Saturday, June 13, 2020

जय श्री कृष्ण अवतार की





जय श्री कृष्ण

दोस्तों महाभारत जैसा महाकाव्य ना आज तक बना है, और ना ही भविष्य में कभी बनेगा कईं लोगों ने महाभारत देखी है, और भागवत गीता भी पढ़ी सुनी और सीखी है, मेरा मतलब है लगभग हर कोई ज्ञान रखता है महाभारत का, ये कथा जिनके साथ बीती वो तो सिर्फ एक घटना थी, लेकिन इसकी सीख वर्तमान के लिए थी, उस समय का ये सन्देश था इस युग के लोगों के लिए, महाभारत के हर पात्र ने हमे एक सीख दी अगर समझ सको तो समझो शुरू करते हैं हम..

वासुदेव कृष्ण -
श्री कृष्ण जो आदित्यों में विष्णु हैं, जो नरों में नारायण हैं,
वृक्षों में पीपल, रुद्रों में शंकर, सेनापतियों में कार्तिकेय, जो उच्चैश्रवा अश्व हैं, जो गजों ऐरावत हाथी हैं, जो जगत के पिता माता और पोषक हैं, जो सिद्धों में कपिल मुनि हैं, जो परब्रह्मा हैं, जो इस ब्रह्माण्ड के सारे प्राणियों के स्वामी हैं, जो हम सब को पाल रहे हैं, जिनके आदेश से हम सब जी रहे हैं, जो धेनुओं में कामधेनु गाय हैं, जो समस्त प्राणियों के मन में हैं, जो कण कण में समाए हुए हैं.
प्रभु की भक्ति श्रेष्ट है,  इनकी पूजा ही हमारा जीवन आधार है
भगवान् श्री कृष्ण ये तो भगवान् हैं लेकिन इन्होने अवतार सिर्फ रास रचाने या माखन चुराने के लिए ही नहीं बल्कि महाभारत में महानायक की भूमिका निभाने के लिये लिया था, मनुष्य तो साधारण है पैदा होना, पढ़ना - लिखना, काम करना, और फिर भूढापे में शैय्या पकड़ लेना ही जीवन नहीं है फिर ज़िंदगी का अटल सत्य मृत्यु । अपने जीवन में भी एक कोई ऐसा काम करो जिसमे आपकी भूमिका भी महानायक की तरह ही हो बस धर्म के साथ करो.🙏

शांतनु-
महाराज शांतनु ने सिर्फ सत्यवती के प्रेम में विवश भीष्म का अधिकार और उनकी प्रतिज्ञा के कारण चिंताओं से घिर के प्राण त्याग दिए.
दरअसल महाभारत के युद्ध बीज यहीं से बोया गया था, सीख यही कहती के प्रेम या वासना में अपने पुत्र पुत्रियों के अधिकारों को ना छीने, वर्तमान में शांतनु जैसा कोई नहीं, आज कल के पिता तो छीन ही लें, तो वासना के अधीन न ही हो तो बेहतर है, हो सके तो वासना को अपने अधीन बना लो.🙏

भीष्म-
भीष्म जैसी प्रतिज्ञा भूत वर्तमान और भविष्य में कोई कर सकता वो भी भगवान् ही थे गंगा पुत्र थे. लेकिन आज के युग में किसी भी तरह की प्रतिज्ञा न लें, ये ध्यान रहे इस भीष्म प्रतिज्ञा से वह कभी सुखी नहीं रहे हालाँकि उन्हें इस बात का कोई दुःख नहीं था. लेकिन हम मनुष्यों को किसी भी तरह की प्रतिज्ञा से कभी सुख प्राप्त नहीं होगा. इसकी दो वजह है की इंसान प्रतिज्ञा पर कभी अमल नहीं कर सकता और यदि अमल कर लिया तो अंदर ही अंदर घुटता रहेगा और दुःख की एक परछाई उस पर बनी रहेगी.🙏

ध्रतराष्ट्र-
ये ध्यान रहे औलाद का मोह हमें धर्म के मार्ग से भटकाकर अधर्म की और ले जाएगा. वो पिता भी धृतराष्ट्र की तरह अँधा हो जाएगा जो सही गलत नहीं देख पायेगा ये आज के युग की बात है, मैंने ये देखा की इकलौती संतान सबसे ज़्यादा इस बात का फायदा उठाती है. मैं उनसे कहूंगा की वो खुशनसीब हैं, वो अपने माता पिता के जज़्बातों का फायदा न उठायें ये मत भूलो आप इकलौते हो और आपके न होने का मतलब आपके माँ बाप नींद और चैन दोनों उड़ा देगा.और माँ बाप को दुखी करने का मतलब सिर्फ पाप के अलावा कुछ और हो ही नहीं सकता.🙏

