शब्द
(परम गुरु सरकार साहब)
दर्शन दीजै दीनदयाला । दाता दासन के हितकारी ॥ टेक॥
जब ते चरन सरन तुम लीनी । मन बुधि सुरत हुए लवलीनी ।
तुम्हरी किरपा घट में चीन्ही । होगई जीवनि सुफल हमारी ॥ 1॥
मैं हूँ बाल अनाड़ी प्यारे । तुम हो दाता अपर अपारे ।
राखो चरनन मोहि सदा रे । मेरी निस दिन यही पुकारी ॥ 2॥
यह जग विष की खान अपारा । बहती प्रबल अनल की धारा ।
तुम मोहि लीनी अधम उबारा । गाऊँ कैसे महिमा भारी ॥ 3॥
बिछड़ूँ नहीं चरन से कबही । जनम जनम मेरी बिनती येही ।
तन बिच दर्शन पाऊँ नित ही । सुन लो अर्ज़ ग़रीब भिखारी ॥ 4॥
राधास्वामी प्रान पियारे । हम सब दासन के आधारे ।
सब जग (हमको) सहजहि लीनी तारे । अचरज अचरज अचरज भारी ॥
(लीला अचरज अगम अपारी) ॥ 5॥
(प्रेम समाचार, शब्द 6)
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी। राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी दयाल की दया राधास्वामी सहाय
राधास्वामी।
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