प्रस्तुति - कृति शरण
**राधास्वामी!! 02-04-2020- आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-
(1) सरन गुरु धार री धर दृढ परतीत।।टेक।। (प्रेमबानी-3-शब्द-2,पृ.सं.209)
(2) संत की महिमा कहूँ गाई। पिरेमी जन सुन हर्षाई।। दया जिव निसदिन पाले संत। बहुत जिव भार उठावे संत।। (प्रेमबिलास-शब्द-91,पृ.सं.131)
(3) सतसंग के उपदेश-भाग तीसरा-कल से आगे।। 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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*राधास्वामी!! 02-04 -2020-
आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन - कल से आगे -(98 ) यह स्थूल देश सुरत का निर्देश नहीं है । यह देश उस मसाले का बना है जिससे हमारा स्थूल शरीर तैयार हुआ है। हमारी सुरत अपनी चेतनता सर्फ करके यहां के मसाले को जान देती है वरना यह बिल्कुल जड है । इसी मानी में इसको खारी पानी का सागर कहा जाता है । जब से मनुष्य ने इस देश में कदम रखा है बराबर कोशिश हो रही है कि इस देश को सुख का सागर बनाया जावे। मनुष्य ने इस अरसे में तरह-तरह के ईजादे भी की और तरकीबे भी निकाली जिनकी वजह से किस्म किस्म की तजवीजें जहूर में आई और मुख्तलिफ नमूनों की हुकूमते कायम हुई लेकिन इसके खारीपन में जरा भी फर्क नहीं आया और यहां की तकलीफें बराबर तरक्की कर रही है। यह हालत देखकर हर समझदार मनुष्य का फर्ज हो जाता है कि निर्मल चेतन देश में, जो हमारी सुरत का निज देश है पहुंचने की फिक्र करे। वहां पहुंचने ही पर सूरत को अपने निज अंगो में बरतने और सच्चा सुख भोगने का मौका मिलेगा।🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻 सत्संग के उपदेश भाग तीसरा**
राधास्वामी
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