Friday, April 10, 2020

आज 11/ 04 मंगलमय मुबारक हो।



प्रस्तुति - कृष्ण मेहता:

शक्ति का अपव्यय और बुद्धि का दुरुपयोग न करो

*

जो कुछ करो उसे पहले भली प्रकार सोच - विचार लो ; क्योंकि अच्छा या बुरा जो कुछ कर्म होगा उसका फल भुगतना पड़ेगा। पूर्व कर्मानुसार ही शक्ति और बुद्धि प्राप्त होती है। हमारा कर्त्तव्य है कि शक्ति का अपव्यय और बुद्धि का दुरुपयोग न करें।

सदाचार पूर्वक धर्माचरण करते हुए हम अपने लौकिक जीवन को भी सुखी बना सकते हैं और परलोक तो बनता ही है। कोई ईश्वर के अस्तित्व को नहीं मानता तो न माने, परन्तु यदि वह संसार में सुख - शांति का साम्राज्य देखना चाहता है तो अन्य जीवों को भी अपने समान समझना पड़ेगा। इस प्रकार भी धर्मिक सिद्धान्तों का पालन उसे करना ही चाहिये।

मनुष्य अधिकांश संगति से ही सीखता है। अच्छि या बुरी जैसी संगति होगी वैसी ही बातें वह सीखेगा। विशेष बात तो यह है कि मनुष्य अपने साथ वालों को जैसा आचरण करते देखता है वैसा ही यत्किंचित् अंशों में जाने या अनजाने स्वयं भी करने लगता है। सिद्धान्त है कि संगति के अनुसार ही मनुष्य के आचार - विचार होते हैं। अतः यदि कोई कुसंग में पड़ गया तो वह आचार - विचारों से भ्रष्ट होकर न केवल अपने ही पतन का कारण होगा अपितु अपने संपर्क में आने वालों को भी ले डूबेगा। इसीलिये प्रयत्न करके सत्संग करना चाहिये।

-ब्रह्मलीन जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती जी।

||जय श्री राम||
[11/04, 08:03] Morni कृष्ण मेहता: राधे - राधे ॥आज का भगवद् चिंतन॥
         
शास्त्रों ने सेवा के तीन प्रकार बताये हैं।मनुष्य तीन प्रकार से समाज की सेवा कर सकता है।

तनुजा सेवा अथवा तन से सेवा -
तन से हम समाज की अनेक तरह से सेवा कर सकते हैं। कहीं कोई समाज सेवा का कार्य चल रहा हो तो वहाँ जुड़कर अपनी सामर्थ्य के अनुसार कोई भी कार्य कर सकते हैं।

किसी प्यासे को पानी पिला देना, किसी असहाय को उसके गंतव्य तक पहुँचा देना, कभी-कभी किसी सार्वजनिक स्थल पर साफ सफाई कर देना या कम से कम समय मिलने पर वृक्षारोपण ही कर देना ये सारी सेवाएं तन द्वारा की जानें वाली समाज सेवा ही है।

वित्तजा सेवा अर्थात् धन से सेवा
किसी भी सामाजिक अथवा पारमार्थिक कार्य में धन की अहम भूमिका होती है। पानी पीने के लिए प्याऊ की व्यवस्था करना, यथा सामर्थ्य अन्न दान - वस्त्र दान करना। निशुल्क चिकित्सा प्रदान करना, निशुल्क विद्यालयों का निर्माण करने के साथ-साथ धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन जैसे अनेकानेक सेवा कार्य धन से ही संभव हो पाते हैं।

       मानसी सेवा अथवा मन से सेवा
तन और धन की असमर्थता में भी हम मन से समाज की सेवा कर सकते हैं। समाज के हित का चिंतन, उचित परामर्श और सदैव समाज सेवा में निरत लोगों की प्रशंसा और उनका आत्मबल और मजबूत हो ऐसी बात करना भी आपके द्वारा की जाने वाली मानसी सेवा ही है।

साथ ही साथ अगर ज्यादा कुछ न कर सको तो प्रभु के समक्ष रोज सर्व मंगल की कामना के लिए प्रार्थना करना भी आपके द्वारा समाज की मानसी सेवा ही है।

तन से, धन से अथवा तो मन से, प्रभु ने जिस भी लायक आपको बनाया है, उसी अनुसार समाज सेवा करने का सौभाग्य अवश्य प्राप्त करना चाहिए।
[11/04, 08:03] Morni कृष्ण मेहता: ये हैं प्रभु श्रीराम के वंशज, जो आज भी जिंदा हैं !

