**राधास्वामी!! 10-02-2021- आज सुबह सतसँग में पढे गये पाठ:-
(1) गुरु चेला ब्योहार जगत में। झूठा बर्त रहा।। शब्द सरुपी शब्द अभ्यासी। अस गुरु मिले तो पार हुआ।।-(राधास्वामी यों कह गाई। बूझ बचन तब काज सरा।।) (सारबचन-शब्द-तीसरा-पृ.सं.261)
(2) सुरत आई उमँगत गुरु के पास।।टेक।। प्रीति सहित करती सतसंगा। धर हिये में चरनन बिस्वास।।-( दया राधास्वामी बरनी न जाय। दिया मोहि निज चरनन में बास।।) (प्रेमबानी-2-शब्द-54-पृ.सं.403,404)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हुजूर मेहताजी
महाराज- भाग- 1- कल का शेष:-
उनकी ओर ध्यान देने की अधिक आवश्यकता इसलिये और भी है कि वह जल्द कमाने के योग्य हो सकते हैं। इस सिलसिले में मैं यह भी निवेदन करूँगा कि जो शिक्षा आप अपने बच्चों को दे रहे हैं उस पर भी पूरा विचार करें।
यदि आपके बच्चे बुद्धिमान, चतुर और होनहार है जो आगे चल कर पढ़ लिख कर कमा सकेंगे तो आप ऐसे बच्चों की शिक्षा का सिलसिला खुशी से जारी रख सकते हैं। परंतु यदि आपके बच्चे पढ़ने में जहीन और होशियार नहीं है और हर तरह की कोशिश और तदबीर करने पर भी परीक्षा में असफल हो जाते हैं या अपनी कक्षाओं में कमजोर ही रहते हैं , तो मेरी राय में ऐसे बच्चों की शिक्षा का सिलसिला जारी रखना न सिर्फ वक्त और रुपये का बर्बाद ही करना है बल्कि उन बच्चों की आगामी उन्नति व रोजगार को बंद कर देना है।
बहुत संभव है कि जो बच्चे स्कूल के विषयों में कमजोर और नालायक साबित हुए हैं, उनको यदि उनकी रूचि के अनुसार किसी काम या दस्तकारी में लगा दिया जाय तो वह कामयाब व होशियार साबित हो सकते हैं।
इसलिये ऐसे विद्यार्थियों के बारे में आप साहबान को मेरा मशवरा यह होगा कि उनको स्कूल से निकाल कर किसी दस्तकारी के काम में डालें और उनकी योग्यता और रूचि के अनुसार किसी काम पर लगा कर उनको जल्द योग्य बनावें कि वह जल्द अपने पाँवो पर खड़े हो सके। इसमें किफायत रहेगी, आपको आराम मिलेगा और बच्चे की तरफ से आपको इत्मीनान हो जावेगा।
अब तो माह की गर्मी की छुट्टियाँ शुरु हो गई है, इसलिये अगर ऐसे लड़के अपने माँ-बाप से इजाजत लेकर इन छुट्टियों का फायदा उठावें और किसी काम या दस्तकारी को सीखने की और ध्यान दें तो यह मियाद उनके काम सीखने के लिए काफी होगी।
काम सीखने के बाद उनको लियाकत के मुताबिक उजरत मिलने लगेगी। इस समय इसी उद्देश्य से बातचीत की गई है कि ऐसे लड़के आकर अपनी रूचि के अनुसार किसी इंडस्ट्री या दस्तकारी कार्य का काम सीखने का फैसला करें।
आजकल मैनेजर साहब मॉडल इंडस्ट्रीज इस काम में बहुत दिलचस्पी ले रहे हैं। इस समय उन्होंने पाँच इंडस्ट्रीज के काम सीखने के लिए विद्यार्थियों के नाम तलब किया है, यानी मोजा बनाना, बनियाइन बनाना, ढिबरियाँ व कब्जे बनाना, पैडबोल्ट बनाना, और बटन बनाना। आपको मैनेजर साहब के इस ऐलान का पूरा पूरा फायदा उठाना चाहिए। इस काम में देरी नहीं करनी चाहिए क्योंकि बेरोजगारी काफी अरसे से फैल रही है। इन इंडस्ट्रीज में 15 साल के लड़कों से लेकर 40-45 साल तक की उम्र वाले आदमी लगाये जा सकते हैं लेकिन अगर अपने नवयुवक विद्यार्थी इधर ध्यान देंगे तो प्रसन्नता की बात होगी।
क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज
-[ भगवद् गीता के उपदेश]-
कल से आगे:-{ चौथा अध्याय}-
