#कैंची_धाम_स्थापना_दिवस
कैंची धाम नीब करौरी बाबा की तपोस्थली पर श्रद्धा भाव से की गई पूजा कभी भी व्यर्थ नहीं जाती। यहां पर मांगी गई मन्नते पूरी तरह से फलदाई हैं। ‘बाबा नीब किरौरी महाराज’ महान योगीराज थे जो भगवान हनुमान के परम भक्त थे। बाबा नीब करौरी महाराज पर लोगों की बड़ी आस्था है। यहां न सिर्फ भारतीय बल्कि विदेशी भक्त भी दर्शनों के लिए आते हैं।
नीम करोली बाबा का कैंची धाम आश्रम नैनीताल से 20 किलोमीटर दूर नैनीताल-अलमोड़ा रोड़ पर समुद्र तल से 1400 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। क्षिप्रा नाम की छोटी पहाड़ी नदी के किनारे 15 जून सन् 1962 में कैंचीधाम की स्थापना हुई। यहां दो घुमावदार मोड़ है जो कि कैंची के आकार के हैं इसलिए इसे कैंचीधाम आश्रम कहते हैं। नीब करौली बाबा को इस आश्रम में आने के बाद ही अन्तरराष्ट्रीय पहचान मिली। उस समय उनके एक अमरीकी भक्त बाबा राम दास ने एक किताब लिखी जिसमें नीब करौरी बाबा का उल्लेख किया गया था। इसके बाद से पश्चिमी देशों से लोग उनके दर्शन तथा आशीर्वाद लेने के लिए आने लगे।
उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के गांव अकबरपुर में जन्मे लक्ष्मी नारायण शर्मा उत्तर प्रदेश के ही एक गांव नीब करौरी में कठिन तप करके स्वयं ही नीब करौरी बन गए। उनकी अलौकिक शक्तियां पूरे देश में, यहां तक की विश्व में इतनी अधिक चर्चा में आई कि उनका नाम किसी से अनजान नहीं रहा।
पं. गोविंद वल्लभ पंत, डॉ सम्पूर्णानन्द, राष्ट्रपति वीवी गिरि, उपराष्ट्रपति गोपाल स्वरुप पाठक, राज्यपाल व केन्द्रीय मन्त्री रहे के. एम. मुंशी, राजा भद्री, जुगल किशोर बिड़ला, महाकवि सुमित्रानन्दन पन्त, अंग्रेज जनरल मकन्ना, देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरु और भी ऐसे अनेक लोग बाबा के दर्शन के लिए आते रहते थे। बाबा राजा-रंक, अमीर-गरीब, सभी का समान रुप से पीड़ा-निवारण करते थे। उनके उपदेश लोगों को पतन से उबारते और सत्मार्ग-सत्पथ पर चलाते।
हमेशा एक कंबल ओढ़े रहने वाले बाबा के आर्शीवाद के लिए भारतीयों के साथ-साथ बड़ी-बड़ी विदेशी हस्तियां भी उनके आश्रम पर आती हैं। बाबा के उपलब्ध सभी फोटो कम्बल में हैं और भक्त भी उन्हें कम्बल ही भेंट करते थे।
11 सितम्बर 1973 अनंत चतुर्दशी में वृन्दावन की पावन भूमि पर नीम करौली बाबा का निधन हो गया लेकिन कैंची धाम आश्रम में अब भी विदेशी आते रहते हैं। बताया जाता है कि सबसे ज्यादा अमेरिकी ही इस आश्रम में आते हैं। आश्रम पहाड़ी इलाके में देवदार के पेड़ों के बीच है। यहां पांच देवी-देवताओं के मन्दिर हैं। इनमें हनुमान जी का भी एक मन्दिर है। भक्तों का मानना है कि बाबा खुद हनुमान जी के अवतार थे।
कहा जाता है कि एक बार यहां आयोजित भण्डारे में ‘घी’ की कमी पड़ गई थी। बाबा जी के आदेश पर नीचे बहती नदी से कनस्तर में जल भरकर लाया गया। उसे प्रसाद बनाने के लिए जब उपयोग में लाया गया तो वह जल ‘घी’ में परिवर्तित हो गया। इस चमत्कार से आस्थावान भक्तजन नतमस्तक हो गए।
फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग और एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब की प्रेरणा का स्थल कैंची धाम ही है। यहां नीम करौली बाबा का कैंची धाम आश्रम इनके अलावा कई सफल लोगों के लिए प्रेरणा श्रोत साबित हुआ। एप्पल की नींव रखने से पहले स्टीव जॉब कैंची धाम आए थे। यहीं उनकों कुछ अलग करने की प्रेरणा मिली थी। जिस वक्त फेसबुक फाउंडर मार्क जुकरबर्ग फेसबुक को लेकर कुछ तय नहीं कर पा रहे थे तो स्टीव जॉब ने ही उन्हें कैंची धाम जाने की सलाह दी थी। उसके बाद जुकरबर्ग ने यहां की यात्रा की और एक स्पष्ट विजन लेकर वापस लौटे। फेसबुक फाउंडर मार्क जुकरबर्ग और एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब के अलावा भारी संख्या में विदेशी साधक नीब करौरी महाराज से जुड़ रहे हैं।
🙏🏻❤️🙏🏻 जय श्रीराम जी की 🙏🏻❤️🙏🏻
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