भरत के दो पुत्र थे- तार्क्ष और पुष्कर। लक्ष्मण के पुत्र- चित्रांगद और चन्द्रकेतु और शत्रुघ्न के पुत्र सुबाहु और शूरसेन थे। मथुरा का नाम पहले शूरसेन था। लव और कुश राम तथा सीता के जुड़वां बेटे थे। जब राम ने वानप्रस्थ लेने का निश्चय कर भरत का राज्याभिषेक करना चाहा तो भरत नहीं माने। अत: दक्षिण कोसल प्रदेश (छत्तीसगढ़) में कुश और उत्तर कोसल में लव का अभिषेक किया गया।

राम ने कुश को दक्षिण कौशल, कुशस्थली (कुशावती) और अयोध्या राज्य सौंपा तो लव को पंजाब दिया। लव ने लाहौर को अपनी राजधानी बनाया। आज के तक्षशिला मेँ तब भरत पुत्र तक्ष और पुष्करावती (पेशावर) मेँ पुष्कर सिंहासनारुढ़ थे। हिमाचल में लक्ष्मण पुत्रों अंगद का अंगदपुर और चंद्रकेतु का चंद्रावती में शासन था। मथुरा में शत्रुघ्‍न के पुत्र सुबाहु का तथा दूसरे पुत्र शत्रुघाती का भेलसा (विदिशा) में शासन था।

राम के काल में भी कोशल राज्य उत्तर कोशल और दक्षिण कोशल में विभाजित था। कालिदास के रघुवंश अनुसार राम ने अपने पुत्र लव को शरावती का और कुश को कुशावती का राज्य दिया था। शरावती को श्रावस्ती मानें तो निश्चय ही लव का राज्य उत्तर भारत में था और कुश का राज्य दक्षिण कोसल में। कुश की राजधानी कुशावती आज के बिलासपुर जिले में थी। कोसला को राम की माता कौशल्या की जन्मभूमि माना जाता है। रघुवंश के अनुसार कुश को अयोध्या जाने के लिए विंध्याचल को पार करना पड़ता था इससे भी सिद्ध होता है कि उनका राज्य दक्षिण कोसल में ही था।

राजा लव से राघव राजपूतों का जन्म हुआ जिनमें बड़गुजर, जयास और सिकरवारों का वंश चला। इसकी दूसरी शाखा थी सिसोदिया राजपूत वंश की जिनमें बैछला (बैसला) और गैहलोत (गुहिल) वंश के राजा हुए। कुश से कुशवाह राजपूतों का वंश चला।

ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार लव ने लवपुरी नगर की स्थापना की थी, जो वर्तमान में पाकिस्तान स्थित शहर लाहौर है। यहां के एक किले में लव का एक मंदिर भी बना हुआ है। लवपुरी को बाद में लौहपुरी कहा जाने लगा। दक्षिण-पूर्व एशियाई देश लाओस, थाई नगर लोबपुरी, दोनों ही उनके नाम पर रखे गए स्थान हैं।

कुश के वंशज कौन?

राम के दोनों पुत्रों में कुश का वंश आगे बढ़ा तो कुश से अतिथि और अतिथि से, निषधन से, नभ से, पुण्डरीक से, क्षेमन्धवा से, देवानीक से, अहीनक से, रुरु से, पारियात्र से, दल से, छल से, उक्थ से, वज्रनाभ से, गण से, व्युषिताश्व से, विश्वसह से, हिरण्यनाभ से, पुष्य से, ध्रुवसंधि से, सुदर्शन से, अग्रिवर्ण से, पद्मवर्ण से, शीघ्र से, मरु से, प्रयुश्रुत से, उदावसु से, नंदिवर्धन से, सकेतु से, देवरात से, बृहदुक्थ से, महावीर्य से, सुधृति से, धृष्टकेतु से, हर्यव से, मरु से, प्रतीन्धक से, कुतिरथ से, देवमीढ़ से, विबुध से, महाधृति से, कीर्तिरात से, महारोमा से, स्वर्णरोमा से और ह्रस्वरोमा से सीरध्वज का जन्म हुआ।

