डॉ0 स्पेन्टा रूस्तम वाडिया के डायमंड जुबली मेमोरियल सेमिनार लेक्चर पर
परम पूज्य हुज़ूर प्रो0 प्रेम सरन सतसंगी साहब द्वारा
फ़रमाया गया अमृत बचन-संदेश
(29 फ़रवरी, 2020)
यह वास्तव में अत्यन्त चित्ताकर्षक है तथापि Max Planck के अंक तथा अन्य विचार जो 10-35m से प्रारम्भ होकर उसे सूक्ष्म और सूक्ष्मतर बनाते हैं, को 10-¥ से अनन्त कोटि और अनन्त से अनन्त तक होना चाहिए। macrocosmically (स्थूल जगत में) यह सत्यापित किया जा सकता है किन्तु इसे करने में विज्ञान को एक लम्बा समय लगेगा। प्रत्येक व्यक्ति के अन्दर एक microcosm (सूक्ष्म जगत) भी है इसके बल पर मैं यह कह सकता हूँ कि हालाँकि string theory (स्ट्रिंग सिद्धान्त) प्रमुखतः पदार्थ व मन के 10 आयामों की चर्चा करती है वे microcosmically (सूक्ष्म जगत में) 14 हैं और उनको हम पूरब के संतों के ग्रन्थों में वर्णित वेद, उपनिषद, भगवदगीता आदि के माध्यम से भलीभाँति समझते हैं। तो इस प्रकार 14 कोटि स्वतंत्रता या स्वच्छन्दता है जिसे स्थूल जगत में (macrocosmically) आप पदार्थ व मन के वृहद् भागों (Grand Divisions of matter and mind) में अंत में जाकर खोज पाएंगे। किन्तु इसके अतिरिक्त निर्मल चेतनता का एक और वृहद् भाग है जो पूरी तरह छूटा हुआ है। वह भी hierarchical (श्रेणीबद्ध) प्रकृति या स्वभाव का है और यह अन्य 7 कोटि या स्वतन्त्रता के सूचक हैं। तो इस प्रकार कुल मिलाकर सृष्टि जगत के वृहद् तीन विभागों-पदार्थ, मन व निर्मल-चेतनता, प्रत्येक में 7 स्तर या श्रेणी हैं। और यह ही इसका सार है। हम, प्रो. प्रेम सरन सतसंगी तत्कालीन Director DEI और श्री प्रेम कुमार, तत्कालीन President of General Body, DEI (Deemed to be University) की भूमिका में Discourses on Radhasoami Faith, 2004 के संस्करण में जिसमें अनुपूरक संलग्न है और जो आध्यात्मिक दृष्टिकोण से कर्म के निष्ठुर नियमों व अन्य सम्बन्धित विषयों की व्याख्या करता है International Journal of General Systems (Published by Taylor & Francis) के System movement; Autobiographical Retrospectives में Editor-in-chief Prof. George Klir के विशिष्ट आमंत्रण पर प्रकाशित है, Ashby’s Law of Requisite Variety के सिद्धान्त को प्रतिपादित करता है और उसके आधार पर पदार्थ मन व निर्मल चेतनता, प्रत्येक तीन विभागों में जो अपेक्षित विविधता है वह 7 है और इस प्रकार कुल 21 हैं। अतएव String Theoryद्वारा पदार्थ व मन के वृहद विभागों को समझने के लिए 10 आयाम से बढ़कर 14 में विकसित होना अपेक्षित है।
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