[07/02, 16:30] +91 79090 13535: 💥💥💥💥💥
*07-02- 2020 -आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे-*
( 50) मुक्ति प्राप्त करने के दो तरीके हैं। अपने हाथ पांव मार कर अधिकार पैदा करना या सच्चे सतगुरु की शरण लेना । पहला तरीका कठिन है लेकिन असंभव नहीं है। दूसरा तरीका सुगम है लेकिन भय से पूर्ण है क्योंकि अगर किसी साधारण पुरुष की शरण धारण कर ली गई जो मन व शरीर का दास है और जिसके अंदर सुरत सोई हुई है तो सारी उम्र बर्बाद जाएगी और गलत आशा की वजह से अपने हाथ पाव चलाने का अवसर भी न मिलेगा, अलबत्ता अगर किसी को सच्चे सतगुरु मिल जावे तो उनकी शरण धारण करने से बढ़कर रसीला और आसान कोई दूसरा रास्ता हो ही नहीं सकता। इसलिये हर शख्स पर फर्ज है कि अपने लिए मुनासिब रास्ता चुने और जो रास्ता पसंद आवे उसपर सावधानी से चले। सबसे उत्तम यह होगा कि मनुष्य अपने हाथ पाँव भी चलावे और खोज करके सच्चे सतगुरु की शरण भी धारन करें ।
राधास्वामी
(सत्संग के उपदेश -भाग तीसरा)
[07/02, 16:30] +91 79090 13535: 💥💥💥💥 *07-02-2020-आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-*
*(1) अरी हे सहेली प्यारी, गुरु का ध्यान सम्हारों, मनमुखता सहज नसावे।।टेक।।*
*(2)आज आरती करूँ सजाई। उमँग प्रेम मेरे अधिक समाई।। बीना धुन सुन अधिक हरषती। झूम झूम पग आगे धरती।।*
*(प्रेमबिलास-शब्द66,पे.न.88)*
*(3)सतसंग के उपदेश-भाग तीसरा।*
राधास्वामी
*07-02- 2020 -आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे-*
( 50) मुक्ति प्राप्त करने के दो तरीके हैं। अपने हाथ पांव मार कर अधिकार पैदा करना या सच्चे सतगुरु की शरण लेना । पहला तरीका कठिन है लेकिन असंभव नहीं है। दूसरा तरीका सुगम है लेकिन भय से पूर्ण है क्योंकि अगर किसी साधारण पुरुष की शरण धारण कर ली गई जो मन व शरीर का दास है और जिसके अंदर सुरत सोई हुई है तो सारी उम्र बर्बाद जाएगी और गलत आशा की वजह से अपने हाथ पाव चलाने का अवसर भी न मिलेगा, अलबत्ता अगर किसी को सच्चे सतगुरु मिल जावे तो उनकी शरण धारण करने से बढ़कर रसीला और आसान कोई दूसरा रास्ता हो ही नहीं सकता। इसलिये हर शख्स पर फर्ज है कि अपने लिए मुनासिब रास्ता चुने और जो रास्ता पसंद आवे उसपर सावधानी से चले। सबसे उत्तम यह होगा कि मनुष्य अपने हाथ पाँव भी चलावे और खोज करके सच्चे सतगुरु की शरण भी धारन करें ।
राधास्वामी
(सत्संग के उपदेश -भाग तीसरा)
[07/02, 16:30] +91 79090 13535: 💥💥💥💥 *07-02-2020-आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-*
*(1) अरी हे सहेली प्यारी, गुरु का ध्यान सम्हारों, मनमुखता सहज नसावे।।टेक।।*
*(2)आज आरती करूँ सजाई। उमँग प्रेम मेरे अधिक समाई।। बीना धुन सुन अधिक हरषती। झूम झूम पग आगे धरती।।*
*(प्रेमबिलास-शब्द66,पे.न.88)*
*(3)सतसंग के उपदेश-भाग तीसरा।*
राधास्वामी
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