कुश वंश के राजा सीरध्वज को सीता नाम की एक पुत्री हुई। सूर्यवंश इसके आगे भी बढ़ा जिसमें कृति नामक राजा का पुत्र जनक हुआ जिसने योग मार्ग का रास्ता अपनाया था। कुश वंश से ही कुशवाह, मौर्य, सैनी, शाक्य संप्रदाय की स्थापना मानी जाती है। एक शोधानुसार कुश की 50वीं पीढ़ी में शल्य हुए, जो महाभारत युद्ध में कौरवों की ओर से लड़े थे। यह इसकी गणना की जाए तो कुश महाभारतकाल के 2500 वर्ष पूर्व से 3000 वर्ष पूर्व हुए थे अर्थात आज से 6,500 से 7,000 वर्ष पूर्व।

इसके अलावा शल्य के बाद बहत्क्षय, ऊरुक्षय, बत्सद्रोह, प्रतिव्योम, दिवाकर, सहदेव, ध्रुवाश्च, भानुरथ, प्रतीताश्व, सुप्रतीप, मरुदेव, सुनक्षत्र, किन्नराश्रव, अन्तरिक्ष, सुषेण, सुमित्र, बृहद्रज, धर्म, कृतज्जय, व्रात, रणज्जय, संजय, शाक्य, शुद्धोधन, सिद्धार्थ, राहुल, प्रसेनजित, क्षुद्रक, कुलक, सुरथ, सुमित्र हुए। माना जाता है कि जो लोग खुद को शाक्यवंशी कहते हैं वे भी श्रीराम के वंशज हैं।

तो यह सिद्ध हुआ कि वर्तमान में जो सिसोदिया, कुशवाह (कछवाह), मौर्य, शाक्य, बैछला (बैसला) और गैहलोत (गुहिल) आदि जो राजपूत वंश हैं वे सभी भगवान प्रभु श्रीराम के वंशज है। जयपूर राजघराने की महारानी पद्मिनी और उनके परिवार के लोग की राम के पुत्र कुश के वंशज है। महारानी पद्मिनी ने एक अंग्रेजी चैनल को दिए में कहा था कि उनके पति भवानी सिंह कुश के 309वें वंशज थे।

इस घराने के इतिहास की बात करें तो 21 अगस्त 1921 को जन्में महाराज मानसिंह ने तीन शादियां की थी। मानसिंह की पहली पत्नी मरुधर कंवर, दूसरी पत्नी का नाम किशोर कंवर था और माननसिंह ने तीसरी शादी गायत्री देवी से की थी। महाराजा मानसिंह और उनकी पहली पत्नी से जन्में पुत्र का नाम भवानी सिंह था। भवानी सिंह का विवाह राजकुमारी पद्मिनी से हुआ। लेकिन दोनों का कोई बेटा नहीं है एक बेटी है जिसका नाम दीया है और जिसका विवाह नरेंद्र सिंह के साथ हुआ है। दीया के बड़े बेटे का नाम पद्मनाभ सिंह और छोटे बेटे का नाम लक्ष्यराज सिंह है।

मुसलमान भी राम के वंशज हैं?

हालांकि ऐसे कई राजा और महाराजा हैं जिनके पूर्वज श्रीराम थे। राजस्थान में कुछ मुस्लिम समूह कुशवाह वंश से ताल्लुक रखते हैं। मुगल काल में इन सभी को धर्म परिवर्तन करना पड़ा लेकिन ये सभी आज भी खुद को प्रभु श्रीराम का वंशज ही मानते हैं।

इसी तरह मेवात में दहंगल गोत्र के लोग भगवान राम के वंशज हैं और छिरकलोत गोत्र के मुस्लिम यदुवंशी माने जाते हैं। राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली आदि जगहों पर ऐसे कई मुस्लिम गांव या समूह हैं जो राम के वंश से संबंध रखते हैं।

