Friday, July 3, 2020

इस तरह करे यूरिक एसिड का इलाज





यूरिक एसिड👇

सेब का सिरका खून में पीएच स्तर को बढ़ा सकता है. जो यूरिक एसिड को कम करने में मददगार माना जाता है. विटामिन-सी युक्त फलों का सेवन करेंगे तो आपका यूरिक एसिड लेवल कंट्रोल में रह सकताहै. नीबू में मौजूद साइट्रिक एसिड बॉडी में यूरिक एसिड लेवल को बढ़ने से रोकने में कारगर हो सकता है.
ऐंटी ऑक्सिडेंट से भरपूर चीजें जैसे अंगूर, लाल शिमला मिर्च इत्यादि का सेवन करने से भी यूरिक ऐसिड को कम किया जा सकता है।
 गाजर और चुकंदर का जूस पीने से भी शरीर में पीएच लेवल बढ़ता है और यूरिक ऐसिड कम होता है।
 विटामिन सी वाले फल जैसे आंवला, अमरूद इत्यादि खाने से भी यूरिक ऐसिड कम होता है।

जब शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा सामान्य से अधिक हो जाती है तो गठिया रोग हो जाता है। कुछ विशेष प्रोटीन तत्वों प्युरिन्स पदार्थों का पाचन ठीक प्रकार से नहीं हो पाता है तो यह पदार्थ यूरिक एसिड में बदल जाते हैं। ऐसी अवस्था में यूरिक एसिड की मात्रा शरीर में अधिक हो जाती है और यह पदार्थ शरीर के बाहर जाने के अलावा अन्दर ही रहने लगता है। यूरिक एसिड के क्रिस्टल जोड़ों में विशेष रूप से, गुर्दे तथा त्वचा में जमा होने लगता है। ये क्रिस्टल सुईयों की तरह चुभने लगते हैं जिसके कारण यह रोग हो जाता है।
कारण:
❉ यह रोग अनुवांशिक भी हो सकता है और कुछ जाति के व्यक्तियों में यह अधिक होता है।
❉ मांस-मछली, किसी खास ब्रांड की शराब तथा अधिक पौष्टिक भोजन का सेवन करने से भी गठिया रोग हो जाता है।
❉ भोजन में अधिक प्रोटीन का सेवन करने से ।
❉ अधिक दवाईयों का सेवन करने के कारण भी यूरिक एसिड की मात्रा सामान्य से अधिक हो जाती है।
❉श्रम तथा व्यायाम की कमी होने के कारण भी गठिया रोग हो जाता है।
❉शरीर में कब्ज तथा गैस बनाने वाले पदार्थों का खाने में अधिक सेवन करने के कारण भी यूरिक एसिड बढ़ गठिया रोग हो सकता है जैसे- मिर्च-मसाले, नमक, दाल, मछली, अण्डे तथा मांस आदि।
❉इसके अलावा शरीर में खून की कमी, शारीरिक कमजोरी तथा बुढ़ापे में हड्डियों की चिकनाई कम होने के कारण भी यह रोग उत्पन्न होता है।
यूरिक एसिड बढ़ने के लक्षण :
1-इस रोग का प्रभाव रोगी में अचानक ही दिखने लगता है। 90 प्रतिशत व्यक्तियों को यह रोग पैर के अंगूठे से शुरू होता है। जब अंगूठे में दर्द होता है तो इस रोग के कारण अंगूठा लाल हो जाता है। इस रोग के कारण अंगूठे में सूजन तथा बहुत तेज दर्द होता है।
2- इस रोग के कारण रोगी व्यक्ति को बुखार भी हो सकता है।
3-यह रोग अंगूठे के अलावा घुटनों, कोहनियों तथा कानों के बाहरी भाग में भी सूजन के रूप में हो सकता है।
4-इस रोग की सूजन का उपचार न भी किया जाए तो भी यह सूजन कुछ दिनों के अन्दर अपने आप ही ठीक हो जाती है।
5-इस रोग के कारण दर्द दिन में कम तथा रात में अधिक होता है।
6-गठिया का रोग नियमित रूप से व्यायाम करने, अधिक पानी पीने तथा उन पदार्थों को ग्रहण करने, जिनसे शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा कम हो जाती है, से ठीक हो जाता है।
7-यूरिक एसिड का जमाव गुर्दे में पथरी को बनाने में मदद कर सकता है।
यूरिक एसिड का घरेलू उपचार :
1-हरड़ -यूरिक एसिड की रामबाण दवा : हरड़ और सोंठ को 3-3 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ लेने से यूरिक एसिड में लाभ होता है ।
2-लोंग: लोंग, सुहागा, भुना एलवा एवं कालीमिर्च को 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर पीस लें। इस चूर्ण को घीग्वार के रस में मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर छाया में सुखाने के बाद 1-1 गोली सुबह-शाम लेने से कुछ ही समय में यूरिक एसिड कम हो जाता है ।
3-अगर: गठिया के रोगी को दर्द वाले स्थानों पर अगर का लेप करने से लाभ मिलता है तथा उसका रोग खत्म हो जाता है।
4-गुग्गुल-लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग 1 ग्राम गुग्गुल को शिलाजीत के साथ मिलाकर 2-3 खुराक के रूप में लेने से यूरिक एसिड की परेशानी ठीक हो जाता है।
5-तारपीन : तारपीन का तेल और एरण्ड का तेल बराबर मात्रा में लेकर मालिश करने से गठिया रोग में होने वाली सूजन मिट जाती है।
6-सहजना : गठिया के दर्द में सहजना (मुनगा) के जड़ की छाल और 2 से 4 ग्राम हींग एवं सेंधानमक मिलाकर रोगी को देने से गठिया रोग में भूख खुलकर लगती है तथा कमजोरी के कारण होने कारण होने वाला दर्द भी दूर हो जाता है।
7-शतावरि: शतावरि के तेल से मालिश करने से यूरिक एसिड के रोगी को लाभ होता है।
8-इन्द्रायण: यूरिक एसिड के रोगी को 1 से 3 ग्राम इन्द्रायण की जड़ का चूर्ण बनाकर गुड़ व सोंठ के साथ दिन में 2 बार देने से जल्द आराम मिलता है।
9-अपामार्ग : अपामार्ग (चिरचिरी) के पत्तों को पीसकर और गर्म करके गठिया रोग से ग्रस्त अंगों में बांधने से दर्द व सूजन दूर हो जाती है।
10-श्वेत पुनर्नवा : यूरिक एसिड के रोगी को श्वेत पुनर्नवा (सफेद गद पुरैना) को शाक के रूप में प्रयोग करने से लाभ मिलता है।
11-बरगद : गठिया रोग के कारण होने वाले दर्द वाले स्थान पर बरगद के दूध में अलसी का तेल मिलाकर मालिश करने

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