Friday, February 21, 2020

आज 21-02-2020 शाम के सत्संग मैं बचन और पाठ




प्रस्तुति - उषा रानी /
राजेंद्र प्रसाद सिन्हा

(21/02, 15:14]

91 94162 65214: *राधास्वामी!! 21-02-2020-
[21/02, 15:14] +91 94162 65214: *राधास्वामी!! 21-02-2020-
आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ:-


 (1) सुन सुन महिमा गुरु प्यारे की। हुई मैं दरस दिवानी रे।। (प्रेमबानी-3,शब्द-4,पे.न.178) (2) स्वामी मेहर बिचार बचन धीरज अस बोले। सुनहु भेद अब सार कहत हूँ तुमसे खोले।। एक जतन यह होय चढे वह तरवर ऊपर। या फल नीचे आय पडे तरवर से गिर कर।। (प्रेमबिलास-शब्द -72,पे.न.99) (3) सतसंग के उपदेश-भाग तीसरा-कल से आगे:- 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻*


[21/02, 15:14] +91 94162 65214: **राधास्वामी!!
 21-02- 2020-
 आज फिरशाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन-

कल से आगे-( 64 )

 कहने के लिए राधास्वामी मत का उपदेश तीन फिकरों में हो सकता है यानी (1) ऐ मनुष्य ! तेरे अंदर असली जोहर तेरी सुरत या रुह है, (2) तेरी सुरत सच्चे मालिक का अंश है और (3) तू अब कोशिश करके सुरतरूप हो जा । लेकिन इस उपदेश पर अमल करने के लिए सच्चे भेदी गुरु की और खुद सुरतरूप बनने की सच्ची इच्छा की जरूरत है । इसलिए जिनको सच्चे सतगुरु मिल गए या जिनके हृदय में सुरतरूप होने की सच्ची इच्छा मौजूद है वही इस मत से लाभ उठा सकते हैं । जो लोग अपनी वर्तमान दशा में प्रसन्न हैं उनके लिए राधास्वामी मत का उपदेश बेसुध है । न वे सतगुरु की खोज करेंगे, ना उन्हें सतगुरु मिलेंगे और ना ही उनसे सुरतरुप होने का साधन बन पड़ेगा।🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻 सत्संग के उपदेश- भाग तीसरा।**आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ:-   
                      (1) सुन सुन महिमा गुरु प्यारे की। हुई मैं दरस दिवानी रे।।    (प्रेमबानी-3,शब्द-4,पे.न.178)                                                       (2) स्वामी मेहर बिचार बचन धीरज अस बोले। सुनहु भेद अब सार कहत हूँ तुमसे खोले।।                                                    एक जतन यह होय चढे वह तरवर ऊपर। या फल नीचे आय पडे तरवर से गिर कर।।              (प्रेमबिलास-शब्द -72,पे.न.99)                                                            (3) सतसंग के उपदेश-भाग तीसरा-कल से आगे:-                                                         🙏🏻राधास्वामी🙏🏻*
[21/02, 15:14] +91 94162 65214: **राधास्वामी!! 21-02- 2020- आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे-( 64 ) कहने के लिए राधास्वामी मत का उपदेश तीन फिकरों में हो सकता है यानी (1) ऐ मनुष्य ! तेरे अंदर असली जोहर तेरी सुरत या रुह है, (2) तेरी सुरत सच्चे मालिक का अंश है और (3) तू अब कोशिश करके सुरतरूप हो जा । लेकिन इस उपदेश पर अमल करने के लिए सच्चे भेदी गुरु की और खुद सुरतरूप बनने की सच्ची इच्छा की जरूरत है । इसलिए जिनको सच्चे सतगुरु मिल गए या जिनके हृदय में सुरतरूप होने की सच्ची इच्छा मौजूद है वही इस मत से लाभ उठा सकते हैं । जो लोग अपनी वर्तमान दशा में प्रसन्न हैं उनके लिए राधास्वामी मत का उपदेश बेसुध है । न वे सतगुरु की खोज करेंगे, ना उन्हें सतगुरु मिलेंगे और ना ही उनसे सुरतरुप होने का साधन बन पड़ेगा।🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻 सत्संग के उपदेश- भाग तीसरा।**

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