बजरंग बाण के चमत्कार
**प्रस्तुति - कृष्ण मेहता
बजरंगबाण से विवाह बाधा खत्म कदली वन, या कदली वृक्ष के नीचे बजरंग बाण का पाठ करने से विवाह की बाधा खत्म हो जाती है। यहां तक कि तलाक जैसे कुयोग भी टलते हैं !
बजरंग बाण से ग्रहदोष समाप्त अगर किसी प्रकार के ग्रहदोष से पीड़ित हों, तो प्रात:काल बजरंग बाण का पाठ, आटे के दीप में लाल बत्ती जलाकर करें। ऐसा करने से बड़े से बड़ा ग्रह दोष पल भर में टल जायेगा।
-साढ़ेसाती-राहु से नुकसान की भरपाई अगर शनि,राहु,केतु जैसे क्रूर ग्रहों की दशा,महादशा चल रही हो तो उड़द दाल के 21 या 51 बड़े एक धागे में माला बनाकर चढ़ायें। सारे बड़े प्रसाद के रुप में बांट दें।
आपको तिल के तेल का दीपक जलाकर सिर्फ 3 बार बजरंगबाण का पाठ करना होगा।
-बजरंगबाण से कारागार से मुक्ति अगर किसी कारणवश जेल जाने के योग बन रहे हों, या फिर कोई संबंधी जेल में बंद हो तो उसे मुक्त कराने के लिए हनुमान जी की पूंछ पर सिंदूर से 11 टीका लगाकर 11 बार बजरंग बाण पढ़ने से कारागार योग से मुक्ति मिल जाती है। अगर आप हनुमान जी को 11 गुलाब चढ़ाते हैं या फिर चमेली के तेल में 11 लाल बत्ती के दीपक जलाते हैं तो, बड़े से बड़े कोर्ट केस में भी आपको जीत मिल जायेगी।
-सर्जरी और गंभीर बीमारी टाले बजरंग बाण कई बार पेट की गंभीर बीमारी जैसे लीवर में खराबी, पेट में अल्सर या कैंसर जैसे रोग हो जाते हैं, ऐसे रोग अशुभ मंगल की वजह से होते हैं। अगर इस तरह के रोग से मुक्ति पानी हो तो हनुमान जी को 21 पान के पत्ते की माला चढ़ाते हुए 5 बार बजरंग बाण पढ़ना चाहिये। ध्यान रहे कि बजरंगबाण का पाठ राहुकाल में ही करें। पाठ के समय घी का दीप ज़रुर जलायें।
-छूटी नौकरी दोबारा दिलाए बजरंग बाण अगर नौकरी छूटने का डर हो या छूटी हुई नौकरी दोबारा पानी हो तो बजरंगबाण का पाठ रात में नक्षत्र दर्शन करने के बाद करें। इसके लिए आपको मंगलवार का व्रत भी रखना होगा। अगर आप हनुमान जी को नारियल चढ़ाने के बाद, उसे लाल कपड़े में लपेट कर घर के आग्नेय कोण रखते हैं तो मालिक स्वयं आपको नौकरी देने आ सकता है।
-वास्तुदोष दूर करे बजरंगबाण कई बार घर में वास्तुदोष के चलते कई समस्या हो जाती है। तो घर में वास्तुदोष दूर करने के लिए 3 बार बजरंगबाण का पाठ करना चाहिए। हनुमान जी को लाल झंडा चढ़ाने के बाद उसे घर के दक्षिण दिशा में लगाने से भी वास्तुदोष से मुक्ति मिलती है। घर में सकारात्मक ऊर्जा के लिए पंचमुखी हनुमान की प्रतिमा घर के मुख्य द्वार पर लगायें।
-बजरंग बाण से दवा असर करे कई बार गंभीर बीमारी में दवा फायदा नहीं करती। दवा फायदा करे इसके लिए 2 बार बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए। साथ ही साथ संजीवनी पर्वत की रंगोली बनाकर उस पर तुलती के 11 दल चढ़ाने से दवा धीरे धीरे असर करने लगती है।
|| श्री बजरंग बाण ||
॥ दोहा ॥
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान ।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान ॥
जय हनुमन्त सन्त हितकारी, सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ।
जन के काज विलम्ब न कीजै, आतुर दौरि महा सुख दीजै।
जैसे कूदि सिन्धु महिपारा, सुरसा बदन पैठि विस्तारा ।
आगे जाय लंकिनी रोका, मारेहु लात गई सुरलोका ।
जाय विभीषन को सुख दीन्हा, सीता निरखि परमपद लीन्हा ।
