प्रस्तुति - रेणु दत्ता /आशा सिन्हा
*जिस किसी को दुनिया का हाल और देहियों की नाशमानता और दुख सुख का भोग और मौत का सिर पर खड़ा होना देखकर, सच्चा खौफ और फिक्र अपने जीव के कल्यान का पैदा हुआ है, उसी को संत सतगुरु और उनका सत्संग प्यारा लगेगा क्योंकि वहां उसको भेद सच्चे मालिक और उसके धाम का, जहां से जीव आदि में आया है, और जुगत वहां चलकर पहुंचने की मालूम होवेगी और उनसे रास्ता तै करने में मदद मिलेगी।*
No comments:
Post a Comment