प्रस्तुति - शैलेन्द्र किशोर /श्वेता किशोर
**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज- सत्संग के उपदेश -भाग 2-(28)【 निन्दको के साथ हमारा बर्ताव किस प्रकार होना चाहिए ?】:-किसी भी साध संत या महात्मा की जिंदगी के हालात पढ़ने से मालूम होगा कि हरचंद वे महापुरुष निहायत सादी जिंदगी बसर करते थे और अपना ज्यादा से ज्यादा वक्त मनुष्यमात्र के कल्याण की कोशिश में लगाते थे लेकिन फिर भी बहुत से लोगों को उनकी रहनी गहनी व परोपकार की कार्रवाई में सैकड़ों दोष नजर आते थे । इतना ही नहीं बल्कि आज दिन हालांकि वे महापुरुष संसार में मौजूद नहीं है और ना ही किसी इंसान से कुछ लेते हैं लेकिन तो भी हजारों दिलजले उनकी पवित्र रहनी और उच्च शिक्षा में बीसों ऐब निकाल क
अपना दिल ठंडा करते हैं मसलन कुरैशी लोग बहुत समय तक हजरत मोहम्मद की सख्त बुराई करते रहे और हजारों गैरमुस्लिम लोग अब तक पैगंबर साहब की पाक रहनी गहनी के मुतअल्लिक़ जवाँदराजी करते हैं । इसी तरह नानक साहब व कबीर साहब के मुतअल्लिक़ लोग जो मुँह में आया कह देते है इसलिए तअज्जुब नहीं अगर हुजूर राधास्वामी दयाल व राधास्वामीमत की निस्बत भी नामुनासिब अल्फाज़ सुनने में आवें। दूसरों को क्या कहें खुद अपने ही घर के बाज लोग जिन्हें न विशेष ज्ञान जिम्मेवारी का है और ना ही काबिलियत जरूरी मामलात के समझने की हासिल है , किसी वजह से नाराज होकर सत्संग की हर वक्त हर बात में दोस्त निकालते हैं और इस ढंग से वे न सिर्फ अपने तई सत्संग के लाभ और सेवा के मौके से महरूम करते हैं बल्कि अपने जहरीले ख्यालात का प्रचार करके अपने संगी साथियों व अजीजो व कुटम्बियो को भी सच्चे परमार्थ आला तालीम से दूर रखते हैं ।क्रमशः🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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