Sunday, February 7, 2021

सतसंग सुबह DB7/02

 **राधास्वामी!! 07-02-2021-(रविवार) आज सुबह सतसंग में पढे गये पाठ:-                                    

(1) घर आग लगावे सखी।

सोइ सीतल समुँद समावे।।

-(सुन्नशिखर का मन्दिर झाँकेः

 अद्भुत रुप दिखावे।।

(सारबचन-शब्द-दूसरा-पृ.सं.259)                                                     

(2) खेल रही सूरत फाग नई।।

टेक।। सतसंगी सब जुड मिल आये।

 राधास्वामी सरन पई।।-

(आरत धार पडी चरनन में। राधास्वामी गोद बिठाय लई।।)

 (प्रेमबानी-2-शब्द-51-पृ.सं.402)                                                             

सतसंग के बाद-विद्यार्थियों द्वारा पढे गये पाठ:-                                                      

  (1) जगत में झूठी देखी प्रीत।।टेक।।

-(नानक भवजल पार परे, जो गावे गुरु को गीत।

।(संतबानी-2-पृ.सं.85-86)

                                                    

(2) आज आई बहार बसंत।

 उमँग मन गुरु चरनन लिपटाय।।-

(राधास्वामी दीनदयाल कृपाला।

सब को लिया निज चरन लगाय।।)

 (प्रेमबानी-3-शब्द-1-पृ.सं.281,282)         

                                   

(3) सखी आज देखो बहार बसंत।।टेक।। चलो घर श्याम धाम पारा।

खिली जहाँ नित फुलवार बसँत।।

-(जो जिव जग से उबारा चाहें। राधास्वामी नाम जपें निज मंत।।)

(प्रेमबानी-2-शब्द-53-पृ.सं.403)    

                                                    

(4) खिला मेरे घट में आज बसंत।।टेक।।

 भाग मेरा अचरज जाग रहा। हुए अब परसन सतगुरु संत।।

-(सत्त अलख और अगम के पारा। राधास्वामी चरनन जाय मिलंत।।)

 (प्रेमबानी-3-शब्द-38-पृ.सं.393,394)

                                            

   (5) तमन्ना यही है कि जब तक जिऊँ। चलूँ या फिरूँ या कि मेहनत करूँ।।

 पढूँ या लिखूँ मुहँ से बोलूँ कलाम न बन आये मुझसे कोई ऐसा काम।।

 जो मर्जी तेरी के मुवाफिक न हो। रजा के तेरी कुछ मुखालिफ जो हो।।

 अरज यह सुनो आज सतगुरु दयाल। मेहर से करो आज मुझको निहाल।।

                       

  🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


**परम गुरु हुजूर मेहताजी महाराज- भाग- 1-

कल से आगे:-( 24 )-31 अप्रैल 1940

को रात के सत्संग में हुजूर ने फरमाया- 8 अप्रैल, 1940 के उर्दू प्रेम प्रचारक के पहले सफे पर हुजूर साहबजी महाराज का जो बचन " नये प्रोग्राम के लिए पुरजोर अपील " शीर्षक से प्रकाशित हुआ है उसके अंदर मौजूदा प्रोग्राम के बारे में पेशगोई करते हुए हुजूर साहबजी महाराज ने संगत से यह पुरजोर अपील की है कि चूँकि कि सतसंग की तमाम औद्योगिक और शिक्षा- संबंधी संस्थाएँ अब संगठित और सुदृढ़ हो गई है, इसलिये अब सत्संग प्रगति को देश के चारों कोनों में उन्नति देने और बढ़ाने के लिए और नई आने वाली जिम्मेदारियों का भार उठाने के लिए तमाम भाई बड़ी तादाद में कार्य क्षेत्र में आवें जिससे कि सभा अपने आइंदा जलसे में इस प्रोग्राम के बारे में कोई अमली कदम उठा सकें।

