**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज
-【संसार चक्र】
कल से आगे-
【 तीसरा अंक 】
-पहला दृश्य-( गोदावरी शहर के बँगले के बरामदे में राजा दुलारेलाल , रानी इंदुमती और गोविंद बैठे हैं। इतने में कुछ लड़के एक दीवाने के पीछे चिल्लाते हुए सड़क से गुजरते हैं। राजा दुलारेलाल को देखकर दीवाना बँगले के अहाते के अंदर दाखिल होता है और सामने आकर खड़ा हो जाता है। लड़के भी पीछे-पीछे आ जाते हैं।)
दीवाना-( दुलारेलाल से) एक पैसा दिलवाईये साहब!
दुलारेलाल- पैसे का क्या करोगे?
दीवाना -खाएंगे।
दुलारेलाल तुम पैसा नहीं खा सकते ।
दीवाना- जरूर खा सकते हैं।
दुलारेलाल- अगर तुम एक पैसा खा लो तो हम तुम्हें चार पैसे देंगे।
दीवाना- कोई कसम खाओ तो यकीन आवे।
दुलारेलाल- मुझे तलवार की कसम, अगर तुम एक पैसा खा लो तो मैं तुम्हें चार पैसे दूँगा।
दीवाना- कसम खा•••••ओ! कहो मत।
दुलारेलाल-अरे! सच तो कहता है।
एक लड़का-अजी दीवाना है, दीवाना।
दुलारेलाल-( दीवाने से) ये तुम्हें दीवाना क्यों कहते हैं ?
दीवाना- क्योंकि ये खुद दीवाने हैं।( सब हंस पड़ते हैं)
दुलारेलाल -अच्छा तुम इस हाल में क्यों फिरत हो?
दीवाना- अच्छा तुम इस हाल में क्यों फिरते हो?
दुलारेलाल- इसलिए कि भगवान ने हमें इस हाल में रक्खा है।।
दीवाना -इसलिए कि भगवान ने हमें इस हाल में रक्खा है. ।
( सब हंस पड़ते हैं।)
दुलारेलाल- तुम कभी नहाते क्यों नहीं?
दीवाना- तुम नहाते क्यों हो? दुलारेलाल- बदन साफ रखने के लिये।
दीवाना- बदन मैला रखने के लिए।
( सब हँस पडते हैं।)
लड़के -तुम गंदे हो।
दीवाना- तुम अंधे हो।
लड़के- तुम पागल हो।
दीवाना- तुम जाहिल हो।
लड़के - तुम बैल हो।
दीवाना- तुम बछड़े हो।
इंदुमती -नहीं यह शख्स पागल नहीं है, दुखिया है।लोग इसे नाहक दिक करते हैं। मालूम होता है इसका कुछ खो गया है उसके दुख से यह ऐसा हो गया है। भाई तुम्हारा कुछ खो गया है ?
दीवाना -हाँ खो गया है, ढूंढ दोगे ?
दुलारेलाल -कोशिश करेंगे, बतलाओ क्या खो गया है?
दीवाना -मेरा पिस्सू खोगया है, आओ ढूँढो।
( सब हंस पड़ते हैं।)
क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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