बस ज़रा शांत हो जाओ , बैठो , धीरे से प्रेम से हल्के से आँखो को बंद करो फिर एक गहरी गहरी स्वाँस लो, स्वाँस को अंदर ही कुछ छन विश्राम करवाओ तुम भी विश्राम करो फिर धीरे धीरे समस्त असहजता, अशांति, चिंतन, विचार, तमस भाव रूपी दूषित वायु को अपने अंदर से मुक्त करो रिलैक्स हो जाओ कंधे को बिलकुल भी ढीला छोड़ दो, सभी इंद्रियो को स्वतंत्र मुक्त कर दो और इस अवस्था में विश्राम करो अब तुम महसूस करो तुम तुम्हारी इंद्रिया तुम्हारा हृदय अथवा तुम कितना स्वतंत्र हो आंतरिक रूप से स्वतंत्रता और बंधन की अनुभव हो जाती हैं अगर नहीं होती हैं तो अभी पहली सीढ़ी भी नहीं चढ़ पाया आंतरिक सफ़र की
और जहाँ भी आंतरिक रूप से बंधन अशांति अथवा असहजता की अनुभूति होती बस ऊपर बताए गए क्रिया को करें ये आपको आपके मन को विश्राम देगी और इसी विश्राम को नित्य विकसित करना आंतरिक स्तर पे एक ऐसा ठिकाना ढूँढना जहाँ बिना किसी प्रयास की सारी दौड़ बंद हो जाती हैं और चित्त उस शांति, सन्नाटे में विश्राम करता हैं और नित्य इस विश्राम को विकसित कर परम शांति को उपलब्ध हो जाता हैं हर सूक्ष्म आवरण से मुक्त स्वतंत्र हो जाता हैं और उसी स्वतंत्रता में परम सुख महानिर्वन परम शांति रूपी समाधि घटित हो जाती हैं। स्वतंत्रता का वास्तविक अर्थ क्या होता ये कभी अकेले आँखें बंद कर स्वयं इस अवस्था पे आकर अनुभव करना सारी भ्रम शीशे के जैसे बिखर जाएँगे चूर हो जाएँगे।ध्यान
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