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18-02-2020
-आज शाम के सतसंग में पढा गया बचन-कल से आगे-
(61) जीवों के कल्याण के निमित्त मालिक बहुत से अजीब व गरीब इंतिजाम करता है और उनमें से एक यह भी है कि वह अपने निज अंशो को संसार के अंधेरे से अंधेरे कोनों में जन्म दिलवाता है। जन्म पाकर वे निज अंशे स्वभाविक तौर पर अनेक लोगों से संबंध पैदा करते हैं जिससे वे लोग मालिक की दया के अधिकारी बन जाते हैं ।। निज अंशो के जन्म धारण करने के नियम यकायक समझ में नहीं आ सकते। जैसे जोर की आंधी चलने से किसी देश के किसी फल का बीज उड़कर दूर फासले पर किसी दूसरे देश में चला आवे और नामालूम तौर पर परवरिश पाकर वृक्ष रूप बन जावे और फल देने लगे तो कोई इस वृक्ष को देखकर तहकीक तौर से यह नहीं कह सकता कि इसका बीज वह कैसे आया और कैसे जड़ पकड़ गया क्योंकि किसी मनुष्य की बुद्धि ने इस काम में हिस्सा नहीं लिया है। ऐसे ही निज अंशों के जन्म के संबंध में कुदरत जाने से गुप्त लेकिन पूरा इंतजाम होने से आम लोग इसका भेद समझाने में लाचार रहते हैं ।मालिक ने एक तरफ तो दंड यानी सजा के नियम बनाए हैं और दूसरी तरफ दया यानी बख्शिश के जिनके प्रताप से संसार का निर्वाह हो जाता है और उसके अंधेरे से अंधेरे कोने में आध्यात्मिकता का प्रकाश पहुंच जाता है।
राधास्वामी
सत्संग के उपदेश-भाग तीसरा
प्रस्तुति - दीपा शरण /रीना शरण
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