डीएनए शोधाधुसार उत्तर प्रदेश के 65 प्रतिशत मुस्लिम ब्राह्मण बाकी राजपूत, कायस्थ, खत्री, वैश्य और दलित वंश से ताल्लुक रखते हैं। लखनऊ के एसजीपीजीआई के वैज्ञानिकों ने फ्लोरिडा और स्‍पेन के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर किए गए अनुवांशिकी शोध के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला था।




*प्रस्तुति पं0 कृषण मेहता
                  आज का हिन्दू पंचांग* ~
                    *।। श्री हरि : ।।*
⛅ *दिनांक - 11 अप्रैल 2020*
⛅ *दिन - शनिवार*
⛅ *विक्रम संवत - 2077*
⛅ *शक संवत - 1942*
⛅ *अयन - उत्तरायण*
⛅ *ऋतु - वसंत*
⛅ *मास - वैशाख*
⛅ *पक्ष - कृष्ण*
⛅ *तिथि - रात्रि 07:01 तक चतुर्थी*
⛅ *नक्षत्र - रात्रि 08:12 तक अनुराधा*
⛅ *योग - रात्रि 11:21 तक व्यतिपात*
⛅ *राहुकाल - सुबह 09:21 से 10:54*
⛅ *सूर्योदय - 06:24*
⛅ *सूर्यास्त - 18:55*
⛅ *दिशाशूल - पूर्व दिशा में*
⛅ *व्रत पर्व विवरण -*
 💥 *विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
💥 *ब्रह्म पुराण' के 118 वें अध्याय में शनिदेव कहते हैं- 'मेरे दिन अर्थात् शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उनके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उनको कोई पीड़ा नहीं होगी, जो शनिवार को प्रातःकाल उठकर पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उन्हें ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होगी।' (ब्रह्म पुराण')*
💥 *शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय' का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है। (ब्रह्म पुराण')*
💥 *हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है।(पद्म पुराण)*

