Sunday, April 12, 2020

दयालबाग सत्संग के विभिन्न प्रसंग





**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-

सत्संग के उपदेश- भाग 2-

कल से आगे :-

हमारी यह भी राय है कि 'हिंदू' किसी खास मजहब या  रास्ते का नाम नहीं है बल्कि लफ्ज 'हिन्दू' निहायत बसी है और हिंदू मजहब के अंदर वे सब ख्यालात शामिल है जो प्राचीन काल से लेकर आज तक आर्य पुरुषों और उनकी संतान के दिमाग में प्रमार्थ की निस्बत पैदा हुए। दूसरे लफ्जों में हिंदूमजहब जब किसी खास उसूलों के मजमुआ का नाम नहीं है। बल्कि प्राचीन समय से प्रचलित सभ्यता का नाम है । इस अर्सए दराज के अंदर आर्य बुजुर्गों ने परमार्थ के मुतअल्लिक़ हरजानिब ख्यालात दौडाये और परमार्थ के लिये तडपती हुई आत्माओं को शांति देने के लिए अनेक मार्ग यानी तरीके दर्याफ्त किये। जब किसी बुजुर्ग या मुनि ने कोई नया रास्ता या उसूल कायम किया तो उस वक्त और नीज एक अर्से तक यानी जब तक उस बुजुर्ग की असली तालीम से वाकिफ पुरुष मौजूद रहे उसके अनुयायियों यानी मानने वालों का एक अलग फिर्का कायम रहा और पुराने ख्यालात के लोग उनकी मुखालिफत करते रहे। लेकिन जब असली भेद से वाकिफकार पुरुष न रहे तो वह फिर्का टूटकर हिंदुसम्प्रद में शामिल हो गया और पुराने ख्यालात के लोगों ने उस बुजुर्ग की बडाई को तसलीम कर लिया। क्रमश:           
     🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**




**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-

रोजानावाकियात-

29 अगस्त 1932-

आज गीता के उपदेश की भूमिका पूर्ण हो गया। सतसंगी भाई संवाद के लिए अत्यंत उत्सुकता जाहिर कर रहे हैं। अब सिर्फ छपने की देर है ।40 पृष्ठ उर्दू के किताब ने लिख दिये है और हिंदी एडिशन के लिए कॉपी तैयार की जा रही है अगर यह अनुवाद सर्वप्रिय हुआ तो अंग्रेजी एडिशन निकालने का इंतजाम किया जाएगा।।                                 बाज नादान भाई दयालबाग की संस्थाओं के मुतालिक एतराज करते हैं और कहते हैं क्योंकि कॉलेज में कारखानाजात वगैरह परमार्थ में सख्त बाधक होते हैं इसलिए दयालबाग के रहने वाले परमार्थ से कतई वंचित होनी चाहिए। मिस ब्रूस डॉक्टर जॉनसन के आमंत्रित किए जाने पर सरदार सावन सिंह साहब से स्वामीबाग में मिलने गई थी । मिस ब्रूस ने मुलाकात के अगले दिन सब हाल सुनाया । मुझे यह दरयाफ्त करके पूरा ताज्जुब हुआ कि दयालबाग  के खिलाफ सबसे बड़ा एतराज इन संस्थाओं के मुताल्लिक़क ही किया जाता है । सख्त हैरानी है कि लोग खुद रोजगार चलाते हैं, सरकारी नौकरियां करते हैं, अपने बच्चों को पढ़ाते हैं, स्कूलों व कॉलेजों में मुलाजिम है। लेकिन उन्हे दयालबाग में इस किस्म के इंतजामात अप्रिय है। क्या यह भाई गीता के निर्देशों के अध्ययन गौर से आनुसरन करेंगे?  जो काम एक बड़ा आदमी करता है वह  दूसरे भी करने लगते हैं ।क्योंकि आम लोग बड़े आदमियों का अनुसरण किया करते हैं। ए अर्जुन ! तीन लोक में ऐसा कौन काम है जो मुझे करना आवश्यक हो या ऐसी कौन वस्तु है जिसे हासिल करने के लिए मुझे कोशिश करनी जरुरी है । लेकिन तो भी मैं कर्म करता हूं क्योंकि मैं जानता हूं कि अगर में सुस्ती छोड़ कर कर्म में न बरतूं तो मेरी देखा देखी मेरे आस-पास वाले सभी हाथ पर हाथ धर कर बैठ जाएंगे और नतीजा यह होगा कि जल्द ही 3 लोक नष्ट हो जाएंगे- अवलोकन हो अध्याय,3,श्लोक न. 21 विलायत के अखबार में एक हेड मास्टर ने वहां के विद्यार्थियों की गिरावट का जिक्र करके हार्दिक आंसू बहाये है। वहाँ के विद्यार्थी अब न पहले से ईमानदार हैं न मेहनती। उनके नजदीक एक दूसरे की चीजें चुरा लेना कोई बुरा काम नहीं रहा। अक्सर विद्यार्थी शरीर सज्जा में व्यसनी नजर आते हैं मगर यह संक्रामक रोग मुल्के हिंद में भी तो फैल रही है । 'कारजार' लाहौर के एडीटर हजरत हफीज और उनके सहायक मुल्ला रमूजी साहब ने मुल्क से इस नये दुश्मन के खिलाफ धर्म युद्ध जारी कर दिया है लेकिन जिस मुल्क के नौजवान इस.नये दुश्मन से खिलाफ मेल मिलाने  के शाइक हो तो वहां इक्के दुक्के का जिहाद क्या नतीजा पैदा कर सकता है?  ख्याल भक्ति विद्यार्थी इस व्यसनी से क्या दयालबाग के विद्यार्थी इस संक्रामक रोड से अब तक बचे हुए नहीं है?  अगर है तो क्या वह सब मुंतजिमात जिन्होंने हजारों मासूम बच्चों की उपाधि कब ले रखा है शुक्रिया के हकदार नहीं हिफाजत का बोझ अपने सर ले रखा है शुक्रिया के अधिकारी नही है?                                           रात के सत्संग में ऋषियों की तालीम और सतसंगकी तालीम का स्पष्ट तौर पर मुकाबला करके दिखलाया  गया कि जमाने की जरूरियात याद और बुजुर्गों की पहुंच का फर्क छोड़कर और बुजुर्गों की रसाई का फर्क छोडकर दोनो की तालीम एक सी है।।                         

  🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**




**परम गुरु हुजूर महाराज- प्रेम पत्र- भाग 1- कल से आगे -(6) एक दृष्टांत और दिया जाता है। उससे भी इसी कायदे पर दर्जो की समझ थोड़ी बहुत आ सकती है, पर इसमें वह दर्जे ऐसे साफ नहीं मालूम होते जैसे कि तिल और उसके तेल के दृष्टांत में। और यह दृष्टांत गन्ने का है । इसमें जड़ से शुरू करके आखिर पोरी तक तीन बड़े दर्जे हैं। पहले दर्जे में इसका अर्थ बिल्कुल मीठा है और खालीपन नहीं है और दूसरे दर्जे में थोड़ा-थोड़ा खार शुरू हुआ और तीसरे दर्जे में खार ज्यादा है और मिठाई कम। फिर हर एक दर्जे के मुआफिक उसकी पोरिया के कितने ही दर्ज हैं कि वह स्थानों से, जैसा कि संतों ने 3 बड़े दर्दे रचना में यानी दयाल देश और ब्रह्मांड और पिंड में वर्णन किए हैं, मुआफिकत रखते हैं। और पहले दर्जे में भी जो बिल्कुल मीठा है कई दर्जे हैं और उनकी जांच उसकी मिठाई के दर्जों से हो सकती है। इसी तरह दूसरे और तीसरे हिस्सों में भी दर्ज मिठाई या कि मिलौनी खार से साफ मालूम होते हैं। ऐसे ही कुल रचना में और हर एक पिंड में 3 बडे दर्जे और फिर हर एक दर्जे में छोटे दर्जे मुआफिक उसी कायदे के, जो संतों ने बयान किया है, गुप्त प्रगट मौजूद हैं ।।                         (7 ) तिल और तेल के दृष्टांत में पिंड और ब्रह्मांड और दयाल देश के स्थान रोशनी रुप में बहुत अच्छी तरह रंग और रूप के साथ आंखों से नजर आते हैं और इस दृष्टांत से सच्चे खोजी को अच्छी तरह से यकीन संतों के बचन का हो सकता है क्योंकि कुदरत का कानून और कायदा उनकी पहचान गुप्त कर सकता है क्योंकि कुदरत का कानून कायदा सब जगह और हर एक पिंड में, बड़ा हो या छोटा , थोड़ी कमी बेशी के साथ एकसा है। यही सबूत संतों के मत की ऊंचाई और गहराई और पूरेपन का है। क्रमशः🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**



