समर कैंप -2020 समापन समारोह गीत
वाह वाह धन्य भाग हमारे, मौका जो हमने समर कैम्प का पाया है ।
हुजूर लाल साहब की दया-मेहर से, प्राचीन गुरुकुल पद्धति साकार हो पाया है ।।
इक्कीस दिन का कैंप हमारा, हम बच्चे दूर-दूर से हैं आते ।
सत्संग की महत्ता, संतों की जीवनी, उच्च संस्कार है यहां सिखाए जाते ।।
उठ जाते हम सुबह चार बजे, सत्संग में मालिक का दर्शन पाते ।
पाठ करते, पीटी करते, कराटे संग श्रमदान भी हैं कराए जाते ।।
अपने कपड़े-बर्तन खुद साफ करके, आत्मनिर्भर हैं हम बन जाते ।
उठते-बैठते-सोते समय पर, अच्छी आदतों में हमें ढाले जाते ।।
गायन-वादन संग नृत्य-नाटिका, आर्ट एंड क्राफ्ट संग पूरे दिन खेलते-कुदते ।
खाना मिलता साफ-सुथरा-स्वादिष्ट, खाने से पहले हम नित्य प्रार्थना करते ।।
ध्यान रखते सभी हमारा, प्यार हम घर जैसा यहां पाते ।
थोड़े दिन में हम यूं घुल-मिल जाते, समापन पर सभी, बड़े भावुक हो जाते ।।
मालिक का तोहफा है समर कैंप, हम बच्चे नई गति, नई ऊर्जा पा जाते ।
आदर्श संस्कारों से हो जाते यूं सराबोर, हमारे मम्मी-पापा, हमें ही नहीं पहचान पाते ।।
कोरोना की महामारी का कहर, हमारे इरादों को डगमगा ना पाया ।
मिल ना सके तो क्या, ऑनलाइन ही, सबने पढ़ाया-सिखलाया ।।
सीखा ऑनलाइन क्लास की बारीकियां, कैसे इस वायरस से है बचना-बचाना ।
पर मिल ना सका वह डांट-प्यार आंटियों का, उनका बहलाना-फुसलाना, तो कभी उनका मां बन जाना ।।
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