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भक्ति मेंभाव
🌹🌹सच्ची घटना -एक गांव में बहुत सुंदर ठाकुर जी (श्री कृष्णजी ) का राज मन्दिर था।सारे गांव के लोग रोज वहा दर्शन करने जाते थे । राजा भी रोज ठाकुर जी की आरती करता, भोग लगाता व् प्रसाद बाटता था।मन्दिर में शुद्रो का प्रवेश वर्जित था। गांव में एक चमार भी रहता था जो रोज राजा व् प्रजा को मन्दिर में जाते देखता था ।उसके मन में भी ठाकुर जी के दर्शन की लालसा जग गयी। हर पल हर दिन ठाकुर जी का चिंतन करने लगा । की ठाकुर जी कैसे हे । समय बीत ता गया सालो का समय गुजर गया पर मन्दिर में चमारो को प्रवेश नही था ।उसने कोशिश भी की भेष बदलकर जाने की पर सफल नही हो पाया ।।
🌹 एक दिन उसने रात को दीवार फांद के दर्शन करने की ठानी वो रात को रस्सी के सहारे दीवार फांदी व् गर्भग्रह में ताला तोड़ के ज्यू ही ठाकुर जी के दर्शन के लिये पर्दा हटाना चाहा इतने में पुजारी आ गया व् चमार को चोरी के आरोप में हिरासत में लेके सुबह राजा के सामने पेस किया। राजा ने मन्दिर के गर्भ ग्रह के पीछे लोहे के खम्बे पे उसको भूखे प्यासे बांध ने का हुकुम दे दिया। दो दिन बाद सबके सामने मोत के घाट उतारने की सजा सुनादि । चमार चिलाता रहा कहता रहा की मेने चोरी के लिये मन्दिर में प्रवेश नही किया में केवल ठाकुर जी को देखना चाहता हू की वो कैसे दीखते हे। पर किसी ने नही सुनी । पूरा दिन तेज धुप में भुखा प्यासा बंधा रहा फिर भी चमार के मन में ठाकुर जी को न देख पाने की कसक बाकि थी ।.
🌹 उसने प्राथना की एक बार दर्शन हो जाये ठाकुर जी फिर मोत की सजा भी मंजूर । यह सब मन्दिर का पुजारी देख रहा था । दो दिन बीत जाने के बाद सुबह मन्दिर में पुजारी ठाकुर जी आरती के लिये पर्दा हटाता हे तो हैरान रह जाता हे । एका एक ठाकुर जी की मूर्ति मूडी हुई थी और मन्दिर के पीछे से एक झरोखा था । जिससे पीछे खम्बे पर बंधे चमार को साफ व् सीधे ठाकुर जी के दर्शन हो रहे हे थे । पुजारी हैरान रह गया उसको अहसास हो गया की चमार सच्चा भगत हे । जिस कारण भगवान उसको अपने दर्शनों के लिये मुड़ गये ।
🌹🌹में तो नित्य लोभ वस पूजा करता हू। उसने राजा के आने पर प्रायश्चित करने का निर्णय किया । राजा के आने पर पुजारी ने कहा की महाराज में चमार के पेरो को धोके चरणा अमृत पीना चाहता हु। राजा को सब व्रतांत मालूम हो गया । राजा ने भी चमार से माफ़ी मागी व् हमेशा के लिये वह मन्दिर चमारो के नाम कर दिया । यह मन्दिर आज भी लखिमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश में हे । जहा ठाकुर जी की मूर्ति मुड़ी हुई हे व् आज भी दर्शन पीछे से झरोखे से होते हे । कोई भी जाति छोटी या बड़ी नही होती हे भगवान सबके हे ।
बस भाव से पुकारने वाला चाहिये।
🌹जय श्री कृष्णं.🌹🙏
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