🌷 *वैशाख मास* 🌷
🙏🏻 *वैशाख हिन्दू धर्म का द्वितीय महीना है, विशाखा नक्षत्रयुक्त पूर्णिमा होने के कारण इसका नाम वैशाख पड़ा, इस वर्ष 09 अप्रैल 2020 (उत्तर भारत हिन्दू पञ्चाङ्ग के अनुसार) से वैशाख का आरम्भ हो गया है, वैशाख मास पुण्यकारी, श्रीविष्णु को अत्यंत प्रिय मास है।*
🙏🏻 *वैशाख मास का एक नाम माधव मास भी है, इस मास के देवता “मधुसूदन" हैं, मधु दैत्य का वध होने के कारण उन्हें मधुसूदन कहते हैं। विष्णुसहस्त्रनाम “दुःस्वप्ने स्मर गोविन्दं संकटे मधुसूदनम्” के अनुसार किसी भी प्रकार के संकट में श्रीविष्णु के नाम मधुसूदन का स्मरण करना चाहिए।*
🙏🏻 *स्कन्दपुराणम्, वैष्णवखण्ड के अनुसार*
*न माधवसमो मासो न कृतेन युगं समम्। न च वेदसमं शास्त्रं न तीर्थं गंगया समम्।।*
👉🏻 *वैशाख के समान कोई मास नहीं है, सत्ययुग के समान कोई युग नहीं है, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं है।*
🙏🏻 *पद्मपुराण, पातालखण्ड के अनुसार*
*यथोमा सर्वनारीणां तपतां भास्करो यथा ।आरोग्यलाभो लाभानां द्विपदां ब्राह्मणो यथा।। परोपकारः पुण्यानां विद्यानां निगमो यथा।मंत्राणां प्रणवो यद्वद्ध्यानानामात्मचिंतनम् ।।सत्यं स्वधर्मवर्तित्वं तपसां च यथा वरम्।शौचानामर्थशौचं च दानानामभयं यथा ।।गुणानां च यथा लोभक्षयो मुख्यो गुणः स्मृतः।मासानां प्रवरो मासस्तथासौ माधवो मतः ।।*
👉🏻 *जैसे सम्पूर्ण स्त्रियों में पार्वती, तपने वालों में सूर्य, लाभों में आरोग्यलाभ, मनुष्यों में ब्राह्मण, पुण्यों में परोपकार, विद्याओं में वेद, मन्त्रों में प्रणव, ध्यानों में आत्मचिंतन, तपस्याओं में सत्य और स्वधर्म-पालन, शुद्धियों में आत्मशुद्धि, दानों में अभयदान तथा गुणों में लोभ का त्याग ही सबसे प्रधान माना गया है, उसी प्रकार सब मासों में वैशाख मास अत्यंत श्रेष्ठ है।*
🙏🏻 *महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 106 के अनुसार “निस्तरेदेकभक्तेन वैशाखं यो जितेन्द्रियः। नरो वा यदि वा नरी ज्ञातीनां श्रेष्ठतां व्रजेत्।।” जो स्त्री अथवा पुरूष इन्द्रिय संयम पूर्वक एक समय भोजन करके वैशाख मास को पार करता है, वह सहजातीय बन्धु-बान्धवों में श्रेष्ठता को प्राप्त होता है।।*
🙏🏻 *पद्मपुराण, पातालखण्ड के अनुसार*
*दत्तं जप्तं हुतं स्नातं यद्भक्त्या मासि माधवे। तदक्षयं भवेद्भूप पुण्यं कोटिशताधिकम् ।।*
👉🏻 *माधवमास में जो भक्तिपूर्वक  दान,जप, हवन और स्नान आदि शुभकर्म किये जाते हैं, उनका पुण्य अक्षय तथा सौ करोड़ गुना अधिक होता है।*
*प्रातःस्नानं च वैशाखे यज्ञदानमुपोषणम्।हविष्यं ब्रह्मचर्यं च महापातकनाशनम् ।।*
👉🏻 *वैशाख मास में सवेरे का स्नान, यज्ञ, दान, उपवास, हविष्य-भक्षण तथा ब्रह्मचर्य का पालन - ये महान पातकों का नाश करने वाले हैं।*
🙏🏻 *स्कन्दपुराण में यह बताया है की वैशाख मास में क्या क्या त्याज्य है।*
*तैलाभ्यङ्गं दिवास्वापं तथा वै कांस्य भोजनम् ।। खट्वा निद्रां गृहे स्नानं निषिद्धस्य च भक्षणम् ।।*
👉🏻 *वैशाख में तेल लगाना, दिन में सोना, कांस्यपात्र में भोजन करना, खाट पर सोना, घर में नहाना, निषिद्ध पदार्थ खाना दोबारा भोजन करना तथा रात में खाना - इन आठ बातों का त्याग करना चाहिए।*
🙏🏻 *शिवपुराण के अनुसार वैशाख में भूमि का दान करना चाहिए, ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार वैशाख मास में ब्राह्मण को सत्तू दान करने वाला पुरुष सत्तू कण के बराबर वर्षों तक विष्णु मन्दिर में प्रतिष्ठित होता है।*
👉🏻 *वैशाख मास में गृह प्रवेश करने से धन, वैभव, संतान एवं आरोग्य की प्राप्ति होती हैं ।*
👉🏻 *देव प्रतिष्ठा के लिये वैशाख मास शुभ है, वृक्षारोपण के लिए वैशाख मास विशेष शुभ है।*
🙏🏻 *स्कन्द पुराण में वर्णित वैशाख मास के माहात्म्य के कुछ अंश*
➡ *वैशाख मास भगवान विष्णु को अत्यन्त प्रिय है ।*
➡ *वैशाख मास माता की भाँति सब जीवों को सदा अभीष्ट वस्तु प्रदान करने वाला है ।*
➡ *जो वैशाख मास में सूर्योदय से पूर्व स्नान करता है, उससे भगवान विष्णु निरन्तर प्रीति करते हैं।*
➡ *सभी दानों से जो पुण्य होता है और सब तीर्थों में जो फल होता है, उसी को मनुष्य वैशाख मास में केवल जलदान करके प्राप्त कर लेता है।*
➡ *जो मनुष्य वैशाख मास में सड़क पर यात्रियों के लिए प्याऊ लगाता है, वह विष्णुलोक में प्रतिष्ठित होता है, प्याऊ देवताओं, पितरों तथा ऋषियों को अत्यन्त प्रीति देने वाला है, जिसने वैशाख मास में प्याऊ लगाकर थके-मांदे मनुष्यों को संतुष्ट किया है, उसने ब्रह्मा, विष्णु और शिव आदि देवताओं को संतुष्ट कर लिया।*
➡ *वैशाख मास में जल की इच्छा रखने वाले को जल, छाया चाहने वाले को छाता और पंखे की इच्छा रखने वाले को पंखा देना चाहिए।*
➡  *विष्णुप्रिय वैशाख में पादुका दान करता है, वह यमदूतों का तिरस्कार करके विष्णुलोक में।*
➡ *जो मार्ग में अनाथों के ठहरने के लिए विश्रामशाला बनवाता है, उसके पुण्य फल का वर्णन नहीं किया जा सकता।*
➡ *अन्नदान मनुष्यों को तत्काल तृप्त करने वाला है, इसलिए इससे बढ़कर कोई दूसरा दान ही नहीं है।*
🙏🏻 *स्कन्दपुराण में कहा गया है “योऽर्चयेत्तुलसीपत्रैर्वैशाखे मधुसूदनम् ।। नृपो भूत्वा सार्वभौमः कोटिजन्मसु भोगवान् ।। पश्चात्कोटिकुलैर्युक्तो विष्णोः सायुज्यमाप्नुयात्” जो वैशाख मास में तुलसीदल से भगवान विष्णु की पूजा करता है, वह विष्णु की सामुज्य मुक्ति को पाता है।*

