मेरी करुणा भरी पुकार, स्वामी सुन लेना ।।टेर।।
गुण अवगुण करना माफ़, ध्यान तुम धर लेना ।
मैं निरलज नीच अपार, फिर भी संग रहना ।
मैं गया जगत से हार , सुध बुध दे देना ।
मैं जतन करूं हर बार, गिरने मत देना ।
लोभ लालच ने पकड़ा है हाथ ,ध्यान तुम धर लेना।
मैं नित नित करूं पुकार,अरज तुम सुन लेना ।
देवे काल थपेड़े आय, मुझको बचा लेना ।
मैं निरगुण नीच अपार, फिर भी संग रहना ।
लोभ लालच ने घेरा आय ,दया तुम कर देना ।
मेरे अवगुण इतने नाथ, गिनती मत करना ।
मेरी करुणा भरी पुकार, स्वामी सुन लेना (१)
घट अंतर पर्दा खोल , दरशन दे देना ।
मेरे गुण अवगुण सब माफ, स्वामी कर देना ।
मैंने किए जनम सब पाप, स्वामी हर लेना ।
तुम दीन बंधु भगवान , सदा मेरे संग रहना ।
कोइ गलती हो जाये नाथ ,माफ़ तुम कर देना ।
मन में अंधियारा होय , दीप तुम जला देना ।
मैं गया सभी से हार ,बस संग तुम रहना ।
मेरे दिल दरपन में झांक ,कुछ मत कह देना ।
माया का मैं मोहताज़ R,उस से बचा लेना ।
परदेसी साजन आप ,फिर भी आ जाना ।
मैं दीन गरीब हूँ नाथ , इतना कर देना ।
शक्ति और भक्ति नाथ,मुझको दे देना ।
कई जनम ग नाथ,अब तो सुन लेना ।
तेरे शब्द बड़े अनमोल ,मुझको दे देना ।
बस एक तुम्ही से आश,निराशा मत देना ।
यह करुणा भरी पुकार,स्वामी सुन लेना(२)
*राधास्वामी*
बहन शकुन्तला लखेरा चावण्डिया द्वारा रचित -विनती
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