आज खेतो में जो भाई व बहन कटाई के लिए आए थे, उन सभी को (एक घर से एक) च्वयनप्राश वॉलंटियर्स द्वारा दिया गया ।

 सभी विद्यर्थियों को च्वयनप्राश मिला और उनकी मार्च पास्ट भी हुई।

राधास्वामी

 निर्मल रास लीला

दयालबाग जाज्वल्यमान प्रकाश से है नहा रहा।
हर रोज़ नयी निर्मल रासलीला पा रहा।

हो रहा सत्संग कभी तीन बजे सुबह खेतों में।
कभी दोपहर को दो बजे ही सत्संग की पुकार है।
घर बैठे हर सत्संगी सत्संग सुन पा रहा।
अपने भाग्य को मन ही मन सराह रहा।

शाम की महफ़िल सजी है खेतों में बहार है
हर शख़्स सुपर मैन बना कठपुतली का लिए सार है। सुबह से शाम हर घड़ी सेवा के लिए तैयार है।
हुकुम की तामील की बह रही बयार है।

दाता जी के पथप्रदर्शन में वीरांगनाएं तैयार हैं
बहते दरिया सा उछाल उन्हें रोक नहीं पाया है।
जिधर भी नज़र दौड़ाएं हर फील्ड में हर काम में। वीरांगनाओं का कर्मठ रूप नज़र आया है।

हो रही सेल्फ डिफेंस पीटी और चल रही हैं लाठियां।
सुपरमैन और वीरांगनाओं से सज रही हैं खेतियां।
फैल रहा है दायरा इनका चौक चौक गली गली में।
 देश विदेश की ब्रांचों में बन रहीं सुपरमैन की टोलियां।

हेलमेट रंग बिरंगे हर सिर पर हैं सज रहे।
कर्मवीर बने सब सेवा में आगे बढ़ रहे।
हर रोज़ नया उत्सव दया का सागर लहराया है।
छप्पर फाड़कर दया ने अपना रंग दिखलाया है।

हर सुरत पर दयाल की दया का हाथ है।
काल और माया देखकर अवाक हैं।
निर्मल रास लीला का शबाब है चारों ओर।
राधा सुरतियों पर प्रेम रंग छाया है।

सोशल डिस्टेंस का नियम सबने अपनाया है।
मास्क और हेलमेट से सबने खुद को सजाया है।
मीलों तक दाता जी के सेवादारों ने आज कल
गेहूं की फसल काटने का प्रण दोहराया है।

चाय  रस्क गुड़ चना और अमृत पेय
पन्ना और रूह आफ़्जा का परशाद सब पाते हैं।
कटे हुए गेहूं के बंडल लोडिंग पार्टी  वाले
रात दिन एक कर खलिहान में पहुंचाते हैं।

हथेली पर सरसों उगाने का साहस हम रखते हैं।
दाता जी की आज्ञाओं को पूरा करने को तैयार हैं
हुकुम की तामील से उन्हें रिझाने  का ख्याल आया है।
उनकी रहमत से भौसागर तर जाना सहज बन पाया है

राधास्वामी नाम सभी मंत्रों का सार है।अमृत पेय पान करके अमरता का वर पाया है।
हैं दयाल देदीप्यमान रूप में विराजमान।हम सब उनके चरणों में ही पाएंगे निजधाम।

