Saturday, February 22, 2020

प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का दयालबाग आगमन





प्रस्तुति - ममता, दीपा, सुनीता, रीना

*(34) 2 जनवरी 1956 को भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू दयालबाग आये और हुजूर मेहताजी महाराज ने उनका स्वागत करते हुए फरमाया-......

"दयालबाग आगरा शहर से दूर गाँव की तरह शांत है, साथ ही यहाँ शहरों की तरह पूर्ण स्वच्छता व सफाई का प्रबंध है। यहाँ विद्यार्थी, वैज्ञानिक व साधक एकांत में शांति पूर्वक अपना-अपना कार्य करते है और बेरोजगारों, कृषक व श्रमिक जीविका कमाने का अवसर पाते है। न यहाँ दौलत बहती है और न यहाँ कोई भूखा रहता है, न यहाँ बडे महल व कोठियाँ है, न टूटी-फूटी झोपडियाँ। न यहाँ कोई महान या बडा है न छोटा या अकिंचन। अगर यहाँ किसी का दूसरे से अधिक आदर होता है तो उसी का जो दूसरों से बढकर औऋ बेहतर काम करता है। दयालबाग सभी निवासियों का है लेकिन किसी भी निवासी का यहाँ किसी भी प्रकार का कोई मालिकाना अधिकार नही है।।" यह एक प्रकार से दयालबाग के सामाजिक आदर्शों का सार है।।                              (35) 1937 से 1975 का समय सतसंग के संगीकरण consolidation का समय था। इंडस्ट्री के विस्तार और कृषि द्वारा संगत में एक मौन क्रांति आई, साथ ही सदस्यों के आध्यात्मिक विकास को कायम रखते हुए बहुत समय से आवश्यक समझे जा रहे सामाजिक व सांस्कृतिक सुधार किये गये।।                                  (36) सतसंग की शानदार प्रगति हुई। सतसंगियों की संख्या निरंतर बढती रही। 1975 तक विदेश की 5 शाखाओं को मिलाकर सभा से सम्बद्ध 578 ब्राँचें थी तथा 10 प्रांतीय एसोसिएशंस जिनमें 3 विदेश की भी सम्मलित थी, बनाई गई। रीजनल तथा ब्राँच स्तर पर पुनर्गठन का कार्य किया गया।।                               (37) हुजूर मेहताजी महाराज के द्वाप दयालबाग के विभिन्न कार्यों की प्रगति जिस रफ्तार से शिक्षा, उद्योग, कृषि और सतसंगियों के कल्याण के क्षेत्रों में हुई थी वह रफ्तार 1975 से अब तक उसी वेग से जारी है। दयालबाग की शिक्षा निती  का एक प्रलेख 1977 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग तथा शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार को भेजा गया। इस शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य व्यक्ति का शारिरीक, बौद्धिक, भावात्मक तथा नैतिक एकीकरण करके उसे एक पूर्ण मानव के रुप में.विकसित करना था। एजुकेशन पॉलिसी का मूल-पाठ परिशिष्ट 3 में प्रकाशित है। इन शिक्षा निति के अनुसार एक नई तरह की शिक्षा पद्धति का निर्धारण करके उसके तत्वों को संस्थाओं में जारी किया गया। इस.शिक्षा पद्धति ने देश भर के शिक्षाविदों का ध्यान तत्काल आकार्षित किया और तबसे यह कई अन्य संस्थाओं द्वारा अपनाई गई है। नवीन शिक्षा पद्दति की पुनः संरचना करने और उसे अपनाने में पूरी तरह सक्षम डी.ई.आई. को केंद्र सरकार ने 1981 में डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा प्रदान किया। यह दयालबाग में.शिक्षा कु प्रगति तथा पूज्य आचार्यों के आदेशों के पालन की दिशा में विकास का एक महत्वपूर्ण कदम था। 1986 में टेक्निकल कॉलेज और 1995 में प्रेम विद्यालय को इसकी छत्रछाया में लाया गया।**ऐ

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