**राधास्वामी!! 05-02-20 21- आज शाम सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) जगत जीव सब होली पूजें। साधू होला गावें री।।-(जग जीवन को दया धार कर। राधास्वामी नाम सुनावें री।।)**राधास्वामी!! 05-02-2021- आज शाम सतसंग में पढे गये पाठ:- (1) जगत जीव सब होली पूजें। साधू होला गावें री।।-
(जग जीवन को दया धार कर। राधास्वामी नाम सुनावें री।।)
(प्रेमबानी-4-शब्द-15-पृ.सं.101,102)
(2) क्या सोच करे मन मेरे ऋतु आई बसंत।।टेक।।
प्रेम सहित नित सतसँग करती सेवा की मन चाह बढन्त।
सेवा करत प्रीति हिये जागी तडप उठी कस पाऊँ कंत।।-(राधास्वामी सतगुरु काज बनाया सोये भाग उन दिए जगंत।
बार बार उन चरन नमामी गाऊँ महिमा नित्त नितंत।।)
(प्रेमबिलास-शब्द-137-पृ.सं.202,203) (3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा-कल से आगे।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**राधास्वामी!!
05-02- 2021-आज शाम सत्संग में पढ़ा गया बचन-
कल से आगे:-( 144)-
आपने मीरा बाई का नाम तो सुना होगा । वह तो राधास्वामी मत में ना थीं। देखिए उन्होंने अपने भगवंत को किन शब्दों से संबोधित किया है। शब्द 73, पृष्ठ-31, मीराबाई की शब्दावली:-
रघुनंदन आगे नाचूंँगी।( टेक)
नाच नाच रघुनाथ रिझाऊँ, प्रेमी जन को जाचूँगी।१।।
प्रेम प्रीत का बाँध घूँघरा, सूरत की कछनी काछूँगी।२। लोक लाज कुल की मरजादा,यामें एक न रखूँगी।३। पिया के पलँगा जा पौढूँगी, मीरा हरिरँग राचूँगी।४।।
शब्द 28, पृ.66:-
राणा जी मैं गिरधर रे घर जाऊँ।
गिरधर म्हाँरो साँचो प्रीतम, देखत रुप लुभाऊँ।१।
रैन पड़े तब ही उठ जाऊँ, भोर भये उठ आऊँ।
रैन दिना वाके सँग खेलूँ, ज्यों रीझे ज्यों रिझाऊँ।२।
जो बस्तर पहिरावे सोई पहिरूँ, जो दे सोई खाऊँ।
मेरे उनके प्रीत पुरानी, उन बिन पल न रहाऊँ।३।
जहँ बैठावे जित ही बैठूँ, बेचे तो बिक जाऊँ।
जन मीरा गिरधर के ऊपर, बार-बार बल जाऊँ।४।।
🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻
यथार्थ प्रकाश- भाग दूसरा-
परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!**
(प्रेमबानी-4-शब्द-15-पृ.सं.101,102)
(2) क्या सोच करे मन मेरे ऋतु आई बसंत।।टेक।।
प्रेम सहित नित सतसँग करती सेवा की मन चाह बढन्त।
सेवा करत प्रीति हिये जागी तडप उठी कस पाऊँ कंत।।-
(राधास्वामी सतगुरु काज बनाया सोये भाग उन दिए जगंत।
बार बार उन चरन नमामी गाऊँ महिमा नित्त नितंत।।)
(प्रेमबिलास-शब्द-137-पृ.सं.202,203) (3)
यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा-कल से आगे।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**राधास्वामी!!
05-02- 2021-आज शाम सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे:-( 144)- आपने मीरा बाई का नाम तो सुना होगा । वह तो राधास्वामी मत में ना थीं। देखिए उन्होंने अपने भगवंत को किन शब्दों से संबोधित किया है। शब्द 73, पृष्ठ-31, मीराबाई की शब्दावली:- रघुनंदन आगे नाचूंँगी।( टेक) नाच नाच रघुनाथ रिझाऊँ, प्रेमी जन को जाचूँगी।१।। प्रेम प्रीत का बाँध घूँघरा, सूरत की कछनी काछूँगी।२। लोक लाज कुल की मरजादा,यामें एक न रखूँगी।३। पिया के पलँगा जा पौढूँगी, मीरा हरिरँग राचूँगी।४।। शब्द 28, पृ.66:- राणा जी मैं गिरधर रे घर जाऊँ। गिरधर म्हाँरो साँचो प्रीतम, देखत रुप लुभाऊँ।१। रैन पड़े तब ही उठ जाऊँ, भोर भये उठ आऊँ। रैन दिना वाके सँग खेलूँ, ज्यों रीझे ज्यों रिझाऊँ।२। जो बस्तर पहिरावे सोई पहिरूँ, जो दे सोई खाऊँ। मेरे उनके प्रीत पुरानी, उन बिन पल न रहाऊँ।३। जहँ बैठावे जित ही बैठूँ, बेचे तो बिक जाऊँ। जन मीरा गिरधर के ऊपर, बार-बार बल जाऊँ।४।। 🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻यथार्थ प्रकाश- भाग दूसरा- परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!**
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