एक संत 50 साल से एक ही जगह बैठकर भजन बंदगी करते थे, एक दिन आकाशवाणी हुई और खुदा की आवाज आई, हे महात्मा, तु 50 साल से भक्ति कर रहा है लेकिन तेरी भक्ति स्वीकार नही हुई। संत के साथ बैठने वाले दुसरे बंदो को भी दु:ख हुआ कि यह बाबा 50 साल से भजन बंदगी कर रहे हैं और इनकी भक्ति कबुल नही हुई, खुदा यह तेरा कैसा न्याय? लेकिन वो संत दु:खी होने के बजाय खुशी से नाचने लगा और बोला, मेरी 50 साल की बंदगी भले ही कबुल ना हुई तो क्या हुआ लेकिन खुदा को तो पता है ना कि मैँ 50 साल से बंदगी कर रहा हूँ, संगत जी, जब हम भजन सिमरन करते हैं और फल ना मिले तो निराश मत होना क्योंकि सतगुरु को तो पता है कि हम मेहनत कर रहे हैं इसलिए फल तो जरुर देगा।
प्रस्तुति - कृति शरण /सृष्टि शरण
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