नवग्रह शांति के उपाय* #

सूर्य शांति के लिए आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें। माता-पिता की सेवा तथा सूर्य को अर्घ्य, जल में रोली तथा लाल पुष्प डालकर देना चाहिए। सोना-तांबा तथा चीनी-गुड़ का दान भी करें। सूर्योदय से पूर्व उठें तथा रविवार का व्रत करें।

ध्यान देने योग्य बातें- नमक का कम उपयोग करें। बुजुर्गों का सम्मान करें। धार्मिक और सामाजिक कार्यों में भाग लें।

#चंद्रदेव शांति के लिए 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जप करें। पानी वाला नारियल, सफेद चंदन तथा चांदी का चंद्रमा, विल्बपत्र, सफेद मिष्ठान्न का भगवान शंकर को भोग लगाएं।

ध्यान रखने योग्य बातें- सोमवार का व्रत करें तथा सफेद वस्त्र का दान करें, पहाड़ों की यात्रा करें तथा स्वमाता के चरण छूकर आशीर्वाद प्राप्त करें।

#मंगल की शांति के लिए हनुमानजी को चमेली का तेल मिश्रित सिंदूर व शुद्ध घी का चोला चढ़ाएं तथा मंगल स्तोत्र का पाठ करें। इमरती, जलेबी, बूंदी तथा चूरमे का प्रसाद अर्पण करें।

ध्यान रखने योग्य बातें- अपने कुटुंब, सहयोगियों से बैर न रखें। सगे भ्राता को सम्मान दें। मंगलवार का व्रत करें।

#बुध ग्रह की शांति के लिए मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। हरे मूंग भिगोकर पक्षियों को दाना डालें। पालक या हरा चारा गायों को खिलाएं। पक्षियों विशेषकर तोतों को पिंजरों से स्वतंत्रता दिलाएं।

ध्यान रखने योग्य बातें- नौ वर्ष से छोटी कन्याओं के पाद प्रक्षालन अर्थात पैर धोकर उनको प्रणाम करके आशीर्वाद प्राप्त करें। बुधवार का व्रत रखें। मंत्रानुष्ठान हवन करके बुध की अनुकंपा प्राप्त करें।

#बृहस्पति देव गुरु की प्रसन्नता के लिए ब्राह्मणों का सम्मान करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। चने की दाल तथा केशर का मंदिर में दान करें, केशर का तिलक मस्तक पर लगाएं एवं ज्ञानवर्द्धक पुस्तकों का योग्य व्यक्तियों को दान करें।