बाग उजारि सिन्धु महं बोरा, अति आतुर जमकातर तोरा ।
अक्षय कुमार को मारि संहारा, लूम लपेट लंक को जारा ।
लाह समान लंक जरि गई, जय जय धुनि सुरपुर में भई ।
अब विलम्ब केहि कारन स्वामी, कृपा करहु उर अन्तर्यामी ।
जय जय लखन प्राण के दाता, आतुर होय दु:ख करहु निपाता ।
जै गिरिधर जै जै सुख सागर, सुर समूह समरथ भटनागर ।
ॐ हनु हनु हनु हनुमन्त हठीले, बैरिहि मारू बज्र की कीले ।
गदा बज्र लै बैरिहिं मारो, महाराज प्रभु दास उबारो ।
ॐ कार हुंकार महाप्रभु धावो, बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो ।
ॐ ह्रिं ह्रिं ह्रिं हनुमन्त कपीसा, ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा ।
सत्य होहु हरि शपथ पायके, राम दूत धरु मारु जाय के ।
जय जय जय हनुमन्त अगाधा, दु:ख पावत जन केहि अपराधा ।
पूजा जप तप नेम अचारा, नहिं जानत हौं दास तुम्हारा ।
वन उपवन मग गिरि गृह माहीं, तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं ।
पांय परौं कर जोरि मनावौं, येहि अवसर अब केहि गोहरावौं ।
जय अंजनि कुमार बलवन्ता, शंकर सुवन वीर हनुमन्ता ।
बदन कराल काल कुल घालक, राम सहाय सदा प्रतिपालक ।
भूत, प्रेत, पिशाच निशाचर, अग्नि बेताल काल मारी मर ।
इन्हें मारु, तोहि शपथ राम की, राखउ नाथ मरजाद नाम की ।
जनकसुता हरि दास कहावो, ताकी शपथ विलम्ब न लावो ।
जै जै जै धुनि होत अकासा, सुमिरत होत दुसह दु:ख नाशा ।
चरन शरण कर जोरि मनावौं, यहि अवसर अब केहि गोहरावौं ।
उठु उठु चलु तोहि राम दुहाई, पांय परौं कर जोरि मनाई ।
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता, ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता ।
ॐ हं हं हांक देत कपि चंचल, ॐ सं सं सहमि पराने खल दल ।
अपने जन को तुरत उबारो, सुमिरत होय आनंद हमारो ।
यह बजरंग बाण जेहि मारै, ताहि कहो फिर कौन उबारै ।
पाठ करै बजरंग बाण की, हनुमत रक्षा करै प्राण की ।
यह बजरंग बाण जो जापै, ताते भूत-प्रेत सब कांपै ।
धूप देय अरु जपै हमेशा, ताके तन नहिं रहै कलेशा ।
॥ दोहा ॥
प्रेम प्रतीतिहि कपि भजै, सदा धरै उर ध्यान ।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान ॥
बजरंग बाण और उसके तीव्र प्रभाव का कारण
हनुमान जी कलयुग में सर्वाधिक जाग्रत देवता माने जाते हैं जो सप्त चिरंजीवी में से एक हैं ,अर्थात जिनकी कभी मृत्यु नहीं हो सकती ,इनके सम्बन्ध में अनेक किवदंतियां हैं और आधुनिक युग में भी इन्हें कहीं कहीं उपस्थित रूप से माना जाता है अथवा इनकी उपस्थिति समझी जाती है, इन्होने भगवान् राम की ही सहायता नहीं की अपितु अर्जुन और भीम की भी सहायता की , इन्हें रुद्रावतार भी कहा जाता है और एकमात्र यही हैं, जो शनि ग्रह के प्रभाव को भी नियंत्रित कर सकते हैं ,सामान्यतया जब भी हनुमान आराधना /उपासना की बात आती है ,लोगों के दिमाग में हनुमान चालीसा और सुन्दरकाण्ड के पाठ की याद आती है ,यह सबसे अधिक प्रचलित पाठ हैं,
जिनके प्रभाव भी दीखते हैं , हनुमान की कृपा प्राप्ति और उनके द्वारा कष्टों के निदान के लिए अनेक उपाय और पाठ इनके अतिरिक्त भी बनाए गए हैं जो भिन्न भिन्न समस्याओं में लोगों द्वारा प्रयोग होते हैं ,इन्ही पाठों में दो पाठ ऐसे हैं जो, अत्यधिक तीव्र प्रभावी हैं ,यह पाठ बजरंग बाण और हनुमान बाहुक के हैं !
