देवी भागवत पुराण में 108, कालिका पुराण में 26 , शिवचरित्र में 51, दुर्गा सप्तशती और तंत्र चूड़ामणि में शक्तिपीठों की संख्या 52 बताई गई है। आमतौर पर 51 शक्तिपीठ माने जाते हैं। तंत्र चूड़ामणि में लगभग 52 शक्ति पीठों के बारे में बताया गया है। कहा जाता है कि इस शक्तिपीठों के दर्शन मात्र से ही हर मनोकामना पूरी हो जाती है।
1. *हिंगलाज*
कराची से 125 किमी दूर है। यहां माता का ब्रह्मरंध (सिर) गिरा था। इसकी शक्ति-कोटरी (भैरवी-कोट्टवीशा) है व भैरव को भीम लोचन कहते हैं।
2. *शर्कररे*
पाकिस्तान के कराची के पास यह शक्तिपीठ स्थित है। यहां माता की आंख गिरी थी। इसकी शक्ति- महिषासुरमर्दिनी व भैरव को क्रोधिश कहते हैं।
3 *सुगंधा*
बांग्लादेश के शिकारपुर के पास दूर सोंध नदी के किनारे स्थित है। माता की नासिका गिरी थी यहां। इसकी शक्ति सुनंदा है व भैरव को त्र्यंबक कहते हैं।
4. *महामाया*
भारत के कश्मीर में पहलगांव के निकट माता का कंठ गिरा था। इसकी शक्ति है महामाया और भैरव को त्रिसंध्येश्वर कहते हैं।
*ज्वाला जी*
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में माता की जीभ गिरी थी। इसे ज्वाला जी स्थान कहते हैं। इसकी शक्ति है सिद्धिदा (अंबिका) व भैरव को उन्मत्त कहते हैं।
*त्रिपुरमालिनी*
पंजाब के जालंधर में देवी तालाब, जहां माता का बायां वक्ष (स्तन) गिरा था। इसकी शक्ति है त्रिपुरमालिनी व भैरव को भीषण कहते हैं।
*वैद्यनाथ*
झारखंड के देवघर में स्थित वैद्यनाथधाम जहां माता का हृदय गिरा था। इसकी शक्ति है जय दुर्गा और भैरव को वैद्यनाथ कहते हैं।
*महामाया*
नेपाल में गुजरेश्वरी मंदिर, जहां माता के दोनों घुटने (जानु) गिरे थे। इसकी शक्ति है महशिरा (महामाया) और भैरव को कपाली कहते हैं।
*दाक्षायणी*
तिब्बत स्थित कैलाश मानसरोवर के मानसा के पास पाषाण शिला पर माता का दायां हाथ गिरा था। इसकी शक्ति है दाक्षायणी और भैरव अमर।
*विरजा*
ओडिशा के विराज में उत्कल में यह शक्तिपीठ स्थित है। यहां माता की नाभि गिरी थी। इसकी शक्ति विमला है व भैरव को जगन्नाथ कहते हैं।
*गंडकी*
नेपाल में मुक्ति नाथ मंदिर, जहां माता का मस्तक या गंडस्थल अर्थात कनपटी गिरी थी। इसकी शक्ति है गंडकी चंडी व भैरव चक्रपाणि हैं।
*बहुला*
पश्चिम बंगाल के अजेय नदी तट पर स्थित बाहुल स्थान पर माता का बायां हाथ गिरा था। इसकी शक्ति है देवी बाहुला व भैरव को भीरुक कहते हैं।
*उज्जयिनी*
पश्चिम बंगाल के उज्जयिनी नामक स्थान पर माता की दाईं कलाई गिरी थी। इसकी शक्ति है मंगल चंद्रिका और भैरव को कपिलांबर कहते हैं।
*त्रिपुर सुंदरी*
त्रिपुरा के राधाकिशोरपुर गांव के माता बाढ़ी पर्वत शिखर पर माता का दायां पैर गिरा था। इसकी शक्ति है त्रिपुर सुंदरी व भैरव को त्रिपुरेश कहते हैं।
*भवानी*
बांग्लादेश चंद्रनाथ पर्वत पर छत्राल (चट्टल या चहल) में माता की दाईं भुजा गिरी थी। भवानी इसकी शक्ति हैं व भैरव को चंद्रशेखर कहते हैं।
*भ्रामरी*