पाण्डु-
ऋषि ब्राह्मण हत्या हमे नरक से बाहर नही आनें देगा हत्या तो हत्या ही है मनुष्य ही नही जीव जंतु पशु पक्षी या कोई भी जीव हत्या अति पीड़ा दायक है हमारे लिए, जो हमे किसी भी लोक में सुख नहीं दे सकता, जब चलो पैदल तो नीचे भी धरती पर देखो एक चींटी के ऊपर से लांघ कर जाना पाप है, क्यूँ की संसार के हर प्राणी में भगवान् का वास है. यही वजह थी भीम ने हनुमान जी की पूँछ नहीं लांघी वन में.क्यों की ☝️वो कण कण में है.🙏

युधिष्ठिर-
धर्म सत्य है, अगर सत्य की राह से हटोगे तो अधर्म आना निश्चित है लेकिन धर्म के लिए धर्म की सुरक्षा के लिए अगर झूठ बोलना भी पड़े तो संकोच मत करो, यही युधिष्ठिर ने किया था जबकि उन्होंने सही कहा था की अश्वथामा मारा गया द्रोणाचार्य ने ये तो नहीं पुछा था न की उनका पुत्र मरा है या हाथी जिसका नाम भी अश्वथामा ही था. सही कर्मों से ही मनुष्य सत्य और धर्म के मार्ग पर डटा रहेगा.🙏

भीम-
बल यानी शक्ति या कह लो ताकत को सही जगह सही कामों में लगाओ लेकिन इस बल का घमंड मत करो सोचो आपमें वो है जो हर किसी में नहीं है ये बल उसी की देंंन जो समस्त प्राणियों स्वामी है ईश्वर.🙏

अर्जुन-
निःस्वार्थ सत्य और धर्म को पकड़ अपने लक्ष्य की ओर देखो और पूरी कामना से उसे हासिल करो जिसे तुम चाहते हो. कर्ण निःसंदेह अर्जुन से महान धनुर्धर था लेकिन अर्जुन का नाम इसलिए लिए जाता है क्यों की उसने युद्ध में दिव्यास्त्रों का प्रयोग नहीं किया था, और वो धर्म की छत्र छाया में था और यही इस आधुनिक युग में हमे सीखने की ज़रूरत है की खुद के बल से लक्ष्य हासिल करो.🙏

नकुल-
सिर्फ शरीर ही नहीं अपनी आत्मा को भी सुन्दर रखो नकुल की यही सुंदरता थी जो आज के युग में हमे सीखाती है के चेहरा सुन्दर होने से कुछ नहीं होता अगर हम अंदर से बदसूरत हैं तो,  और नकुल ने धर्म, नीति और चिकित्साशास्त्र में दक्षता हासिल की थी। मूल रूप से वे पशु चिकित्सक थे। नकुल ने यह शिक्षा गुरु द्रोणाचार्य से ली थी.🙏

सहदेव-
सहनशीलता तो हमें मुनि बनाती है जो क्रोध को अपने वश में रखे वो मुनि है, क्यों की बेवजह क्रोध से सिर्फ सर्वनाश ही हो सकता है, इसका और कोई लक्ष्य है ही नहीं क्रोध बुरा नहीं है अगर क्रोध करो तो सही जगह जहाँ ज़रूरत पड़ ही जाए, वरना तो सहने की कला तो हमें धर्मात्मा बनाती है, ये ध्यान रहे अगर आप क्रोध करो तो तो उसका फल भी आप ही भुगतोगे, लेकिन अगर सहन कर लिया तो सामने वाले को जवाब सवँय भगवान् देंगे, भले देर से पर देंगे ज़रूर, सहदेव ने द्रोणाचार्य से धर्म, शास्त्र, और ज्योतिष विद्या सीखी थी। सहदेव भविष्य में होने वाली हर घटना को पहले से ही जान लेते थे। वे जानते थे कि महाभारत होने वाली है और कौन किसको मारेगा और कौन विजयी होगा.🙏

