राधास्वामी!!-01-07-2020
आज शाम के सतसंग के में पढा गया बचन-
कल से आगे:-(36)
हजरत मौलाना शेख मुहम्मद अकरम साबिरी रचित'इक्तिबासुल-अनवार' के 36 और 106 पृष्ठों का निम्नलिखित लेख विचार करने योग्य है:------
"चूँ आँ हजरत (मोहम्मद) व सिन्ने चिहल सालगी रसीद आसार वही व र वै जाहिर गश्त। व रवायते आँकि पाँजदह साल पेश अज वही अज वही आवाजे मुस्तकीम से शुनीद व ख्वाबहाय रास्त में दीद व दर साल यक मर्तबा वगारे हिरा में रफ्त व थक माह व इबादत मशगूल में शुद" (पृष्ठ 36).......... " चुनाँचे हजरत शाह मीर लाहौरी कुदस सिर्रहु आँ हजरत(अब्दुल कादिर जीलानी)रवायतकर्दा आँ हजरत फर्मूद कि पैगम्बर सलअम शश साल दर गारे हिरा मशगूल व सुल्तानुल्अजकार बूदा अंद व मन दर आँ गारे मुतबर्रका द्वाजदह साल व ईं शगल इश्तगाल नमूदा अम्"(पृष्ठ 106)।।
अर्थ-जब हजरत मुहम्मद की 40 वर्ष की उमर हुई तो उनपर आकाशवाणी आने लगी। कहते हैं कि आकाशवाणी सुनाई देने के 15 साल पहले से उनके अन्तर में अनहद शब्द प्रकट हो गया और ठीक उतरने वाले स्वपन्न आने लगे और 7 साल पहले दिव्य दृश्य दिखाई देने लगे। साल में एक बार वह हिरा की गुफा में तशरीफ ले जाते थे और एक मास तक साधन करते थे।............ लाहौर-निवासी हजरत शाह मीर ने हजरत अब्दुलकादिर जीलानी की निस्बत बयान किया कि उन्होने फरमाया कि पैगम्बर साहब 6 साल तक हिरा की गुफा में सुल्तानुल्अजकार यानी सुरत-शब्द-अभ्यास करते रहे। और मैनें उस पवित्र गुफा में 12 साल तक यही साधन किया है।
अब विचार कीजिये कि हजरत मुहम्मद सलअम भी आवाजे मुस्तकीम अर्थात अनहद शब्द सुनते थे और हजरत अब्दुलकादिर जिलानी बारह वर्ष तक सुल्तानुल्अजकार का शगल अर्थात सुरत-शब्द-अभ्यास करते रहे।
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🙏🏻राधास्वामी🙏🏻 यथार्थ प्रकाश-भाग पहला-परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!
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