ध्यान रखने वाली बातें- किन्नरों की सेवा करें। भगवान ब्रह्मा का केले से पूजन करें तथा कुल पुरोहित का सम्मान करके आशीर्वाद प्राप्त करें एवं यथाशक्ति स्वर्ण का दान करें।

#शुक्र ग्रह की शांति के लिए कनकधारा महालक्ष्मी का दैनिक पाठ करें। श्वेत और स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए। गो की सेवा तथा गोशाला में गुड़, हरा चारा, चने की दाल गायों को खिलाएं। विशेष रूप से श्रीविद्या का पूजन कराएं। एकाक्षी ब्राह्मण को कांसे के कटोरे में खीर खिलाकर दक्षिणा देकर आशीर्वाद प्राप्त करें। विशेष परिस्थिति में रोग हो तो मृत संजीवनी का मंत्र जप कराएं।

ध्यान रखने योग्य बातें- अपनी पत्नी का सम्मान करना चाहिए। संयम से रहें। व्यसनों से बचें।

#शनि ग्रह की शांति के लिए पीपल वृक्ष तथा भैरव का पूजन करें। इमरती, उड़द की दाल, दही बड़े भैरवजी को चढ़ाएं व प्रसाद में बांटें। श्री हनुमान चालीसा तथा सुंदरकांड का नियमित पाठ करें।

ध्यान रखने योग्य बातें- मजदूरों को तली हुई खाद्य वस्तुओं का दान करें। शनिवार का व्रत करें। पिता के संबंधियों से अच्छे मधुर संबंध बनाए रखें। शनिवार को तिल के तेल का शनि पर अभिषेक करें।

#राहु की शांति के लिए मां सरस्वती का पाठ-पूजन करना चाहिए, घर पर बने शुद्ध शाकाहारी भोजन का ही सेवन करें।

ध्यान रखने योग्य बातें- किसी भी प्रकार का बिजली का सामान इकट्ठा न होने दें तथा बिजली का सामान मुफ्त में न लें। मातृपक्ष के संबंधियों की सेवा करें और अश्लील साहित्य या फिल्में न देखें।

#केतु ग्रह की शांति के लिए गणेशजी की पूजा-अर्चना करें। बच्चों को केले खिलाएं और किसी भी धर्मस्थल पर ध्वजा चढ़ाएं।

ध्यान रखने योग्य बातें- कुत्तों को तेल चुपड़ी रोटी खिलाएं। कुत्तों को चोट कदापि न पहुंचाएं l

 *शनिवार के दिन कौन-कौन से उपहार किसी को न देवें या कौन सा उपहार न खरीदें*।

सनातन धर्म में शनिदेव को न्यायाधीश कहा जाता है अर्थात मनुष्य के अच्छे बुरे कर्मों का फल देने  का काम शनि देव का है

जिसकी कुंडली में शनि देव प्रतिकूल स्थान पर हो उसे जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है ज्योतिष में शनि देव को कर्म फल का प्रदाता कहा जाता है
Z
शनि ही व्यक्ति को अच्छे बुरे कर्मों का फल प्रदान कर व्यक्ति के जीवन को सफल या दुश्वार बना देते हैं भारतीय ज्योतिष में संसार की हर वस्तु को उसके गुण धर्म के आधार पर नौ ग्रहों के रूप में वर्गीकृत किया गया है

आज हम आपको कुछ ऐसी ही वस्तुओं के बारे में बताना चाहते हैं जिनको कि आप शनिवार के दिन ना खरीदें और ना ही किसी को गिफ्ट में दे जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं कि आजकल गिफ्ट का चलन बहुत तेजी से उभर रहा है इसलिए कौन सा गिफ्ट शनिवार को ना दें इस विषय में यह जानकारी है

गिफ्ट या उपहार व्यक्ति के जीवन को समृद्ध बनाते हैं वैसे तो किसी भी वस्तु को खरीद कर उसे भेंट करने का समय उसकी जरूरत पर निर्भर करता है परंतु ज्योतिष शास्त्र में भी इसके कुछ नियम बताए गए हैं