[ ज्ञानविभाग]-
[कृष्ण जी द्वारा तीसरे अध्याय में फरमाये हुए उपदेश की प्राचीनता का जिक्र करते हैं और अर्जुन के दर्याफ्त करने पर अपना पिछला हाल और जन्म धारण करने का नियम बयान फरमाते हैं। आगे चलकर कर्म करते हुए अकर्म रहने के तरीकों और मुख्तलिफ किस्म के यज्ञों की तशरीह होती है और आखिर में ज्ञानयज्ञ को सब यज्ञो से उत्तम बतलाया जाता है]:-
प्रकरण को समाप्त करते हुए कृष्ण जी ने फरमाया- यह सदा कायम रहने वाला योग अव्वल मैंने विवखान को सिखलाया, उसने मनु को बतलाया और मनु ने इक्ष्वाकु को उपदेश दिया और इस तरह के दर्ज बदर्जे राजर्षियों को प्राप्त हुआ। मगर समय गुजरने पर दुनिया उसे भूल गई। आज फिर से मैंने यह प्राचीन योग, यह निहायत गुप्त भेद, तुम्हें खोलकर सुनाया है , क्योंकि तम मेरे भक्त हो और सखा हो।।
यह सुनकर अर्जुन ने अचंभित होकर पूछा- महाराज विवखान् कब पैदा हुआ और आप अब पैदा हुए। मैं कैसे मानूँ कि आपने शुरू में यह योग विवखान् को उपदेश दिया था। कृष्ण जी ने जवाब दिया- अर्जुन! अब से पहले मैं मेरे और तुम्हारे कई जन्म हो चुके हैं। मुझे उन सबकी याद है लेकिन तुम्हें नहीं है।
【 5】 क्रमशः🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हुजूर महाराज -
प्रेम पत्र- भाग 1- कल से आगे:-
भीलनी कैसी नीची जात थी और आप महाराज रामचंद्र जी ने उसके झूठे बेर खाये। जिन पंडितो और भेषों ने कि उसका नीची जात के सबब से निरादर किया था, उन्हीं से महाराज ने उसका आदर और भाव करवाया उसी के चरण ताल धुलवा कर उसके जल को जो सड़ गया था शुद्ध कराया।।
सुपच भक्तों को, जो जात का भंगी था, कृष्णचंद्र महाराज ने पांडवों के यज्ञ में युधिष्ठर जी को भेजकर बड़ी महिमा और आदर के साथ बुलवा कर और द्रौपदी के हाथ से रसोई बनवा कर चौके में बिठला कर भोजन करवाये। तब घंटा बजा और यज्ञ सुफल हुआ।
महाराज कृष्ण महाराज जी ने अहिर के घर में परवरिश पाई और ग्वालियर के संग अरसे तक उनका बर्ताव रहा और अब सब जात के लोग उनकी पूजा करते हैं और उनकी प्रसादी और चरणामृत मंदिरों में लेते हैं। रामचंद्र जी महाराज जात के क्षत्री थे, उनकी भी पूजा तमाम जमाने में जा रही है।
सिवाय इनके बहुत से भक्त हिंदू और मुसलमान इस कलयुग के जमाने में पैदा हुए और उनमें से अक्सरों की पूजा और भाव जगह-जगह जारी है, जैसे कबीर साहब जात के जुलाहे यानी कोली बनारस में, और पलटू साहब जात के बनियाँ अयोध्या में, और दादू साहब जात के धुनियाँ राजपूताने में और गरीब दास जी जात के जाट बाँगर में, और नानक साहब जात के खत्री,और नामदेव छीपी और सैना नाई और सरवर सुल्तान मुल्क पंजाब में, और चैतन्य स्वामी बँगाल में, और गूँगा पीर, जो पहले क्षत्री थे और फिर मुसलमान हो गये, और मैनपुरी के जिले में जखइया भंगी, और अमरोहे और जलेसर में मियाँ साहब, और आगरे में कमालखाँ और कुएवाला भंगी मसानियाँ, और जाहिर पीर मुसलमान और बूढ़ाबाबू धोबी, और ख्वाजा जी अजमेर में, और अनेक भक्त और अनेक भूत प्रेत जगह-जगह सर्व जात वाले पूज रहे हैं। यह हाल सिर्फ इस मुल्क में ही नहीं है बल्कि तमाम पृथ्वी में यही दस्तूर भक्तों और भूत प्रेतों की भी पूजा का जारी है।
क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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