**राधास्वामी!! 15-02-2021- आज सुबह सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) झँझरिया झाँको बिरह उमँगाय।।टेक।। मन इन्द्री घर बाह बिगाना। या में रहो अलसाय।।-(राधास्वामी कहा बुझाई। एक ठिकाना गाय।।) (सारबचन-शब्द-तीसरा-पृ.सं. 264,265)
(2) रँगीले रँग देव चुनर हमारी।।टेक।। ऐसा रंग रँगो किरपा कर। जग से हो जाय न्यारी।।-(राधास्वामी प्यारे मेहर करो अब। जल्दी लेव सुधारी।।) (प्रेमबानी-2-शब्द-2-पृ.सं.406,407)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हुजूर मेहताजी महाराज
- भाग 1- कल से आगे:-
और धन की सेवा करने का यह नतीजा होगा कि सत्संगियों की माली हालत आमतौर पर संतोषप्रद हो जाय और संगत के धन और पूँजी में वृद्धि हो जाय। अब आपको चाहिए कि इंडस्ट्रीज को उन्नति देने और बिजनेस को बढ़ाने के लिए तजवीजो और तदबीरों पर गौर करें और उन पर कारबंद हों।
आप के जो लड़के काम करने के काबिल हो आप उनको समझावें कि अपना वक्त बर्बाद न करें। जो भी फाजिल वक्त उनके पास है वह उसको किसी हुनर या दस्तकारी के सीखने में लगावें। इन विद्यार्थियों को सिखलाने के लिए मैनेजर साहब मॉडल इंडस्ट्रीज आजकल खासतौर से सहूलियत दे रहे हैं।
इन तरीकों पर कुछ अरसा अमल करने पर आप देखेंगे कि आपकी और तमाम संगत की माली हालत आमतौर पर संभल जावेगी। आपकी संगत में बेकारी नहीं रहेगी और इस तरह से संगत की आमदनी में तरक्की होगी। इसलिये जो तरीके अमल और जो स्कीम आपकी शारीरिक और आर्थिक दशा को दुरुस्त करने और आपको तन ,मन व धन के साथ सेवा करने के काबिल होने के लिए बनाई गई है?
आप उन सब पर मेरे बाहर दौरे पर चले जाने के बाद बदस्तूर अमल करते रहें और उससे फायदा उठावें मालिक आपके तन, मन, व धन की रक्षा करके आपको बढ़ कर सेवा करने का मौका देगा।
अगर आपकी राय में सुबह व्यायाम शुरू करने के वक्त देर हो जाती है और धूप तेज हो जाती है तो आप सुबह का सत्संग 15 मिनट पहले शुरू कर सकते हैं। ऐसा करने से सुबह व्यायाम करने के वक्त धूप ज्यादा तेज नहीं होने पावेगी और आपको व्यायाम करने में तकलीफ न होगी।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हजूर साहबजीम महाराज-
[ भगवद् गीता के उपदेश]
- कल से आगे:-
बाद श्रवण वगैरह ज्ञानेन्द्रियों की आहुति संयम की अग्नि में डालते हैं और बाद शब्द वगैरह इंद्रियों के विषयों की आहुति इन्द्रियों की अग्नि में बाज इंद्रियों और प्राणों के सब कर्मों की आहुति ज्ञान से हासिल की हुई चित्त की एकाग्रतारूपी योग की अग्नि में डालते हैं।
इनके अलावा बाद लोग, जिन्हें मन पर काबू हासिल है और जो इरादे के पक्के हैं, धन दौलत की या तप की या योग साधन की या शास्त्रों से विचार (स्वाध्याय) की या ज्ञान की आहुति डालते है। बाज स्वाँसो की चाल को काबू करके और स्वाँसो के साधन में तत्पर हो कर बाहर जाने वाले श्वाँस को अंदर आने वाले स्वाँस में और अंदर आने वाले स्वाँस को बाहर जाने वाले स्वाँस में आहुति डालते हैं।
इसी तरह बाथ बँधी खुराक खाने वाले अपने प्राणों की आहुति अपने प्राणों में ही डालते हैं मालूम हो कि यह सभी लोग यज्ञ कर्म के वाकिफ और यज्ञ के जरिए उन्होंने अपने पापों का नाश कर लिया है।【30】
क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हुजूर महाराज-
प्रेम पत्र- भाग 1- कल से आगे :-
इसी तरह बहुत से ऊँची जात वाले लोग गोश्त और शराब खाने-पीने के वास्ते डाकबांग्ला और अंग्रेजी होटल यानी मुसाफिर घर में जहाँ मुसलमान बावर्ची सब तरह का गोश्त और खाना पकाते हैं, जाकर खाना खाते हैं और बेखौफ इस काम में बर्ताव करते हैं।
बाजे गोश्तवालों की दुकान से गोश्त और कबाब( गोश्त खास तरह से पकाया हुआ) खरीद करके औरतों को अपने मकान पर लाकर खाते हैं। इन लोगों पर कोई बिरादरी के लोग तान नहीं मारते हैं, और न उन्हें उनको इस काम से रोकने का जतन करते हैं ।।
और बहुतेरे ऊँची जातवाले नौकरी की हालत में उन चीजों को जिनका छूना उनकी बिरादरी में पाप और निहायत नापाक समझा जाता है, रोजमर्रा अपने हाथ से उठाते और धरते हैं और वे जो काम उन्हें नहीं करने चाहिए हर रोज करते हैं, और कुछ छूत उनमें नहीं मानते ।
पर परमार्थ के स्थान में पहुंच कर और सच्चे परमार्थियों से बातचीत करने के वक्त बड़ा अहंकार अपनी जात का दिखाते हैं और अपने तईं महा पवित्र समझते हैं । और धन के लिए नीच से नीच जगह पर दीनता और अधीनता के साथ बर्ताव करते हैं, लेकिन परमार्थ के फायदे के वास्ते कभी सिर भी नहीं झुकाते और जो कुछ लाभ (स्वार्थी) न होवे तो ऐसी जगह कदम भी नहीं रखते।
फिर जो लोग की गुरु भक्ति अपने जीव के कल्याण के वास्ते कर रहे हैं उनको अपनी भक्ति की चाल के बर्ताव में मूर्ख और नादान और परमार्थ के विरोधी जीवो द्वारा की गई निंदा का ख्याल करना किस तरह दुरुस्त हो सकता है। क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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