. *शरण *
*विचार करके देखें तो शरण क्या है ? और शरण करनी किसकी है ?*
*किसी को किसी संसारिक व्यक्ति विशेष के सामने खुद को खड़ा कर देना या अपने आप को बाहरी तौर पर उसके सुपुर्द कर देना ही *शरण नहीं है ।*
*शरण सिर्फ और सिर्फ गुरु की लेनी है*
*कहने में तो ये बहुत ही आसान शब्द लगता है लेकिन अगर इसे सही मायने में समझे तो ये शरण का मार्ग कोई आसान मार्ग नहीं क्योंकि यहाँ बात सन्तमत की हो रही है । और सन्तमत में शरण सच्चे रुहंनियत का मार्ग है ।*
*शरण प्रेम की सबसे ऊँची अवस्था का नाम है । दरअसल अपनी हस्ती को सतगुरु में खो देना ही असली शरण है ।*
*शरण की अवस्था में प्रेमी भक्त की बुद्धि और विचार गुरु की रूहानी विचारधारा के अनुरूप हो जाते हैं । उसकी एक मात्र इच्छा अपने गुरु को खुश करने की ही होती है ।*
*अपने आप को गुरु की इच्छा पर छोड़ देने को ही संतो ने , शरण लेना , कहा है ।*
*राधा स्वामी*🙏🏻
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