ऐसा माना गया है शनिवार को कुछ वस्तुएं भेंट करने अथवा किसी को गिफ्ट करने से कुंडली में शनि का फल कमजोर पड़ जाता है या कुंडली में शनि देव की अशुभता बढ़ जाती है

आज हम आपको बताएंगे शनिवार को कौन-कौन से गिफ्ट भेंट करने पर शनि देव रुष्ट हो जाते हैं

१_कैंची ।।

शनिवार के दिन चांदी लोहे अथवा स्टील से बनी कैंची खरीद कर गिफ्ट देने  से शनि देव हमारे पारिवारिक रिश्तो में तनाव बढ़ा देते हैं इसलिए कभी भी शनिवार के दिन किसी को भी कैंची उपहार में ना दें

२।।।इत्र चमेली का।।।

 ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनिवार को चमेली का इत्र खरीदकर किसी को भेंट करने पर व्यक्ति रोगकाी हो जाता है इसलिए किसी को भी शनिवार के दिन चमेली का इत्र गिफ्ट में ना दें

३_सफेद कलर के वस्त्र ।।

शनिवार को सफेद रंग के कपड़े खरीद कर गिफ्ट करने से व्यक्ति को पारिवारिक कलह का सामना भी करना पड़ता है एवं मान सम्मान में भी कमी आती है इतनी किसी को भी शनिवार के दिन सफेद वस्त्र गिफ्ट मैं ना दें

४_तांबे के बर्तन ।।

शनिवार के दिन तांबा गिफ्ट देने से शनिदेव की कोप दृष्टि में बढ़ोतरी होती है और मुनाफे में चल रहे व्यापार में घाटा होता है इसलिए शनिवार के दिन कभी भी किसी को भी तांबे के बर्तन गिफ्ट में ना दें

५_लाल कलर का पेन या इंक ।।।

शनिवार के दिन बालपन या लाल स्याही वाला पेन खरीद कर गिफ्ट करने से शनि देव अपयश का भागी बनाते हैं इसलिए शनिवार के दिन किसी को भी पेन गिफ्ट में ना दें

६___लाल रंग के कपड़े ।।।

शनिवार के दिन लाल रंग के कपड़े खरीदने से और उस कपड़े को गिफ्ट करने से व्यक्ति की सामाजिक छवि खराब होती है इसलिए शनिवार के दिन कभी भी रेड कलर का कपड़ा ना खरीदें और ना ही किसी को गिफ्ट में दे

७___चांदी ।।।

शनिवार के दिन चांदी के आभूषण खरीदने से और उन आभूषणों को गिफ्ट करने से शनिदेव व्यक्ति के कर्ज में वृद्धि करते हैं इसलिए शनिवार के दिन कभी भी चांदी के आभूषण ना खरीदें ना ही किसी को गिफ्ट में दे

८__मोती ।।।

शनिवार के दिन मोती खरीदकर गिफ्ट करने से शनि देव वाहनों से होने वाली दुर्घटना में बढ़त करते हैं इसलिए शनिवार के दिन कभी भी मोती ना खरीदें और ना ही किसी को गिफ्ट में दे

९__चॉकलेट ।।।

शनिवार के दिन चॉकलेट खरीदने एवं गिफ्ट करने पर व्यक्ति की मानसिक क्षमता में कमी आ जाती है इसलिए स्वस्थ रहें शनिवार के दिन चॉकलेट ना खरीदें ना ही किसी को गिफ्ट में दे

१०__।।नारंगी रंग की मिठाइयां ।।।

शनिवार के दिन जलेबी या इमरती खरीद कर गिफ्ट करने से व्यक्ति के जीवन में दुर्घटनाओं के योग ज्यादा बनते हैं

मित्रों सावधान रहें शनिवार के दिन के 10 वस्तुएं ना खरीदे ना ही किसी को गिफ्ट दें ऐसा करने से शनि देव रुष्ट हो जाते हैं।

No comments:

Post a Comment

बधाई है बधाई / स्वामी प्यारी कौड़ा

  बधाई है बधाई ,बधाई है बधाई।  परमपिता और रानी मां के   शुभ विवाह की है बधाई। सारी संगत नाच रही है,  सब मिलजुल कर दे रहे बधाई।  परम मंगलमय घ...