पश्चिम बंगाल के जलपाइगुड़ी के त्रिस्रोत स्थान पर माता का बायां पैर गिरा था। इसकी शक्ति है भ्रामरी और भैरव को अंबर और भैरवेश्वर कहते हैं।
*कामाख्या*
असम के कामगिरि में स्थित नीलांचल पर्वत के कामाख्या स्थान पर माता का योनि भाग गिरा था। कामाख्या इसकी शक्ति है व भैरव को उमानंद कहते हैं।
*प्रयाग*
उत्तर प्रदेश के इलाहबाद (प्रयाग) के संगम तट पर माता के हाथ की अंगुली गिरी थी। इसकी शक्ति है ललिता और भैरव को भव कहते हैं।
*जयंती*
बांग्लादेश के खासी पर्वत पर जयंती मंदिर, जहां माता की बाईं जंघा गिरी थी। इसकी शक्ति है जयंती और भैरव को क्रमदीश्वर कहते हैं।
*युगाद्या*
पश्चिम बंगाल के युगाद्या स्थान पर माता के दाएं पैर का अंगूठा गिरा था। इसकी शक्ति है भूतधात्री और भैरव को क्षीर खंडक कहते हैं।
*कालीपीठ*
कोलकाता के कालीघाट में माता के बाएं पैर का अंगूठा गिरा था। इसकी शक्ति है कालिका और भैरव को नकुशील कहते हैं।
*किरीट*
पश्चिम बंगाल के मुर्शीदाबाद जिला के किरीटकोण ग्राम के पास माता का मुकुट गिरा था। इसकी शक्ति है विमला व भैरव को संवत्र्त कहते हैं।
*विशालाक्षी*
यूपी के काशी में मणिकर्णिका घाट पर माता के कान के मणिजडि़त कुंडल गिरे थे। शक्ति है विशालाक्षी मणिकर्णी व भैरव को काल भैरव कहते हैं।
*कन्याश्रम*
कन्याश्रम में माता का पृष्ठ भाग गिरा था। इसकी शक्ति है सर्वाणी और भैरव को निमिष कहते हैं।
*सावित्री*
हरियाणा के कुरुक्षेत्र में माता की एड़ी (गुल्फ) गिरी थी। इसकी शक्ति है सावित्री और भैरव को स्थाणु कहते हैं।
*गायत्री*
अजमेर के निकट पुष्कर के मणिबंध स्थान के गायत्री पर्वत पर दो मणिबंध गिरे थे। इसकी शक्ति है गायत्री और भैरव को सर्वानंद कहते हैं।
*श्रीशैल*
बांग्लादेश के शैल नामक स्थान पर माता का गला (ग्रीवा) गिरा था। इसकी शक्ति है महालक्ष्मी और भैरव को शम्बरानंद कहते हैं।
*देवगर्भा*
पश्चिम बंगाल के कोपई नदी तट पर कांची नामक स्थान पर माता की अस्थि गिरी थी। इसकी शक्ति है देवगर्भा और भैरव को रुरु कहते हैं।
*कालमाधव*
मध्यप्रदेश के सोन नदी तट के पास माता का बायां नितंब गिरा था, जहां एक गुफा है। इसकी शक्ति है काली और भैरव को असितांग कहते हैं।
*शोणदेश*
मध्यप्रदेश के शोणदेश स्थान पर माता का दायां नितंब गिरा था। इसकी शक्ति है नर्मदा और भैरव को भद्रसेन कहते हैं।
*शिवानी*
यूपी के चित्रकूट के पास रामगिरि स्थान पर माता का दायां वक्ष गिरा था। इसकी शक्ति है शिवानी और भैरव को चंड कहते हैं।
*वृंदावन*
मथुरा के निकट वृंदावन के भूतेश्वर स्थान पर माता के गुच्छ और चूड़ामणि गिरे थे। इसकी शक्ति है उमा और भैरव को भूतेश कहते हैं।
*नारायणी*
कन्याकुमारी-तिरुवनंतपुरम मार्ग पर शुचितीर्थम शिव मंदिर है, जहां पर माता के दंत (ऊर्ध्वदंत) गिरे थे। शक्तिनारायणी और भैरव संहार हैं।
*वाराही*
पंचसागर (अज्ञात स्थान) में माता की निचले दंत (अधोदंत) गिरे थे। इसकी शक्ति है वराही और भैरव को महारुद्र कहते हैं।
*अपर्णा*
