Saturday, February 8, 2020

शाम के सत्संग के बचन /राधास्वामी संत मत दयालबाग


। [30/01, 17:53] +91 92346 58709: **राधास्वामी 30-1- 2020 - आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे -(43) संसार के मंतजिम और सभी सामान हमारी सुरत के भूखे हैं। सुरज चेतन है और संसार के समान जड है। सुरतें संसार में शरीर धारण करती है और यहां के सामान व पदार्थ खाकर शरीर पालती है। अगर सुरतें अपनी चेतनता सर्फ करके शरीर न बनावे तो संसार के सभी मसाला मुंतशिर हालत में पडा रहे और जो रोनक इस वक्त संसार के मसाले को हासिल है फौरन गायब हो जाए। इसलिए काल  व माया, जो संसार के मन्तजिम, है संसार कायम करने के लिए सुरतों को अपने काबू में रक्खा चाहते हैं। सुरते शरीर धारण करती हैं और पालती है। ये शरीर काल के हाथ से कत्ल होते हैं और एक शरीर कत्ल होकर दूसरों की ज्याफ्त में सर्फ होता है। रात दिन यही तमाशा जारी है । राधास्वामी नाम के अंदर यह शक्ति है कि उसका बकायदा उच्चारण करने से काल व माया और उनकी सब शक्तियां बेकार हो जाती हैं और सूरत उनकी गढी हुई जंजीरे तोड कर आकाश मार्ग से चलकर अपने निजघर में प्रवेश कर जाती है जहां काल व माया का गुजर नहीं है।🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻( सत्संग के उपदेश-भाग तीसरा) **
[04/02, 17:08] +91 92346 58709: **राधास्वामी!! 04-02-2020- आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे-(47):- यह दुरुस्त है कि भीड़भाड़ के मौकों पर हजारों सतसंगियों का मिलकर उठना बैठना व खाना-पीना एक खास लुत्फ रखता है लेकिन दूर फासले से चलकर आने दो रास्ते की मुश्किलें झेलने और भारी रकमें किराये वगैरह में खर्च करने का अगर इतना ही फल मिले तो नाकाफी है। मुनासिब यह है कि सत्संग से लौटते वक्त हर एक प्रेमी सतसंगी यह महसूस करें कि वह कोई खास चीज लेकर लौट रहा है। जिसके दिल में प्रेम की चिनगी न हो वह चिनगी हासिल करें, जिसके दिल में चिनगी हो लेकिन मंद हो वह उसे तेज करावे, जिसके अंदर तेज चिनगी वह उसे और भी तेज करवा कर लौटे। अगर इन बातों का लिहाज न रक्खा गया और महज कारखानों व कॉलेजो की रौनक और सत्संग की भीड़ भाड़ या रुपये  पैसे भेंट चढ़ाने ही पर संतोष कर लिया गया तो सख्त अफसोस होगा। मालूम होवे कि सत्संग के स्कूल, कॉलेज, कारखाने व अस्पताल वगैरह आध्यात्मिक संस्थाएं नहीं है। इनकी तरक्की व रौनक होने से लोगों को रुहानी तरक्की हासिल नहीं हो सकती। इनसे संगत की सिर्फ संसारी जरूरतें पूरी हो सकती हैं और संगत को आराम मिल सकता है । ये चीजें दरअसल सत्संग के पौधे के गिर्द बाढ़ के तौर पर लगाई गई है। मूर्ख बाड ही पर तवज्जुह रखते है लेकिन बुद्दिमान बाढ़ से गिरे हुए पौधे की तरफ तवज्जुह देते हैं।🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻( सत्संग के उपदेश- भाग 3)**

प्रस्तुति - ऊषा रानी सिन्हा /राजेंद्र प्रसाद सिन्हा 

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