द्रौपदी-
नारी, वो तो सिर्फ पुज्य्नीय है मैं ये जानता हूँ की इस युग में वो भी गलतियां कर देती है, लेकिन कम तो पुरुष भी नहीं है तो फिर क्यों अपनी मर्दानगी औरत पे दिखानी है, ये मत भूलो की उसपे एक ऊँगली उठाने का मतलब तीन ऊँगली खुद पे करना है. ये भी ध्यान रहे की वो जन्मदाती है, जो भूमि से भारी माँ की कोख है, मनुष्य की उम्र उसे भी नहीं पता लेकिन माँ जानती है की उसका बेटा अपनी उम्र से 9 महीने ज़्यादा अपनी माँ के कोख में रहा है, औरत का सम्मान करो फिर चाहे वो किसी भी रूप में हो.🙏

आचार्य द्रोण-
यही गुरु ने द्रौपदि चीरहरण चुप्पी साध ली थी और मजबूरन अधर्म का साथ दिया,
गुरु,भगवान्, और माँ तीनों ही पुज्य्नीय है जो ज्ञान हमें समाज में जोड़े रखता है वो ज्ञान जो हमें हमारे शिखर तक पहुँचाता है, वो ज्ञान जिस से हम बड़े बड़े कार्य कर कर जाते हैं वो हमें गुरु से मिलता है गुरु भक्ति भगवान् की भक्ति बराबर है.🙏

कुलगुरू कृपाचार्य -
गुरु. या कुलगुरु या अपनी भाषा में कहूं स्कूल का गुरु या शिक्षक बताने की ज़रूरत नहीं मुझे ये वह शिक्षा हैं जो हमारे पूरे जीवन काम आती हैं, जिसके ज्ञान से हम अपनी जीविका चलाते हैं अपना घर चलाते हैं, महाभारत के कृपाचार्य जी बहुत ही अच्छे शिक्षक थे बहुत विख्यात थे, और एक बात वो इतने शक्तिशाली थे के अकेले ही 60,000 सैनिकों पर भारी थे, लड़ सकते थे प्रणाम ऐसे गुरुओं को.🙏

कर्ण-
कर्ण उस ने सहने के अलावा कुछ किया ही नहीं, अगर वो अधर्म के साथ मित्रता नहीं करता तो आज उस जैसा महान कोई न होता, महान भी छोटा शब्द होता फिर भी वो महान था, क्यों की वो दानी था और उस जैसा दानी पृथ्वी पर कभी जन्म नहीं लेगा, जिसने स्वँय इन्द्र को दान में कवच और कुण्डल दिए, वो सिर्फ कवच और कुण्डल नहीं थे समझ लो अपने शरीर का भाग काट के दे दिया हो. इसलिए दान करना अच्छा होता है फिर वो चाहे किसी भी चीज़ का हो, दान का एक अपना महत्व है अगर धन का दान हो तो धन ही मिलेगा अगर रोटी का दान तो रोटी मिलेगी लेकिन ये ध्यान रहे निस्वार्थ हो तो प्रभु इस दान के साथ सूत भी लगा के देंगे, जैसे शिशुपाल वध पे चक्र से ऊँगली कट जाने पर द्रौपदी के एक दुपट्टे के छोटे से टुकड़े का सूत लगा के दिया था जब चीरहरण हुआ था, और दोस्ती में कभी ऋणी मत बनो वरना हमे अधर्म के साथ खड़ा होना पड सकता है.🙏

दुर्योधन-
इस विषय में कहने की ज़रूरत नहीं ये ध्यान रखना विरासत में मिला धन शौर्य बल और ज्ञान शायद अहंकारी ना बनाए,  हमें लेकिन हमने ये स्वँय ही प्राप्त किया तो हमें घमण्ड करने पर मजबूर कर देता है, और फिर वो कहते हैं ना की घमंड तो रावण का भी नहीं रहा, इसलिए घमंड की परिभाषा ये ही है की वो टूटने के लिए बना है और कोई ना कोई उसे तोड़ ही देता है, अहंकार तो गलत है ही उस पर अधर्म और, जो इंसान अपमान के विष को नहीं पी सकता और अधर्मी होगा उसका पतन भी अवश्य होता है, ये आधुनिक युग में हमें बताता है.🙏

दुःशासन-
दुःशासन इसका तो नाम ही दुष कर्मों की गाथा है, जो मनुष्य नारी जाती का अपमान करेगा उसकी दृष्टि स्वँय ही अपना विनाश देखेगी, और अपने कुल का नाश भी करवाएगी, इस कलयुग में शाप काम नहीं करते एक अंदरूनी आहः और रोती और दुःखी आत्मा की बददुआ काम कर जाती है, नारी का सम्मान नारी का प्रेम ही हमारी विजयी यात्रा है वही हमे हमारे लक्ष्य के शिखर तक पहुचायेगी.🙏