स्वामी प्यारी कौड़ा



दिनांक: 4 अप्रैल 2020

कोविड-2019

परम गुरु हुज़ूर सरकार साहब के भण्डारे (अप्रैल) 2020 से सम्बंधित परामर्श

भंडारा (अप्रैल) 2020
1. सभी सत्संगी अप्रैल 2020 का भंडारा अपनी अपनी ब्रांच/एरीआ सत्संग/सत्संग सेंटर/प्राइवट ग्रूप सत्संग/व्यक्तिगत रूप में मनाएँगे और इसके लिए दयालबाग़ नहीं आएँगे और यह सरकार/अधिकरण के नियम/क़ानून का विषय है। ऑडीओ विडीओ ट्रान्समिशन ई-सत्संग कासकेड के माध्यम से होगा।
2. केंद्रीय/राज्य सरकार और लोकल ऐड्मिनिस्ट्रेशन के सख़्ती से लॉक्डाउन के आदेशों के पालन हेतु ये बेहतर है कि आप घर में ही रहें और ऑडीओ मोड के माध्यम से ई-सत्संग का लाभ उठायें।
3. पर्मिटेड ज़ोन - हरियाणा और हिमाचल प्रदेश (जिसमें डिस्ट्रिक्ट एसोसिएशन शिमला शामिल नहीं है) के वे हृष्ट-पुष्ट उपदेशी/जिज्ञासु भाई जो कि सेक्योरिटी कैम्प में रह सकें और हार्वेस्टिंग, थ्रेशिंग और सम्बंधित खेतों की गतिविधियों में भाग ले सकते हैं, केवल वे रीजनल प्रेसिडेंट की सिफ़ारिश पर और सेक्रेटेरी सभा के मंज़ूरी के बाद भण्डारे के लिए दयालबाग़ आ सकते हैं, ये केंद्र/राज्य/स्थानीय सरकार के निदेशन का विषय है।
4. सेवक/पार्ट टाइम सेवक/सभा/सोसायटी के कार्यकर्ता एवं उनके पति/पत्नी और बच्चें (उनके आश्रित बच्चें), दयालबाग़ निवासियों के बच्चें दयालबाग़ में भण्डारे में शामिल हो सकते हैं।
5. दयालबाग़ उत्पादकों की प्रदर्शनी इस अवसर पर दयालबाग़ में नहीं होगी।
6.  भंडारे के अवसर पर दयाल भंडार से दयालबाग़ के निवासी व अन्य को भोजन नहीं बाटा जायेगा, सिवाय उनके जो नियमित तौर पर दयाल भंडार से भोजन लेते हैं या जो सत्संगी/जिज्ञासु और उनके परिवार बाहर से दयालबाग़ आए हैं।  दयालबाग़ के निवासी (जो दयाल भंडार से नियमित भोजन नहीं लेते) को ये परामर्श दिया जाता है कि वे भंडारे का भोजन अपने अपने घरों में ही पकाएं।
7. पर्मिटेड ज़ोन के सत्संगी (जो ख़ासतौर पर परमिटेड हैं - ऊपर दिए अनुच्छेद 3 और 4 के अनुसार) को भेंट करने की अनुमति है। हालाँकि, पर्मिटेड ज़ोन के बाक़ी सत्संगियों को इस भण्डारे या भंडारा साइकल 2020-21 के अन्य किसी भण्डारे के अवसर पर भेंट करने की अनुमति नहीं है।
8. पर्मिटेड ज़ोन के वे भाइ जो हार्वेस्टिंग/थ्रेशिंग इत्यादि की सेवा के लिए आए हों और अनुच्छेद 3 की ज़रूरतों को पूरा करते हों और उपदेश के इच्छुक हों, वे अप्रैल 2020 या अन्य भण्डारे पर उपदेश के लिए मान्य होंगे।
9. ऐसे पर्मिटेड सत्संगियों/ जिज्ञासुओं और दयालबाग़ के निवासियों के लिए पोथी और च्यवनप्राश के सेल की व्यवस्था खेतों पर की जाएगी।
10. किसी भी प्रकार की सेवा के लिए दयालबाग़ आ रहे वॉलेंटियर ड्यूटी पर रिपोर्ट करने से पहले सरन आश्रम अस्पताल जाकर मेडिकल चेक-अप करायेंगे और फ़िट्नेस सर्टिफ़िकेट मिलने के बाद ही ड्यूटी पर जाएँगे।वालंटियर्स जो स्वस्थ नहीं हैं सेवा के लिए दयालबाग़ न आये।
11. दयालबाग़ आ रहे वालंटियर्स स्वछता का उचित ध्यान रखेंगे - जिसमें मास्क, ग्लव्स का इस्तेमाल, साबुन से हाथ धोना, सोशल डिस्टन्सिंग इस्त्यादी शामिल हैं - का पालन करेंगे।
12. सरन आश्रम अस्पताल के डॉक्टर/पैरामेडिक स्टाफ़/अन्य कोविड-19 (कोरोना वाइरस) के ख़िलाफ़ पूर्ण सुरक्षा एवं संरक्षण का ध्यान रखेंगे और अस्पताल परिसर को नियमित रूप से सेनीटाइज़ करेंगे। डॉ० एस० के० सत्संगी (एम०सी०एच० सरन आश्रम अस्पताल) कोविड-19 से सम्बंधित सभी निर्देशों और ज़रूरतों का सख़्ती से पालन करेंगे। ये सभी रीजन में संचारित कर दिया गया है।