 हुजूर मेहताजी महाराज ने फरमाया कि आप लोग गौर करें कि जो प्रोग्राम आज आपने अपने हाथों में लिया है वही प्रोग्राम हुजूर साहबजी महाराज की नजर के सामने भी था। चुनाँचे आजकल इस प्रोग्राम को अमलीजामा पहनाने के सिलसिले में व बिक्री व स्टोर्ज के संगठन वगैरह के लिए जोर दिया जा रहा है और काफी तादाद में सत्संगी भाइयों और बहनों के इस पवित्र सेवा में शरीक होने के लिये अपील की जा रही है, वह ऐन इसी बचन की पूर्ति और उन हुजूर मुअल्ला के हुकुम की तामिल है। हुजूर साहबजी महाराज ने ऊपर लिखे बचन के अंत में फरमाया है कि यह नया प्रोग्राम तमाम संगत के सुख व समृद्धि का पेशखेमा है।

इसके बाद ही हुजूर की लंबी बीमारी का सिलसिला शुरू हो गया इसलिये वह दयाल अपने इस बचन को अमलीजामा नहीं पहना सके। अगर तबीयत दुरुस्त रहती तो वह जरूर इस तरफ कदम उठाते। इस बचन को सामने रखते हुए सत्संगियों को अपने दिल से इस किस्म के गलत ख्यालात या शक व शुबह, कि सत्संग की मौजूदा कार्यवाही या मौजूदा प्रोग्राम हुजूर साहबजी महाराज की मर्जी के खिलाफ है, एक दम निकाल देना चाहिए और यथासंभव इस पवित्र सेवा करने में लीन हो जाना चाहिए।    

                                          

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज

-[ भगवद् गीता के उपदेश]- 

कल से आगे :

-जो कोई मेरे उस उपदेश में श्रद्धा के साथ विश्वास रक्खेगा और इसमें दोष न निकालेगा वह भी कर्मों से छूट जायगा और जब मूढ निर्बुद्धि इसमें दोष निकालेगा और इसके खिलाफ अमल करेगा तो यकीन मानो कि वह नाश को प्राप्त होगा।

ज्ञानी पुरुष तक अपनी प्रकृति के अनुसार अमल करते हैं क्योंकि मनुष्यों का स्वभाव ही ऐसा है। इसलिये इस विषय में रोकथाम निस्फल है। दुनियाँ की चीजों के लिए रगबत व नफरत इंद्रियों ही के अंदर स्थित है और ये दोनों बड़ा उपद्रव मचाते हैं। बुरा भला जैसा भी बन पड़े अपने ही धर्म (कर्त्तव्य-जैसे ब्रह्मण के लिये ब्रह्म विद्या प्राप्त करना,क्षत्रिय के लिये युद्ध करना वगैरह।) का पालन अच्छा है बमुकाबले दूसरे के भली प्रकार भी धर्म के पालन के। अपने धर्म के पालन में अगर जान भी चली जाय तो बेहतर है। दूसरे का धर्म का धारण करना खतरनाक है।【35】

क्रमशः                                      

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


**परम गुरु हुजूर महाराज-

प्रेम पत्र- भाग 1- कल से आगे:-(2)

 अब मालूम होवे कि यही सबब है कि राधास्वामी मत के सच्चे प्रमार्थी जीवो से संसारी जीवो का मेल दिन दिन कम होता जाता है। और ऐसी हालत में भी यानी संसार के भोग बिलास और नामवरी और धन और स्त्री और औलाद में उनकी तवज्जह कम देख कर, संसारी जीव अचरज करते हैं और घबरा जाते हैं कि कहीं ऐसा न हो कि रफ्ता रफ्ता परमार्थी जीव कतई घबरार छोड़ कर दुनियाँ से अलग हो जावे और जो मतलब उनका उससे बरामद होता है वह नष्ट हो जावे। इस वास्ते तरह-तरह के जतन और उपाय सोचते हैं कि जिससे उस प्रमार्थी कि प्रीति और प्रतीति में खलल आ जावे और वह राधास्वामी मत को छोड़ देवे, या यह कि सत्संग में जाना बंद कर देवे। और जो उनका कहना कुछ उस पर असर नहीं करता है तो अनेक तरह के दोष सत्संग और सतसंगियों और सतसंगिनों पर लगाकर और अपने मन से नई-नई बदनामी की बातें पैदा करके मशहूर करते हैं, और उनको बदनामी और धमकाते हैं और डराते हैं कि इसी शर्म और खौफ के मारे वह सत्संग छोड़ देंवे। और जो जीव की अभी सतसँग में शामिल नहीं हुए हैं, वह खौफ और बदनामी के सबब से वहाँ के जाने और शामिल होने से परहेज करें और रुक जावे। क्रमशः                               🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

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