महात्मा विदुर-
विदुर कड़वे सत्य के लिए विख्यात थे बुद्धि में स्थिर और हर बात सोच समझ और फिर तोल के बोलने वाले थे, इस युग में यह बात सबसे ज़रूरी है की हम अकारण किसी भी बात को बिना सोचे समझे बोल जाते हैं, यह जाने या कभी अनजाने में कह जाते ये नहीं सोचते की हम किसे यह सब कह रहे हैं, विदुर जी हमें यही सीख दी है की बात को सोच के समझ के तोल मोल कर के कहें, बिना यह सब जाने हम पछतावे के सिवा और कुछ नहीं कर सकते, विदुर जी यमराज के अवतार अंश थे नीति और राजनीति का भी ज्ञान का भण्डार था उनमे जो उन्होंने भीष्म पितामह से लिया था.🙏

कुंती-
माता आदरणीय है लेकिन औरत बन ने के बाद ही वो माँ का दर्जा पाती है उन्होंने समाज के डर से कर्ण को त्यागा और यह राज़ छिपाया राज़ छिपाना अच्छी बात नहीं है, लेकिन राज़ वो जो समाज के हित में ना हो जो समाज के कल्याण के लिए ना हो उस राज़ को छिपाना अधर्म है, यही वजह है की युधिष्ठिर ने माता कुंती को शाप दिया के भविष्य में कोई स्त्री अपने सीने में किसी भी तरह का भेद छिपा सकेगी.🙏

गांधारी-
माता गांधारी एक वही थी जो पूरी महाभारत में सही थी नहीं तो हर किसी की गलती थी, किसी की कम तो किसी की ज़्यादा, माता गांधारी ने भी एक गलती की थी लेकिन वो इतनी बड़ी नहीं थी सिर्फ अपने पुत्र को वज्र का कवच पहनाने के अलावा और माँ इस से ज़्यादा क्या कर सकती है, तो सीख यही कहती है की भले ही अपनी ही संतान हो लेकिन अगर वो अधर्मी है तो उसको विजय का आशीर्वाद ना दो.🙏

अभिमन्यु-
लम्बी भुजाओं वाला जो एक साथ हज़ारों तीर छोढ़ सकता था जो छोटी सी आयु में नाम कमा गया था, वो अर्जुन जैसा  फुर्तीला था और वीर पुत्र था ऐसा पुत्र कभी जन्म नहीं लेगा. हर माता पिता को ऐसी ही संतान चाहिए जो वीर हो आज्ञाकारी हो मर्यादापुर्षोत्तम हो राम जी की तरह हो, जो माँ बाप का नाम रोशन करे, लेकिन क्या हर पिता का ये फ़र्ज़ नहीं की वो राजा दशरथ जैसे हो, कौशल्या जैसी माता हो, मैं कहूंगा की उनका भी यही फ़र्ज़ है, माता पिता घर में वृक्ष की तरह होते हैं, पिता जड़, माता पेड़, और संतान फल, ज़रूरी यह है की वृक्ष कौन सा है और कैसा फल दे सकता है.🙏

बलदाऊ-
यह तो शेषनाग अवतारी हैं त्रेता में लक्ष्मण और द्वापर में दाऊ जी गौर करने वाली बात है की छोटे भाई हो या बडा, भाई की आज्ञा अवश्य माननी चाहिये और सच कहूं तो भाई कभी गलत सलाह नहीं देगा, अगर भाई सही होगा उसकी बात मान के चलो, बड़ा भाई पिता की तरह और छोटा भाई पुत्र की तरह होता है, ये मत सोचो की मैं बड़ा हु मैं क्यों सुनु उसकी. सीखो यही की सही भाई ही भाई के लिए अपने प्राण त्याग सकता है, और दुनिया से लड़ सकता है.🙏