जी॰पी० सत्संगी
सेक्रेटेरी




+918377958104: दिनांक: 4 अप्रैल 2020

कोविड-2019

परम गुरु हुज़ूर सरकार साहब के भण्डारे (अप्रैल) 2020 से सम्बंधित परामर्श

भंडारा (अप्रैल) 2020

1. सभी सत्संगी अप्रैल 2020 का भंडारा अपनी अपनी ब्रांच/एरीआ सत्संग/सत्संग सेंटर/प्राइवट ग्रूप सत्संग/व्यक्तिगत रूप में मनाएँगे और इसके लिए दयालबाग़ नहीं आएँगे और यह सरकार/अधिकरण के नियम/क़ानून का विषय है। ऑडीओ विडीओ ट्रान्समिशन ई-सत्संग कासकेड के माध्यम से होगा।
2. केंद्रीय/राज्य सरकार और लोकल ऐड्मिनिस्ट्रेशन के सख़्ती से लॉक्डाउन के आदेशों के पालन हेतु ये बेहतर है कि आप घर में ही रहें और ऑडीओ मोड के माध्यम से ई-सत्संग का लाभ उठायें।
3. पर्मिटेड ज़ोन - हरियाणा और हिमाचल प्रदेश (जिसमें डिस्ट्रिक्ट एसोसिएशन शिमला शामिल नहीं है) के वे हृष्ट-पुष्ट उपदेशी/जिज्ञासु भाई जो कि सेक्योरिटी कैम्प में रह सकें और हार्वेस्टिंग, थ्रेशिंग और सम्बंधित खेतों की गतिविधियों में भाग ले सकते हैं, केवल वे रीजनल प्रेसिडेंट की सिफ़ारिश पर और सेक्रेटेरी सभा के मंज़ूरी के बाद भण्डारे के लिए दयालबाग़ आ सकते हैं, ये केंद्र/राज्य/स्थानीय सरकार के निदेशन का विषय है।
4. सेवक/पार्ट टाइम सेवक/सभा/सोसायटी के कार्यकर्ता एवं उनके पति/पत्नी और बच्चें (उनके आश्रित बच्चें), दयालबाग़ निवासियों के बच्चें दयालबाग़ में भण्डारे में शामिल हो सकते हैं।
5. दयालबाग़ उत्पादकों की प्रदर्शनी इस अवसर पर दयालबाग़ में नहीं होगी।
6.  भंडारे के अवसर पर दयाल भंडार से दयालबाग़ के निवासी व अन्य को भोजन नहीं बाटा जायेगा, सिवाय उनके जो नियमित तौर पर दयाल भंडार से भोजन लेते हैं या जो सत्संगी/जिज्ञासु और उनके परिवार बाहर से दयालबाग़ आए हैं।  दयालबाग़ के निवासी (जो दयाल भंडार से नियमित भोजन नहीं लेते) को ये परामर्श दिया जाता है कि वे भंडारे का भोजन अपने अपने घरों में ही पकाएं।
7. पर्मिटेड ज़ोन के सत्संगी (जो ख़ासतौर पर परमिटेड हैं - ऊपर दिए अनुच्छेद 3 और 4 के अनुसार) को भेंट करने की अनुमति है। हालाँकि, पर्मिटेड ज़ोन के बाक़ी सत्संगियों को इस भण्डारे या भंडारा साइकल 2020-21 के अन्य किसी भण्डारे के अवसर पर भेंट करने की अनुमति नहीं है।
8. पर्मिटेड ज़ोन के वे भाइ जो हार्वेस्टिंग/थ्रेशिंग इत्यादि की सेवा के लिए आए हों और अनुच्छेद 3 की ज़रूरतों को पूरा करते हों और उपदेश के इच्छुक हों, वे अप्रैल 2020 या अन्य भण्डारे पर उपदेश के लिए मान्य होंगे।
9. ऐसे पर्मिटेड सत्संगियों/ जिज्ञासुओं और दयालबाग़ के निवासियों के लिए पोथी और च्यवनप्राश के सेल की व्यवस्था खेतों पर की जाएगी।
10. किसी भी प्रकार की सेवा के लिए दयालबाग़ आ रहे वॉलेंटियर ड्यूटी पर रिपोर्ट करने से पहले सरन आश्रम अस्पताल जाकर मेडिकल चेक-अप करायेंगे और फ़िट्नेस सर्टिफ़िकेट मिलने के बाद ही ड्यूटी पर जाएँगे।वालंटियर्स जो स्वस्थ नहीं हैं सेवा के लिए दयालबाग़ न आये।
11. दयालबाग़ आ रहे वालंटियर्स स्वछता का उचित ध्यान रखेंगे - जिसमें मास्क, ग्लव्स का इस्तेमाल, साबुन से हाथ धोना, सोशल डिस्टन्सिंग इस्त्यादी शामिल हैं - का पालन करेंगे।
12. सरन आश्रम अस्पताल के डॉक्टर/पैरामेडिक स्टाफ़/अन्य कोविड-19 (कोरोना वाइरस) के ख़िलाफ़ पूर्ण सुरक्षा एवं संरक्षण का ध्यान रखेंगे और अस्पताल परिसर को नियमित रूप से सेनीटाइज़ करेंगे। डॉ० एस० के० सत्संगी (एम०सी०एच० सरन आश्रम अस्पताल) कोविड-19 से सम्बंधित सभी निर्देशों और ज़रूरतों का सख़्ती से पालन करेंगे। ये सभी रीजन में संचारित कर दिया गया है।

