Saturday, April 11, 2020

आज 11/04को दयालबाग में सुबह - शाम का सत्संग




 **राधास्वामी!!
11-04-2020-                     आज सुबह के सतसंग में पढे गये पाठ-                                                                                 (1) राधास्वामी लिया अपनाय सखी री। शोभा अद्भुत आज लखी री।। राधास्वामी अतिकर दयाल हुए री। राधास्वामी दया जम काल मुए री।। (सारबचन-शब्द-पाँचवा-पृ.सं.73)                                                                       
 (2) सुरतिया नाच रही। चढ गगन शब्द सुन तान।। (प्रेमबानी-2,शब्द-99-पृ.सं.220)                                   
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
[11/04, 14:58] +91 94162 65214: **राधास्वामी!! 11-04-2020-                     
आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-                                                                             
 (1)  आज गुरु आये जीव उबारन। आरत उनके सन्मुख वारन।। (प्रेमबानी-3,शब्द-4,पृ.सं. 219)                                                                                                                         
 (2)  राधास्वामी आय प्रगट हुए जग में। राधास्वामी मोहि मिलाया सँग में।। (प्रेमबिलास-शब्द-98,पृ. सं. 140)                                                                           
 (3) सतसंग के उपदेश-भाग तीसरा-कल से आगे।।                 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

**राधास्वामी!! 11-04 -2020 -               

आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन -कल से आगे-( 106 ) पांच बातें हर प्रेमी जन को भली प्रकार समझ लेना चाहिए- अव्वल यह कि अगर हमारे शरीर से वे सब चीजें खारिज कर दी जावे,जो तब्दील होने वाली हैं, तो आखिर में जो एक रस कायम रहने वाला जौहर रह जाता है वही हमारा निज आपा, हमारी जान और हमारी सुरति या रूह है।

दोयम् यह  कि इस जोहर का मखजन या भंडार यानी वह कुल, जिसका वह जुज है, सच्चा मालिक है और उसी को राधास्वामी दयाल कहते हैं। सोयम यह कि जैसे पानी का हर कतरा कुदरतन अपने भंडार यानी समुद्र मे वापस जाया चाहता है वैसे ही हर रुह का रुख भी अपने भंडार यानी सच्चे मालिक की जानिब है।

 चहारम् यह कि न सिर्फ रूहों के अंदर सच्चे मालिक से वसूल हासिल करने का शौक है बल्कि वह सच्चा मालिक भी आरजूमंद है कि तमाम रूहे उसकी आगोश( गोद) में आ जावें और पंजम् यह कि मालिक की जानिब से यह इंतजाम है कि वक्त मुनासिब पर उससे रूहानी धार प्रकट होकर पृथ्वी पर उतरती है और सतगुरुरूप धारण करके जीवो को निज भंडार से वसल हासिल करने का तरीका सिखलाती है और जो सुरते आमादह होती है उन्होंने वस्ल हासिल करने  में पूरी मदद  देती है।

 जिस किसी को भाग्य से ऐसे सतगुरु मिल जावें उसे चाहिए कि उनकी शरण ले कर अपना काम बनावे ।।     

    दोहा:-"

नारी पुरुष सब ही सुनो बहुमूल्य यह भेद।

प्रेमसहित गुरुदरश से मिटें सकल जिवखेद।।


🙏🏻 राधास्वामी 🙏🏻                 

सत्संग के उपदेश भाग तीसरा।**


राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी।।।।। 

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