द्रुपद-
जैसा की मैने कहा था की विरासत में मिले हुए धन से शायद अहंकार न हो, लेकिन राजा का पुत्र समाज में प्रजा के बराबर है, तब तक जब वो राजा की उपाधि के काबिल न हो, इस युग में हर रिश्ता दोस्ती-दुश्मनी प्रेम या विवाह अपने से बराबर के इंसान से करो इस समाज के लोग उंच नीच में बड़ा भेद भाव मानते है, जाति बिरादरी बड़ी मायने रखती है ,तो सीख यही है की अपना औदा पहचानो अपना पद पहचानो, या फिर अपना पद ऊंचा करो अपने महान कार्यों से, फिर भी मैं कहूंगा भेद भाव मत रखो, रघुवंशी राजा राम ने एक भीलनी के झूठे बेर खाये थे.🙏

शिखण्डी-
शिखंडी यानी पूर्व जन्म की अम्बा भीष्म जैसे महापुरुष की मृत्यु का कारण बनी. आग यानि अग्नि कहीं लग जाए फिर वो चाहे घर हो महल हो या जंगल कोई सुरक्षित नहीं बचता, और इस आग से ज़्यादा खतरनाक बदले की आग होती है ये बदले हमें बुरे से बुरा बना देते हैं, जो समाज और देश दोनों को खोखला कर देता है, तो सीख कहती है बदला या प्रतिशोध अपने लिए मत रखो ये हमें और हमारे परिवार को भी नुक्सान पंहुचा सकता है.🙏

अश्वथामा-
जो नहीं जानते उन्हें बता दूँ अश्वथामा शिवजी का अंशावतार था, इसलिए वो अमर है वो आज भी जीवित है, लेकिन वो धर्म के खिलाफ युद्ध करने के लिए खडे हुए थे, उसने सोते हुए द्रौपदी पुत्रों और दृष्टद्युम्न की हत्या की, और उस से ज़्यादा घिनोना तो उसने अभिमन्यु पुत्र परीक्षित को गर्भ में ब्रह्मास्त्र से मारा, इस कलयुग को चलाने हेतु परीक्षित का जीवित रहना आवश्यक था. स्वँय भगवान् कृष्ण ने उन्हें जीवित किया था, और अश्वथामा को शाप दिया की वो पृथ्वी के अंत तक वन वन भटकता रहेगा, और जो मणि उसके माथे पर चमकती है उसमे से घाव रिसता और दुखता रहेगा,तो सोचो इस युग में जो लोग घिनोने अपराध करते हैं, वो कैसे भगवान् से कैसे बच सकता है,
यह सदैव ध्यान रहे की बुरे कार्यों से सिर्फ बुरे ही फल मिलेंगे और नरक की यातनाएँ भुगतेंगे,
इसीलिए कभी भी सोते हुए खाते हुए को कभी ना मारें, इस से आप भगवान् का अपमान करते हो.🙏

राजा शल्य-
कहते हैं राजा शल्य की सेना बहुत बड़ी थी उनकी सेना ने एक महान कार्य किया था, युद्ध में सेनाओं के लिए भोजन बनाया था, और 18 दिन के युद्ध में हर रोज़ भोजन की मात्रा कम कर दी जाती थी, क्यों की हर रोज़ हज़ारों सैनिक और योद्धा मारे जाते थे. शल्य एक कुशल सारथि भी थे, कर्ण के रथ को उन्होंने ही संभाला था. उन्होंने एक ही छोटी सी गलती के कारण धर्म के विपक्ष खड़ा कर लिया खुद को. अनजाने में दुर्योधन का सत्कार स्वीकार कर के ऋणी हो गए. कृष्ण जी को भी दुर्योधन ने भोजन सत्कार के आमंत्रित किया था, लेकिन वो तो भगवान् थे वो कैसे अधर्मी के साथ भोजन कर सकते थे. सीख यही कहती है की अधर्मी का कभी एहसान न लो, न ही उसके साथ भोजन करो और ना ही उसके मेहमान बनो.🙏

बर्बरीक-
जिन्हे हम खाटू श्याम जी कहते हैं, जो हारे का सहारा हैं, भगवान कृष्ण ने सिर्फ उनका शीश दान में माँगा था और आज हम खाटू श्याम के भक्त हो गए, भगवान् स्वँय कहते हैं की हारे का सहारा बनो लेकिन अधर्मी का नहीं, और यही बात बर्बरीक जानते थे वो सिर्फ भगवान् से अपना उद्धार चाहते थे, वो भी छोटी सी उम्र में वो मोक्ष माँ मार्ग जानना चाहते थे. उनकी मृत्यु कभी नहीं हुयी क्यों की उनके शीश का अमृत से स्नान किया गया है. और उनको वरदान है की वो भगवान् कृष्ण जी के नाम से ही प्रसिद्ध होंगे. खाटू श्याम जी को शत शत प्रणाम.🙏

