दयाल भंडार की रोटी,
दयाल भंडार की दाल।
छप्पन भोग में भी
नही ऐसा कमाल।
आश्रम का आचार।
बदल देता है विचार।
आश्रम का पानी।
शुद्ध करे वाणी।
आश्रम के फल और फूल।
उतार देती है जन्मों जन्मों की धूल।
आश्रम की छाया।
बदल देती है काया।
आश्रम का रायता।
मिलती है चारों और से सहायता।
आश्रम का हलवा।
दिखाता है जलवा।
आश्रम की सेवा।
मिलता है मिश्री और मेवा।
आश्रम का स्नान।
चारों धाम के तीर्थ के समान।
आश्रम को जो सजाऐ।
उस का कुल् सवर जाये।
आश्रम का जो सवाली।
उसकी हर दिन होली हर रात दीवाली।
👏राधास्वामी
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