Tuesday, February 23, 2021

कर्मफल योग रहस्य

🙏🙏 कर्म फल देकर ही शांत होता है / कृष्ण मेहता 


*मानो कि एक आदमी ने पाप कर्म किया , उसके फलस्वरूप उसके एक दिन  भूखा रहने का प्रारब्ध निर्माण हुआ।  यह प्रारब्ध उसको किसी भी तरह छोड़ेगा नहीं,, प्रारब्ध भोगने के बिना क्रियमाण  कर्म शांत होता ही नहीं।* 


*अब अगर वह सत्वगुणी जीव है , तो वह एकादशी का व्रत करेगा, सारे दिन नारायण का स्मरण करेगा और उपवास करेगा और अपना प्रारब्ध भोग लेगा ।* 


*अगर वह आदमी रजोगुण है, तो एक दिन अपनी पत्नी बीमार पड़ेगी तो उसको अस्पताल में ले जाएगा, बारह  बजे तक अस्पताल में ही फंसा रहेगा,  बाद में भूखा प्यासा देर से ऑफिस में नौकरी के लिए दौड़ जाएगा। रात को देरी से घर आकर, बच्चों को व्याकुल देखकर, उनके सेवा करते-करते भूखा ही रात्रि को सो जाएगा और एक दिन भूखा रहने का प्रारब्ध भोग लेगा।*


*अगर वह आदमी तमोगुण जीव है ,तो वह दोपहर को भोजन के लिए बैठते ही "भोजन खराब बना है" कह कर थाली पटक कर अपनी पत्नी के साथ झगड़ा करेगा,,  मारपीट करेगा ,, भूखा प्यासा ऑफिस जाएगा ,, वहां भी सबके साथ झगड़ेगा ,, रात को फिर वापस घर आकर पत्नी बच्चों को मारपीट करके भूखा ही सो जाएगा ,, इस रीति से एक दिन भूखा रहने का प्रारब्ध भोग लेगा ।* 


*सतोगुणी जीव,,,,  व्रत उपवास करके एक दिन भूखा रहने का प्रारब्ध भोग लेगा, और साथ-साथ थोड़ा पुण्य भी प्राप्त कर लेगा,  जिसका नया क्रियमाण  निर्माण होता है।*


*रजोगुणी जीव ,,, पत्नी  बच्चों की सेवा चिंता में एक दिन भूखा रहकर प्रारब्ध भोग लेगा , वह न तो नया पुण्य पैदा करेगा,  न नया पाप प्राप्त करेगा ।* 


*तमोगुणी जीव,,,  क्लेश द्वारा एक दिन भूखा रहकर उस रीती से प्रारब्ध भोंगते हुए थोड़ा नया पाप भी पैदा करेगा,,,  जिससे उसका एक नया क्रियमाण  कर्म बनकर वह फिर पक कर प्रारब्ध  बन कर सामने खड़ा हो जाएगा,,,*


 *क्रियमाण कर्म,,,  पक कर फल स्वरुप प्रारब्ध बन कर सामने आता है , जो भोगना ही पड़ता है , किंतु सत्वगुनी  जीव,,, रजोगुणी जीव ,,, तमोगुणी जीव,  तीनों की  प्रारब्ध भोगने की रीती ऊपर बताई है,,,  इस प्रकार अलग अलग होती है।*


" कर्म फल देकर ही शांत होता है

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