिया की कोई* *भी ताकत टिक नहीं* *सकती.” “हर रोज अपने आप से* *यह सवाल करो की* *अभी मैं क्या सिख रहा हु,* *और इस तरह से हर वक्त* *सिखने की अपनी आदत* *बना लो”*
*कभी कभी हम अपने बहुत करीबी लोगो की भावनाओं को समझ नहीं पाते हैं क्योंकि आँख के एकदम पास रखकर किताव को पढ़ना बड़ा कठिन होता है।*
*हरे कृष्ण*
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