**राधास्वामी!! 26-02-2021- आज शाम सतसंग मे पढे गये पाठ:-
(1) सुरतिया हरष रही।
निरखत गुरु चरन बिलास।।
जो अस दुर्लभ भक्ति कमावे।
जावे निज घर बिन परियास।।-
(दया करी राधास्वामी प्यारे। घट घट कीन्हा प्रेम प्रकाश।।)
(प्रेमबानी-4-शब्द-12-पृ.सं.117,118)
(2) सतगुरु मेरे पियारे।
गुरु रूप धर के आये।
एक छिन में आप मुझको।
चरनन लिया लगाये।।
हे दयाल दाता सन्ती। चित धारो मेरी चिन्ती।
ऐसी दया कराओ। औसर न जाने पाये।।
-(अँग अँग से अब हरख कर। चरनों पै सीस धर कर।
राधास्वामी नाम गाऊँ।
जिध आप मुझ चिताये।।)
(प्रेमबिलास-शब्द-11-पृ.सं.15)
(3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा-कल से आगे।।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
आज शाम सत्संग में पढ़ा गया बचन-
कल से आगे:- (167)-
प्रश्न- ६- व्यर्थ है। पहले यह लिखा था कि आदि में "आपहि आप न दूसरे कोई" अर्थात वह आप ही आप था और अब उस "आप ही आप" के लिए 'स्वामी' शब्द प्रयुक्त किया गया है। इन दोनों बातों में कुछ भेद नहीं है।।
( 168)-प्रश्न-७- ब्रह्मा, विष्णु ,महेश की कलाएँ जब संसार में प्रकट हुई तो वे मनुष्य कहलाई। वास्तव में यह कालपुरुष की तीन चेतन धारों के केंद्रों के नाम है। श्रीमद्भागवत गीता के ग्यारहवें सकंद के चौथे अध्याय में लिखा है-" पहले उन्ही( विराट पुरुष) के रजोगुण से सृष्टिकार्य के लिए ब्रह्मा और सतोगुण से पालन कार्य के लिए यज्ञपति और द्विजधर्म की मर्यादा रूप बिष्णु,एवं तमोगुण से सहांर कार्य के लिये रूद्र ( शिव) उत्पन्न हुए हैं जिन से प्रजागण की सृष्टि, पालन, और संहार सर्वदा इसी प्रकार होता रहता है।
वहीं आदिपुरुष नारायण हैं। (श्लोक ५)"। जोकि प्रकृति के तीन गुण इन्ही तीन धारों की क्रिया से प्रकट हुए हैं इसलिए वे भी इन्हीं नामों से प्रसिद्ध हुए।।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻 यथार्थ प्रकाश- भाग दूसरा-
परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
No comments:
Post a Comment