**राधास्वामी!!20-02-2021-आज शाम सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) सुरतिया करत रही। गुरु दर्शन सहित उमंग।। काल बिडारत कर्म सुलावत। मन मखया से लेती जंग।।-(राधास्वामी दिया प्रसन्न होय कर। प्रेम प्रसाद और भक्ति उतंग।।) (प्रेमबानी-4-शब्द-9-पृ.सं.111,112)
(2) राह रपटीली साईं घर दूर।।टेक।। कोउ न सुने मेरी किसे सुनाऊँ। कैसे होय होय मेरी आशा पूर।।-(दीन दास अस निश्चय धारी।तुमते होय सब आशा पूर।।) (प्रेमबिलास-शब्द-8-पृ.सं.11)
(3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा-कल से आगे।।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
**राधास्वामी!! 20-02-2021-
आज शाम सत्संग में पढ़ा गया बचन- परसों से आगे-( 160)- यदि मौलाना रूम के निम्नलिखित पदों के अर्थ पर विचार किया जाय तो ज्ञात होगा कि दोनों बचनों में एक ही उपदेश किया गया है:-
अबलहाँ ताजीम मस्जिद में कुन्नद। दर जफाए अहले दिल जद में कुनन्द।
आँ मजाजस्त ईं हकीकत ऐ खराँ! नेस्त मस्जिद जुज़ दुरूने सरवराँ। मस्जिदें को अन्दरूने ईओलियास्त। सिजदगाहे जुम्ला हस्त आँजा खुदास्त।
अर्थ - मूर्ख मस्जिद की प्रतिष्ठा तो करते हैं किंतु प्रेमियों को दुःख देते हैं। तुम्हारा मस्जिदों को सिजदा करना केवल मजाज़ी अर्थात् बहिर्मुखी कार्यवाही है और औलिया को सिजदा करना असली कार्रवाई है। औलियाओं के अंतर में जो मस्जिद है वही सबके लिए सिजदा करने का स्थान है अर्थात् वहीं सब को सिजदा करना उचित है क्योंकि वहाँ खुदा रहता है।।
🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻
यथार्थ प्रकाश- भाग दूसरा-
परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!**
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