*जो मालिक को देना है, छप्पर फाड़ के देगा*
*परम गुरु हुज़ूर प्रोफ़ेसर प्रेम सरन सतसंगी साहब द्वारा फ़रमाया अमृत बचन*
25.10.2019 - सायं सतसंग में
(पिछले दिन का शेष)
*वैसे ही जिसने उपदेश इस जीवन में नहीं लिया, उसको कई जीवन बिताने पड़ेंगे, उपदेश मिलेगा, सब कर्मों का भार चुकता हो जाएगा, तब उद्धार होता है।* पहले ब्रह्माण्ड में पहुँचे, फिर उसके बाद ब्रह्माण्ड में मानसरोवर में गए जो threshold पर है, महाप्रलय के बाद और उस स्थान में भी वर्णन है हँस और हँसनियों का। तो हँस पहले निर्मल चेतन देश में पहुँच जाते हैं, हँसनियाँ कुछ अन्तराल के बाद, वह भी हँस बन जाते हैं और वह भी पहुँच जाते हैं। तो स्त्री पुरुष दोनों ही पहुँचते हैं, पर जैसा कहा जाता है कि देवी-देवताओं के नाम तो आप ब्रह्माण्ड तक ही पाते हैं, उसके आगे सत्तपुरुष होते हैं। *तो यह नहीं कि इस चोले में जो स्त्रियाँ हैं, उनका उद्धार नहीं होता, उनका भी उद्धार होता है। उनके कर्म उन्होंने यहीं काट दिए, तो बहुत थोड़े समय के लिये उनका मानसरोवर में हँसनी के रूप में रहना होता है। फिर वह भी हँस बन कर के निर्मल चेतन देश में स्थान प्राप्त करते हैं। तो इसलिए उनको कोई कमी नहीं होती। स्त्रियों का मान-सम्मान करना आदर्श बताया जाता है।*
राधास्वामी
*परम गुरु हुज़ूर प्रोफ़ेसर प्रेम सरन सतसंगी साहब द्वारा फ़रमाया अमृत बचन*
25.10.2019 - सायं सतसंग में
(पिछले दिन का शेष)
*वैसे ही जिसने उपदेश इस जीवन में नहीं लिया, उसको कई जीवन बिताने पड़ेंगे, उपदेश मिलेगा, सब कर्मों का भार चुकता हो जाएगा, तब उद्धार होता है।* पहले ब्रह्माण्ड में पहुँचे, फिर उसके बाद ब्रह्माण्ड में मानसरोवर में गए जो threshold पर है, महाप्रलय के बाद और उस स्थान में भी वर्णन है हँस और हँसनियों का। तो हँस पहले निर्मल चेतन देश में पहुँच जाते हैं, हँसनियाँ कुछ अन्तराल के बाद, वह भी हँस बन जाते हैं और वह भी पहुँच जाते हैं। तो स्त्री पुरुष दोनों ही पहुँचते हैं, पर जैसा कहा जाता है कि देवी-देवताओं के नाम तो आप ब्रह्माण्ड तक ही पाते हैं, उसके आगे सत्तपुरुष होते हैं। *तो यह नहीं कि इस चोले में जो स्त्रियाँ हैं, उनका उद्धार नहीं होता, उनका भी उद्धार होता है। उनके कर्म उन्होंने यहीं काट दिए, तो बहुत थोड़े समय के लिये उनका मानसरोवर में हँसनी के रूप में रहना होता है। फिर वह भी हँस बन कर के निर्मल चेतन देश में स्थान प्राप्त करते हैं। तो इसलिए उनको कोई कमी नहीं होती। स्त्रियों का मान-सम्मान करना आदर्श बताया जाता है।*
राधास्वामी
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