Friday, April 3, 2020

दयालबाग 03/04 शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन




प्रस्तुति - संत शरण /
रीना शरण /अमी शरण

**राधास्वामी!! 03-04-2020-   
                
आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ:-                                                                           
 (1)  हठीला मनुआँ माने न बात।। टेक।। (प्रेमबानी-3-शब्द-3,पृ.सं. 211)                                                                                     
  (2) मेरे प्यारे बहिन और भाई। क्यों आपस में तुम झगडो। रलमिल कर सतसंग करना।। (प्रेमबिलास-शब्द-92-पृ.सं.132)                                 
 (3) सतसंग के उपदेश-भाग तीसरा-कल से आगे।।            🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

**राधास्वामी!!  03-04 -2020- 
                   

आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे -(99 ) अगर इंसान आंख खोल कर देखें तो उसे सहज में समझ आ जाए कि वह कोई नई चीज पैदा नहीं कर सकता। वह सिर्फ यह कर सकता है कि मालिक की पैदा की हुई चीजों की जोड़-तोड़ करके उन्हें अपने लिए मुफीद बना ले। अक्लमंद सृष्टिनियमों का मुताला करके उनसे काम लेते हैं । इंसान ने जितने पदार्थ कलाकौशल से तैयार किए हैं ।इसी तरीके से किए हैं। रेलगाड़ी , तारबर्की, हवाई जहाज इंसान की बनाई हुई चीजें हैं लेकिन इनके अंदर लोहा, पीतल, लकड़ी वगैरह जो कुछ लगता है वह सब और उनके चलाने के लिए जो कोयला, तेल ,पानी वगैरह इस्तेमाल होते हैं वे सब मालिक ही की कुदरत के पैदा किए हुए हैं। यह बात समझ में आ जाने पर किसी के लिए यह मान लेना मुश्किल ना होना चाहिए का इसको मोक्ष दिलाने के लिए भी मालिक ही की जानिब से सब सामान मुहैया होते हैं। अकलमंद इन सामानों से वाकिफ फायदा उठाते हैं और दूसरों को फायदा उठाने का मौका देते हैं लेकिन मुर्ख अहंकार बस उनकी जानिब तवज्जुह नहीं करते और उनके फायदे से महरूम ( खाली ) रहते हैं।।       

    🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻 सत्संग के उपदेश- भाग तीसरा**



**राधास्वामी!! 03-04-2020-     
            
   आज शाम (दोबारा) के सतसंग में पढे गये पाठ-                                                         
 (1) कठोरा मनुआँ सुने न बैन।।टेक।। (प्रेमबानी-3-शब्द-4,पृ.सं. 212)                                                                                     
(2) मेरे प्यारे बहिन और भाई। क्यों आपस में तुम झगडो। रलमिल कर सतसंग करना ।।टेक।। सहजहि देखा होत उधारा। प्रिय लागा सतसँग ब्योहारा। कुल मालिक का मिलना।। (प्रेमबिलास-शब्द-92,पृ.सं. 133)                                                                               
  (3) सतसंग के उपदेश-भाग तीसरा-कल से आगे।।             
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

**राधास्वामी!! 03-04-2020-   
             

  आज शाम के सतसंग में पढा गया बचन-

पहले से आगे-(100)-


बहुत से लोग कहते हैं कि व्यासजी ने वेदांत शास्त्र रच कर संसार को निहाल किया ,सो दुरुस्त है और बाज कहते हैं कि जिस विद्या का व्यासजी ने उपदेश किया, जर्मन
फिलास्पर कैंट ने उसको संपूर्ण यानी मुकम्मल किया, यह जरा बढ़की बात है। इतना जरूर है कि कैंट ने इसवैज्ञानिक रीती से विचार करके  वेदांत की शिक्षाओं की खूब पुष्टि की है लेकिन दोनों के उपदेश विचार ही की हद के अंदर रहे।
मगर हुजूर राधास्वामी दयाल ने सुरत शब्द अभ्यास की युक्ति प्रकट करके जीवो को वह तरीका बतलाया जिसके जरिए वेदांत की तालीम की असली व सच्ची जांच हो सकती है ।

बिला ऐसी जांच व आजमाइश के दोनों का उपदेश कच्चा ही था। इसके बगैर इंसान तहकीक तौर पर नहीं जान सकता था कि सुरत या आत्मा सच्चे मालिक का अंश है और अंशी व अंश में भेद नहीं है और यह जगत मिथ्या व भ्रममात्र है ।

 दलीले अक्ली से सिर्फ नतीजा निकाला जा सकता है लेकिन प्रत्यक्ष ज्ञान हासिल नहीं होता, प्रत्यक्ष ज्ञान के लिए आध्यात्मिक साधन लाजमी है ।

🙏🏻राधास्वामी 🙏🏻       

      सत्संग के उपदेश -भाग तीसरा।**





राधास्वामी!! 03-04-2020-     

              

आज शाम के सतसंग में पढा गया बचन-

पहले से आगे-(100)-


बहुत से लोग कहते हैं कि व्यासजी ने वेदांत शास्त्र रच कर संसार को निहाल किया ,सो दुरुस्त है और बाज कहते हैं कि जिस विद्या का व्यासजी ने उपदेश किया, जर्मन फिलास्पर कैंट ने उसको संपूर्ण यानी मुकम्मल किया, यह जरा बढ़की बात है। इतना जरूर है कि कैंट ने इसवैज्ञानिक रीती से विचार करके  वेदांत की शिक्षाओं की खूब पुष्टि की है लेकिन दोनों के उपदेश विचार ही की हद के अंदर रहे। मगर हुजूर राधास्वामी दयाल ने सुरत शब्द अभ्यास की युक्ति प्रकट करके जीवो को वह तरीका बतलाया जिसके जरिए वेदांत की तालीम की असली व सच्ची जांच हो सकती है । बिला ऐसी जांच व आजमाइश के दोनों का उपदेश कच्चा ही था। इसके बगैर इंसान तहकीक तौर पर नहीं जान सकता था कि सुरत या आत्मा सच्चे मालिक का अंश है और अंशी व अंश में भेद नहीं है और यह जगत मिथ्या व भ्रममात्र है । दलीले अक्ली से सिर्फ नतीजा निकाला जा सकता है लेकिन प्रत्यक्ष ज्ञान हासिल नहीं होता, प्रत्यक्ष ज्ञान के लिए आध्यात्मिक साधन लाजमी है ।

 🙏🏻राधास्वामी 🙏🏻       

       सत्संग के उपदेश -भाग तीसरा।राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
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