**राधास्वामी!! 25-02-2021- आज सुबह सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) जग में घोर अँधेरा भारी।
तन में तम का भंडारा।।-
( सतगुरु संत कहें बहचतेरा। राह बतावें दस द्वारा।।)
( सारबचन-शब्द-12 वाँ- पृ. सं.273)
(2) दरस गुरु भाग से मिलिया। ओहो हो हो अहा हा हा।।
दया से संग में रलिया। ओहो हो हो अहा हा हा।।-
(दया राधास्वामी क्या गाऊँ। ओहो हो हो अहा हा हा।।
चरन पर नित्त बल जाऊँ। ओहो हो हो अहा हा.हा।।)
(प्रेमबानी-2-शब्द-11-पृ.सं. 412,413)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हुजूर मेहताजी महाराज-
भाग 1- कल का शेष:-
एक बात और याद रखिए कि आप साहबान में से किसी विद्यार्थी को अपने वार्डन साहब या मास्टर साहब की इजाजत के बगैर शहर में नहीं जाना चाहिए। खास कर जब जीवन की तमाम आवश्यक वस्तुएँ यहाँ मिल जाती है तो फिर शहर में जब तक कोई खास जरूरत न हो हरगिज़ नहीं जाना चाहिए।
आपकी सैर व मनोविनोद के लिए दयालबाग के बड़े अहाते व खेलने की फील्डस काफी है । आप सड़क पर या नहर के किनारे सैर व चहलकदमी कर सकते हैं। आपको अपना एक टाइम टेबल बनाना चाहिए और हर एक काम उसी के मुताबिक करना चाहिए। यहाँ पर सुबह वर्जिश का इंतजाम किया गया है , उसमें आप में से हर एक को शामिल होना चाहिए।
गरज यह है कि इस तरह अगर आप ज्यादा काम करेंगे और इन हिदायतो पर अमल करेंगे यानी खान पान, सैर, पढ़ना- लिखना और वर्जिश सब बातें कायदे और शऊर से करेंगे तो यकीनन आप यहाँ आने और यहाँ के इंस्टीट्यूशंस में पढ़ने का फायदा उठा सकेंगे और आपके माता-पिता आपको देखकर इस बात का यकीन करेंगे कि उन्होंने अपने लड़के को दयालबाग भेजकर अपने रुपए को ठीक खर्च किया और उनका लड़का हर तरह से बेहतर हो गया है।
अंत में हुजूर ने प्रिंसिपल साहबान को हिदायत की एक सब असिस्टेंट सर्जन रखा जावे जो इन विद्यार्थियों के स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रक्खें । हर विद्यार्थी का वजन हर महीने लिया जाया करें और देखा जाय कि विद्यार्थी स्वास्थ्य में किस कदर तरक्की करता है।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-
[भगवद् गीता के उपदेश]
- कल से आगे:-
जिस पुरुष के आत्मा नहीं बस में कर लिया है उसका मन दोस्त है और जिसके आत्मा ने मन बस में नहीं किया है उसका मन दुश्मन है।
जिस शख्स का मन बस में है और जो शांत है उसका परम आत्मा गर्मी सर्दी , दुख सुख और इज्जत बेज्जती की सूरतो में एकसा रहता है। जिस योगाभ्यासी ने ज्ञान और विज्ञान के द्वारा शांति हासिल कर ली है, जिनका मन पहाड़ की तरह स्थिर रहता है, जिसने इन पर फतह हासिल कर ली है, जिसके लिए क्या मिट्टी का ढेला क्या पत्थर का टुकड़ा और क्या सोना सामान है वही युक्त है अर्थात उसी का तार अंतर में जुड़ा है ।
जो अपने से मोहब्बत करने वालों, मित्रों, शत्रुओं, उदासीनो, मध्यस्थों, अपनो और परायों, धर्मात्माओं और पापियो से पक्षपातरहित बर्ताव करता है वह अति श्रेष्ठ है ।
योगी को चाहिये कि लगातार योगाभ्यास करें और अभ्यास करने के लिए एकांत में बैठे हैं और अपने मन और चित्त् को काबू में रक्ख कर आशा और लोभ को गलबा न होने दे।
【10】 क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हुजूर महाराज -
प्रेम पत्र- भाग 1- कल से आगे:-
गुरु कीजै जान। और पानी पीजै छान।
जिसने बेजाने और बेसमझे गुरु कर लिया उसे अंत में पछताना पड़ेगा।। आजकल के वंशावली गुरुओं का यह हाल है कि अपने चेले को वसीयत करते हैं कि बाद उनके मरने के उनको गया तीर्थ स्थान गया में अस्थियों को पहुँचिना) करें ताकि उनके जीव को स्वर्ग मिले ।
जब ऐसे गुरु मिले कि आप चेले की गया करने पर अपने जीव का कुछ कल्याण समझते हैं, तो अफसोस है ऐसी गुरुवाई के नाम पर और हजार अफसोस है ऐसे मूर्खों की समझ पर कि जो ऐसे नादानों को अपना गुरु बनाते हैं।
ऐसे गुरु और चेले जरूर संतों की और उनके सेवकों की निंदा करेंगे और उन निंदा के बचनों को वे जीव सुनेंगे और मानेंगे जो इन नादान और मूर्ख गुरु चेलों से भी बढ़कर मूर्ख निपट संसारी है। क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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