प्रस्तुति - स्वामी शरण /दीपा शरण /
सृष्टि /दृष्टि
[23/02, 15:06] anami sharan: **राधास्वामी!! 23-02-2020- आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ- (1) सुरतिया चलो जग से तुम अब के। सतसंग में मन दीजो रे।। (प्रेमबानी-3-शब्द-6,पे.न.173) (2) स्वामी मेहर बिचार बचन धीरज अस बोले। सुनहु भेद अब सार कहत हूँ तुमसे खोले।। ना जानूँ छुट जाय। चरन कहिं मग के माही।। क्या गति मेरी होय। गिरु जो सिर के दाई।। (प्रेमबिलास- शब्द-72,पे.न.100) (3)सतसंग के उपदेश-भाग तीसरा-कल से आगे:- 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
[23/02, 15:07] anami sharan: राधास्वामी!! 23-02-2020-आज सुबह के सतसंग में पढे गये पाठ:- (1) मैं प्यारी प्यारे राधास्वामी की। गुन गाऊँ उनका सार।। मैं प्यारी प्यारे राधास्वामी की। मिले अब मेरे निज दिलदार।। (सारबचन-शब्द-दूसरा, पे.न.37-38) (2) सुरतिया सींच रही। गुरू चरन प्रीति फुलवार।। दरशन कर गुरु सेवा करती। उँमग उमँग धर प्यार।। (प्रेमबानी-2,शब्द-73,पे.न.191) 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
[23/02, 15:09] anami sharan: **राधास्वामी!! 23 -02- 2020 -आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन-कल से आगे-(66) हर एक प्रेमीजन को चाहिए कि मालिक से मालिक ही को माँगे, अलबत्ता यह माँग माँगने से पहले अपना हृदय साफ करके मालिक के बैठने और अपनी आंखें धोकर मालिक के दर्शन के लायक बना लेनी चाहियें। ऐसी तैयारी देख कर ही मालिक यह माँग पूरी करता है। बिला मुनासिब तैयारी किए बड़ी-बड़ी माँगे माँगनी महज हिर्स के अंग में बरतना है । मुनासिब तैयारी करके मुरादें मांगना सच्चे शौक की मौजूदगी जाहिर करता है और बिला सच्चे शोक की मौजूदगी के कभी बड़ी मुरादे पूरी नहीं होती।🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻 सत्संग के उपदेश- भाग तीसरा।**
[23/02, 15:10] anami sharan: 🙏🏻🙏🏻 राधास्वामी दयाल की दया 🙏🏻🙏🏻
🙏🏻🙏🏻 राधास्वामी सहाय 🙏🏻🙏🏻
आपका दिन मंगलमय हो.
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