बांग्लादेश के भवानीपुर गांव के पास करतोया तट स्थान पर माता की पायल (तल्प) गिरी थी। इसकी शक्ति अर्पणा और भैरव को वामन कहते हैं।
*श्रीसुंदरी*
लद्दाख के पर्वत पर माता के दाएं पैर की पायल गिरी थी। इसकी शक्ति है श्रीसुंदरी और भैरव को सुंदरानंद कहते हैं।
*कपालिनी*
पश्चिम बंगाल के पूर्वी मेदिनीपुर के पास तामलुक स्थित विभाष स्थान पर माता की बायीं एड़ी गिरी थी। इसकी शक्ति है कपालिनी (भीमरूप) और भैरव को शर्वानंद कहते हैं।
*चंद्रभागा*
गुजरात के जूनागढ़ प्रभास क्षेत्र में माता का उदर गिरा था। इसकी शक्ति है चंद्रभागा और भैरव को वक्रतुंड कहते हैं।
*अवंती*
उज्जैन नगर में शिप्रा नदी के तट के पास भैरव पर्वत पर माता के ओष्ठ गिरे थे। इसकी शक्ति है अवंति और भैरव को लम्बकर्ण कहते हैं।
*भ्रामरी*
महाराष्ट्र के नासिक नगर स्थित गोदावरी नदी घाटी स्थित जनस्थान पर माता की ठोड़ी गिरी थी। शक्ति है भ्रामरी और भैरव है विकृताक्ष।
*सर्वशैल स्थान*
आंध्रप्रदेश के कोटिलिंगेश्वर मंदिर के पास माता के वाम गंड (गाल) गिरे थे। इसकी शक्ति है राकिनी और भैरव को वत्सनाभम कहते हैं।
*गोदावरीतीर*
यहां माता के दक्षिण गंड गिरे थे। इसकी शक्ति है विश्वेश्वरी और भैरव को दंडपाणि कहते हैं।
*कुमारी*
बंगाल के हुगली जिले के रत्नाकर नदी के तट पर माता का दायां स्कंध गिरा था। इसकी शक्ति है कुमारी और भैरव को शिव कहते हैं।
*उमा महादेवी*
भारत-नेपाल सीमा पर जनकपुर रेलवे स्टेशन के निकट मिथिला में माता का बायां स्कंध गिरा था। इसकी शक्ति है उमा और भैरव को महोदर कहते हैं।
*कालिका*
पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के नलहाटि स्टेशन के निकट नलहाटी में माता के पैर की हड्डी गिरी थी। इसकी शक्ति है कालिका देवी और भैरव को योगेश कहते हैं।
*जयदुर्गा*
कर्नाट (अज्ञात स्थान) में माता के दोनों कान गिरे थे। इसकी शक्ति है जयदुर्गा और भैरव को अभिरु कहते हैं।
*महिषमर्दिनी*
पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले में पापहर नदी के तट पर माता का भ्रुमध्य (मन:) गिरा था। शक्ति है महिषमर्दिनी व भैरव वक्रनाथ हैं।
*यशोरेश्वरी*
बांग्लादेश के खुलना जिला में माता के हाथ और पैर गिरे (पाणिपद्म) थे। इसकी शक्ति है यशोरेश्वरी और भैरव को चण्ड कहते हैं।
*फुल्लरा*
पश्चिम बंगला के लाभपुर स्टेशन से दो किमी दूर अट्टहास स्थान पर माता के ओष्ठ गिरे थे। इसकी शक्ति है फुल्लरा और भैरव को विश्वेश कहते हैं।
*नंदिनी*
पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के नंदीपुर स्थित बरगद के वृक्ष के समीप माता का गले का हार गिरा था। शक्ति नंदिनी व भैरव नंदीकेश्वर हैं।
*इंद्राक्षी*
श्रीलंका में संभवत: त्रिंकोमाली में माता की पायल गिरी थी। इसकी शक्ति है इंद्राक्षी और भैरव को राक्षेश्वर कहते हैं।
*अंबिका*
विराट (अज्ञात स्थान) में पैर की अंगुली गिरी थी। इसकी शक्ति है अंबिका और भैरव को अमृत कहते हैं।
No comments:
Post a Comment