धर्म, अर्थ, काम मोक्ष को इस तरह समझना चाहिए।
मनुष्य जीवन के 4 पुरुषार्थ माने गए हैं। ये 4 हैं धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष। लेकिन इन चारों का उद्देश्य क्या है? धर्म का उद्देश्य मोक्ष है, अर्थ नहीं। धर्म के अनुकूल आचरण करो तो किसके लिए? मोक्ष के लिए। अर्थ से धर्म कमाना है, धर्म से अर्थ नहीं कमाना। धन केवल इच्छाओं की पूर्ति के लिए मत कमाओ।
अच्छे कपड़े हों, महंगे आभूषण हों, दुनिया भर के संसाधन हों, इन सबकी जीवन के लिए जरूरत है, इसमें दो राय नहीं। लेकिन जीवन का लक्ष्य यह नहीं है कि केवल इन्हीं में उलझे रहें।
सिर्फ कामनाओं की पूर्ति के लिए ही अर्थ नहीं कमाना है। हम दान कर सकें, इसलिए भी धन कमाना है। हम परमार्थ में उसको लगा सकें इसलिए भी कमाना है। वर्ना अर्थ, अनर्थ का कारण बनेगा। धन परमार्थ की ओर भी ले जाएगा और इससे अनर्थ भी हो सकता है इसीलिए धर्म का हेतु मोक्ष है, अर्थ नहीं और अर्थ का हेतु धर्म है, काम नहीं। काम का हेतु इस जीवन को चलायमान रखना है। केवल इंद्रियों को तृप्त करना काम का उद्देश्य नहीं है।
काम इसलिए है कि जीवन चलता रहे। मकान, कपड़ा, रोटी ये सब जीवन की आवश्यकताएं हैं और आवश्यकताओं को जुटाने के लिए पैसा कमाना पड़ता है। इसी तरह जीवन की आवश्यकता है काम ताकि जीवन चलता रहे, वंश परम्परा चलती रहे।
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