बजरंग बाण है, तो हनुमान चालीसा जैसा ही पाठ किन्तु यह हनुमान चालीसा से अधिक प्रभावी है , शत्रु बाधा ,तांत्रिक अभिचार ,किया कराया ,भूत -प्रेत ,ग्रह दोष आदि के लिए यह बाण की तरह काम करता है,
इसीलिए इसका नाम बजरंग बाण है ,बजरंग बाण चौपाइयों पर आधारित पाठ है किन्तु इसकी सफलता इसके शपथ में है ,इसमें देवता को शपथ दी जाती है की वह पाठ कर्ता की समस्या दूर करे ,यह शपथ की प्रक्रिया शाबर मंत्र जैसी है जिसके कारण बजरंग बाण की क्रिया प्रणाली बिलकुल भिन्न हो जाती है , वास्तव में जब व्यक्ति शपथ देता है , भगवान् को तो भगवान् शपथ के अधीन हो न हो ,व्यक्ति जरुर गहरे से भगवान् से जुड़ जाता है, और प्रबाल आत्मविश्वास ,आत्मबल उत्पन्न होता है कि, अब तो समस्या जरुर हटेगी !
क्योंकि भगवान् को हमने शपथ दिया है ,तीव्र आंतरिक आवेग उत्पन्न होता है और जितनी भी आंतरिक शक्ति होती है, व्यक्ति की उस समस्या के पीछे लग जाती है ,इस कारण सफलता बढ़ जाती है ,कुछ ऐसा ही शाबर मन्त्रों के साथ होता है , इसके साथ ही पृथ्वी की सतह पर क्रियाशील अंग देवता और सहायक शक्तियाँ उस व्यक्ति के साथ जुड़ उसकी सहायता करने का प्रयत्न करती हैं , यहाँ यह जरुर ध्यान देने की बात है की जब देवता को शपथ दी जाए तो बहुत सतर्कता और सावधानी की जरूरत हो जाती है ,क्योंकि फिर गलतियाँ क्षमा नहीं होती !
जब आप देवता को मजबूर करने का प्रयत्न करते हैं, तब आपको भी नियंत्रित रहना होता है अन्यथा देवता की ऊर्जा तीव्र प्रतिक्रिया कर सकती है !
बहुत से लोग जो वैदिक हैं ,सनातन पद्धति से जुड़े हैं वह इस शपथ की प्रक्रिया को ,शपथ देने को अच्छा नहीं मानते ,किन्तु यह पाठ गोस्वामी तुलसीदास के समय बनाया गया है, जो यह प्रकट करता है कि, उस समय सामाजिक विक्षोभ की स्थिति में जब सामान्य पाठ ,मंत्र आदि काम नहीं कर रहे थे, तब शाबर मंत्र काम कर रहे थे ,अतः यह उस पद्धति पर बनाया गया ,शाबर मन्त्रों में तो किसी भी देवता को आन दी जा सकती है ,शपथ दी जा सकती है , इसकी एक विशेष अलग कार्यप्रणाली होती है ,इसी आधार पर हनुमान की शक्ति को अधिकतम पाने के लिए बजरंग बाण में शपथ का प्रयोग किया गया !यह पद्धति काम करती है और इसके अच्छे परिणाम भी मिलते हैं बस साधक खुद को नियंत्रित ,संतुलित और एकाग्र रखे ,जैसे की शाबर मन्त्रों में होता है , इनसे पृथ्वी की सतह पर क्रियाशील शक्तियाँ प्रभावित होती हैं, वैसा ही बजरंग बाण में भी होता है कि, पृथ्वी की सतह पर क्रियाशील धनात्मक ऊर्जा से संचालित शक्तियाँ साधक की सहायता करने लगती हैं !