जी॰पी० सत्संगी

सेक्रेटेरी


**राधास्वामी!! 

                                               12-04 -2020 -                                    आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे -(107 ) संसार में दो विरोधी विचारों का प्रचार हो रहा है।  एक तो इस विचार का कि मनुष्य आजाद रहे, अपनी जरूरतों को ज्यादा ना बढावे और मोटा झोटा खाकर व पहन कर गुजारा करें किसी दूसरे के रूबरु हाजतमंद बन कर ना जावे और स्वतंत्रता का आनंद ले।  दूसरे इस विचार का कि मनुष्य अमीरों ,हिकिमों और गुणवानों से मेलजोल रखें और उनको प्रसन्न करें ताकि मौका पड़ने पर उनकी दौलत हुकूमत से और उनके गुणों से मदद हासिल करके सुख के साथ जिंदगी बसर कर सके। यह दोनों ही विचार दुरुस्त हैं और दोनों ही मनुष्य को आराम पहुंचाने वाले हैं लेकिन आम लोग इन विचारों का सही इस्तेमाल नहीं करते । चुनांचे अक्सर ऐसे आदमी दिखलाई देते हैं जो आजाद तो रहते हैं लेकिन जबान के ऐसे कडवे और स्वभाव के ऐसे खराब है कि कोई शख्स उनसे मिलना नहीं चाहता । दूसरी तरफ ऐसे आदमी मिलते हैं जब परले दर्जे के खुशामदी है और झूठ बोलते वक्त न मालिक का खौफ दिल में लाते हैं और न अपनी इज्जत आबरू का। बडढाकर बातें सुनाना और धोखे व फरेब से काम निकालना उनका दस्तूरूल अमल है।ये दोनो किस्म के लोग असली विचारों से घिर गए हैं। राधास्वामी दयाल का उपदेश यह है कि मनुष्य स्वाधीन भी रहे और दीन अधीन भी यानी आजाद भी रहे और जवान व स्वभाव का मीठा भी। जैसा कि फरमाया है- दीन गरीबी मत इस जुग का, और गुरुभक्ति का परमान।                   🙏🏻 राधास्वामी 🙏🏻                सत्संग के उपदेश -भाग तीसरा**





राधास्वामी
अभी खेतों की अनाउंसमेंट:
सारबचन नसर, नज़म के पाठ पढिये, भक्ति मार्ग पर रहिये, बचनों का पालन करें.... क्योंकि भारत पर इस महामारी का प्रभाव सबसे ज़्यादा है..... इन सबसे बचाव होगा ।


राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
।।।।।।।।।



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बधाई है बधाई / स्वामी प्यारी कौड़ा

  बधाई है बधाई ,बधाई है बधाई।  परमपिता और रानी मां के   शुभ विवाह की है बधाई। सारी संगत नाच रही है,  सब मिलजुल कर दे रहे बधाई।  परम मंगलमय घ...