प्रस्तुति - आत्म स्वरूप:
एक दिन दिया जलाने की घोषणा से हैरान हैं कुछ अतिरिक्त बुद्धिमान लगते बहुत ही परेशान हैं। पूछते हैं ,लोजिक क्या है इससे तो क्या हो जाएगा क्या इन व्यर्थ के कृत्यों से कोरोना क्या खत्म हो जाएगा? क्यो सुबह सुबह उठना लगता अच्छा सुन-सुन चिड़ियों की बोलियों से, इसका लोजिक कैसे सिद्ध करें, कि बच्चा ,सोये क्यों माँ की लोरियों से। बहस से ,न तर्कों से, ना विद्वानों के विचारों से, कितने फांसी पे झूल गए आज़ादी के बस नारों से। जब कोई बोझ उठाते हैं मजदूर भला मिल कर सारे "दम लगा कर हईशा "क्यों बार बार सब भरे हुंकारे, अब कैसे सिद्घ करें इससे, कोई हाथ नहीं छुटता है हुंकार से आता जोश,फिर भारी सामान उठता है। घनघोर उछलती लहरो पर मांझी जब नाव चलाते हैं "हई रे ,हई रे ओ हा" का जब मिल कर गीत निरंतर गाते हैं। कैसे साबित करें इन गीतों से ,क्या पतवारें भी संभलती है? पर हाथ तो अक्सर थक जाते,हिम्मत से नौका चलती है। क्या तोप भला थामे है ये,संगीनें क्या चलवाती है वंदे मातरम की पुकार फिर रण में नजर क्यों आती है। झंडा टुकड़ा है कपड़े का ,क्यों इसके लिए मर जाते हैं। दस रुपये का ध्वज प्रतीक,देश का गर्व समझ फहराते हैं। कमजोरी हो या ताकत हो ,रहती इंसा के मन में हैं, सामूहिकता से सब कष्ट मिटे,आते जो भी जीवन में हैं। सूर्य की किरणें कभी कभी कपड़े भी नही सूखा पाती, उनको लेंस से जो एकत्र करो आग कहीं भी लगा जाती। तन की ताकत से जो काम न हों,मन की ताकत से चल जाये, सब एक साथ खड़े प्रकाशित हों ,रात कहर की ढल जाये ! [05/04, 18:49] +91 85390 46852: *किसी के गुजर जाने के बाद शहर बंद होते, हमने बहुत बार देखा हैं* *मगर कोई गुजर न जाए इसलिए शहर को बंद होते, पहली बार देखा हैं* [05/04, 18:49] +91 85390 46852: *हम दीप अवश्य जलायेंगे* *एक " दीप "आशा का* *एक " दीप " विश्वास का* *एक " दीप " ज्ञान का* *एक " दीप " प्रकाश का* *एक " दीप "तम में उजाले का* *एक " दीप "भूखे के निवाले का* *एक "दीप "बेसहारे के सहारे का* *एक " दीप "डूबते के किनारे का* *एक " दीप "जन-जन की वाणी का* *एक "दीप "मानव की नादानी का* *"भारत प्रेम" को जन-मन में जगायेंगे"हाँ"* *हम "दीप" अवश्य जलायेंगे* *👉" 05/04" - 9.00pm- "9" min.* 🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔 [05/04, 19:59] Swami Sharan: *वास्तव में वह 21 सत्य जो लॉकडाऊन के दौरान सीखा...* 1. आज अमेरिका अग्रणी देश नहीं है। 2. चीन कभी विश्व कल्याण की नही सोच सकता। 3. यूरोपीय उतने शिक्षित नहीं जितना उन्हें समझा जाता था। 4. हम अपनी छुट्टियॉ बिना यूरोप या अमेरिका गये भी आनन्द के साथ बिता सकते हैं। 5. भारतीयों की रोग प्रतिरोधक क्षमता विश्व के लोगों से बहुत ज्याद है। 6. कोई पादरी, पुजारी, ग्रन्थी,मौलवी या ज्योतिषी एक भी रोगी को नहीं बचा सका। 7. स्वास्थ्य कर्मी,पुलिस कर्मी, प्रशासन कर्मी ही असली हीरो हैं ना कि क्रिकेटर ,फिल्मी सितारे व फुटबाल प्लेयर । 8. बिना उपभोग के विश्व में सोना चॉदी व तेल का कोई महत्व नहीं। 9. पहली बार पशु व परिन्दों को लगा कि यह संसार उनका भी है। 10. तारे वास्तव में टिमटिमाते हैं यह विश्वास महानगरों के बच्चों को पहली बार हुआ। 11. विश्व के अधिकतर लोग अपना कार्य घर से भी कर सकते हैं। 12. हम और हमारी सन्तान बिना 'जंक फूड' के भी जिन्दा रह सकते है। 13. एक साफ सुथरा व शालीन जीवन जीना कोई कठिन कार्य नहीं है। 14. भोजन पकाना केवल स्त्रियां ही नहीं जानती। 15. मीडिया केवल झूठ और बकवास का पुलन्दा है। 16. अभिनेता केवल मनोरंजनकर्ता हैं जीवन में वास्तविक नायक नहीं। 17.भारतीय नारी कि वजह से ही घर मंदिर बनता है। 18. पैसे की कोई वैल्यू नही है क्योंकि आज दाल रोटी के अलावा क्या कर सकते हैं। 19. भारतीय अमीरों मे मानवता कुट-कुट कर भरीं हुईं है एक दो को छोड़कर। 20. विकट समय को सही तरीक़े से भारतीय ही संभाल सकता है। 21. सामुहिक परिवार एकल परिवार से अच्छा होता है.... *(इसे ज़रूर पढ़ें एक अच्छे भविष्य की परिकल्पना के निम्मित ही सही)*
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