नैन खुले तो दर्शन हो !
होठ खुले दो सत्संग हो!
याद रखु राधास्वामी तेरे नाम को!
मन भटके तो सुमिरन हुए!
चिंता हमें नहीं अपनी चिंता उन्हें हमारी है!
हमारी नाव के रक्षक स्वयं राधा स्वामी दयाल है!
*मालिक के पास बैठिये*
*इतने गहरे भाव से कि*
*आँसू आ जाएँ,*
*किसी प्रकार की कोई आकांक्षा*
*या मांग न रखें,*
*मालिक का होना ही आशीर्वाद है*
*मांगना नहीं पड़ता*
*उनके पास होने से ही सब मिल जाता है।*
*जैसे फूल के पास जाओ*
*खुशबू अपने आप ही मिलने लगती है*मालिक ने सारी व्यवस्था पहले ही की हुई है*
*मांगने की जरूरत ही नहीं है*
*बस उनके पास जाना है,*
*उनकी शरणागति स्वीकार कर लेना*
*उनके बताये मार्ग पर चलना*
*हमारा कर्तव्य बस इतना ही है*
*बाकी सब कुछ स्वयं ही हो जाता है।*
*राधास्वामी जी*🙏🙏
🌹🙏🏻
कुछ लोग खुशी की चाह मे रोते है.....*
*कुछ लोग खुशी की पनाह मे रोते है.....*
*"ए मेरे मालिक".....*
*तेरे दर के दिवानो का दस्तुर है निराला.....*
*कोई तुझे देखने के लिए रोता है.....👏👏😪*
*कोई तेरा दर्शन कर के रोता है.....👏👏😭😪🙏🏻🌹*
🙏🙏राधास्वामी 🙏🙏
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