आतंकवाद, बलात्कार, हत्या, चोरी, औरतों से छेड़खानी, बाल मजदूरी, मजबूरी का फायदा उठाना, चमचागिरी, टोन टोटके, काला जादू, बुज़ुर्गों को परेशान करना उन्हें दुखी करना, किसी की आत्मा दुखाना, बेवजह किसी से ज़्यादा मेहनत करवाना, किसी की ज़मीन पर कब्ज़ा करना, किसी भी तरह लालच करना, माँ बाप को दुखी करना, अपनी संतान के अधिकारों को छीनना, भ्रूण हत्या करवाना, शादी ब्याह में लड़ाई झगड़ा करना, शरीर के अंगों का व्यापर करना, नशे में घर में लड़ाई करना या अपनी पत्नी का अपमान करना, धन का घमंड करना, बेवजह अपने माता पिता की संपत्ति उड़ाना, मददगार की मदद न करना, ज़रूरतमंद को उसका स्थान न देना, मालिकगिरी दिखाना, मजदूरों का अपमान करना, घृणा करना, बदमाशी करना, गुंडागर्दी करना, मेहनत न करना, ज़बरदस्ती प्यार हासिल करना,राह चलतों को परेशान करना, हमेशा "मैं" का अहंकार करना, बात न मानना, जीव हत्या करना, जानवरों को परेशान करना, समाज की भलाई ना सोचना या ना करना, पूजा पाठ ना करना, पीठ पीछे चुगलियां करना, घरों में लड़ाई करवाना, ग्राहक का फायदा उठाना या उसे ठगना,साधुओं संतों का अपमान करना, और पाखंण्डियों की पूजा करना, पाखंड करना, गलत ज्योतिष से ठगना, किसी दूसरे के भरोसे रहना, किसी के राज़ या भेद समाज में फैलाना, अकारण ही शक करना, धोखा देना
ये सब आधुनिक संसार में है यह घट रहा है, लेकिन क्या यह सही है?
मैं कहूंगा नहीं इनके परिणाम कौन भुगतेगा जो करेगा, मैं क्या कोई भी इन बातों से सीख कर सही कार्य नहीं करेगा, पढ़ेगा और भूल जाएगा. यह इस युग का दुर्भाग्य है इस कलयुग को शाप है, की अधर्मी फल फूल रहे हैं, और अच्छों के साथ ही बुरा हो रहा है, और इस से ज़्यादा अधर्म और बुरा बीतेगा, लेकिन कोई भी युग हो अधर्म और असत्य का परिणाम सही नहीं होगा भुगतना फिर भी पड़ेगा.

गलतियां सभी करते हैं हम इंसान है पर हमें महान वही बनाएगा, जब हम इन गलतियों से सीखेंगे, और इनके शुभ फलों से हम इस पृथ्वी जो कर्म लोक है, जो मृत्यु लोक है को सही जी पाएंगे, खुशी और सुकून पाएंगे और स्वर्ग पाएंगे। नहीं तो तैयार रहो इस नरक में और नीचे पाताल के नरक भुगतने के लिए, महाभारत के हर एक पात्र से सीखना चाहिए हर किसी को जो अध्यात्म से जुड़े हैं वो और नहीं जुड़े हैं वो भी, जो आस्तिक हैं वो भी और जो नास्तिक हैं वो भी, ये इस कलयुग के हर एक मनुष्य के हित में है।
वो कहते हैं ना, अधर्मी सिर्फ समझाने से समझते तो बांसुरी बजाने वाला कभी महाभारत नहीं होने देता.

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारतः ।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥

श्लोक अर्थ

इस श्लोक में श्री कृष्ण कहते हैं, “जब-जब इस पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है और अधर्म आगे बढ़ता है, तब-तब मैं इस पृथ्वी पर जन्म लेता हूँ
सज्जनों और साधुओं की रक्षा के लिए, दुर्जनो और पापियों के विनाश के लिए और धर्म की स्थापना के लिए मैं हर युग में जन्म लेता हूँ”

धन्यवाद !!

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बधाई है बधाई / स्वामी प्यारी कौड़ा

  बधाई है बधाई ,बधाई है बधाई।  परमपिता और रानी मां के   शुभ विवाह की है बधाई। सारी संगत नाच रही है,  सब मिलजुल कर दे रहे बधाई।  परम मंगलमय घ...