छात्रों के लिए अमृत समान आसन -
इस आसन के अनेको फायदे है जिनमे से एक फायदे के बारे में एक विश्व प्रसिद्ध किताब '' गुप्त भारत की खोज" में पॉल ब्रंटन की चर्चा ब्रह्मा नाम के योगी से हो रही है और वो उनको इस आसन के बारे में बताते है -
"इस आसन से रक्त अपने ही दबाव के कारण कुछ ही मिनटों के अंदर मस्तिष्क में आ जायेगा।साधारणतया दिल के धड़कने से,उसकी गति के दबाव से रक्त ऊपर की ओर जाता है।इन दोनों मार्गो में अंतर यही है कि यह आसन करने पे मस्तिष्क और नाड़ियाँ प्रसन्न और शांत होती है।दिमागी काम करने वाले विद्यार्थियों को दिमाग के थकने पे,चंद मिनट तक यह आसन करने से बढ़ी ही शांति और आराम मिलता है।लेकिन केवल यही इसका एक मात्र गुड़ नही है । जानेंद्रियों को भी ये आसन दृढ़ बना देता है।लेकिन ये सभी लाभ तभी मिलेंगे जब सर्वांगासन हमारे निर्धारित ढंग से किया जाए न कि फुर्ती से"
सर्वांगासन ( Srwangasn )
- सर्वांगासन ( Srwangasn ) तैयारी की स्थिति जमीन पर पीठ के बल लेट जाएं। हथेलियों को निचे की ओर करके शरीर से सटाए रखें दोनों एड़ियों को तथा दोनों अंगूठों को सटाये रखें। उन्हें ढीला रखें पुरे शरीर को सीधा रख कर ऊपर की ओर देखें। स्वाभाविक सांस लें। यही तैयारी की स्थिति है।
तैयारी अभ्यास का क्रम - १. दोनों पैरों के पंजों को फैलाकर कड़ा कर लें। अब सांस खींचते हुए दोनों पैरों को सटाए हुए ऊपर की ओर उठाएं। सांस इस प्रकार खीचें कि उधर आपके पैर लैम्ब रूप में खड़े हों और आपका सांस खीचना भी पूरा हो।
२. सांस खीचने का काम पूरा होने तथा दोनों पैरों के खड़ा हो जाने पर , तुरंत दोनों हथेलियों को कमर के निचले हिस्से पर रख कर , सांस छोड़ते हुए , दोनों हाथों से सहारा देकर शरीर को ऊपर उठाएं। अपने शरीर की स्थिति के अनुसार ही ऊंचाई पर जाएं। चित्र देखें . दोनों हथेलियों को पीठ के दोनों ओर रख लें जिससे सहारा मिले। शरीर को अधिकतम उठा लेने के बाद वहीँ रुक कर स्वाभाविक ढंग से सांस लें। पैरों को कड़ा करके सटाए रखें। इस स्थिति में १० से १५ सेकेण्ड , पहले हप्ते के दौरान , ठहरें। एक महीने में समय बढ़ाते हुए १ मिनट तक कर लें। दूसरे महीनें तक इसे ३ मिनट तक कर लें . इच्छानुसार कुछ सेकेण्ड या मिनट तक , कन्धों पर खड़े रहने के बाद इस तरीके से वापस लौटें। - पैरों को घुटने के पास मोड लें। एड़ियां कमर के निचे तक चली आएगी। अब क्रमशः हटेलियों को कमर की ओर बढाइये तथा धीरे धीरे शरीर को निचे आने दीजिये। उतरने के समय हाथों का सहारा शरीर को दें जिससे शरीर अच्छे ढंग से उतरे। शरीर जमीन पर उतार लेने के बाद आराम करें। इसे एक दिन में एक ही बार किया जाता है . 3 मिनट से ज्यादा न करें।
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